भारतीय महिला हॉकी टीम बेशक ओलंपिक में कांस्य पदक भी नहीं जीत पाई, लेकिन टीम ने अपने शानदार प्रदर्शन से सबका मन मोह लिया। टीम में शामिल खिलाड़ी गुरजीत कौर ने तो सेमीफाइनल में शानदार प्रदर्शन किया, पूरा देश उनका मुरीद बन गया। पंजाब के अमृतसर में स्थित गांव मियादी कलां की रहने वाली गुरजीत के पिता टीम की हार से निराश हैं लेकिन उनका कहना है कि बेटियों ने पूरी मेहनत की। हार-जीत ऊपर वाले के हाथ में है। वहीं मां हरजिंदर कौर और दादी दर्शन कौर टीम की हार से मायूस थीं, लेकिन अपनी बेटी के प्रदर्शन से बेहद खुश हैं। गुरजीत के गांव में रात से लाइट नहीं थी। परिजनों ने जनरेटर चलाकर बेटी का मैच देखा था।
पिता सतनाम सिंह बताते हैं कि उनकी बेटियां गुरजीत और प्रदीप खेत में डंडे से हॉकी खेलती थी। उन्होंने बेटियों के इस शौक को समझा और हॉकी के मैदान में ले जाने का फैसला किया। वह कभी साइकिल पर तो कभी बाइक से गुरजीत और उसकी बड़ी बहन प्रदीप कौर को मैदान में लेकर जाते थे। गुरजीत ने शुरुआती पढ़ाई गांव के पास एक निजी स्कूल से की। इसके बाद तरनतारन जिले के कैरों गांव के एक बोर्डिंग स्कूल में दाखिला दिला दिया। गुरजीत ने जालंधर के लायलपुर खालसा कॉलेज से ग्रेजुएशन की। गुरजीत ने इस कॉलेज में बीए आर्ट्स में दाखिला लिया था और करीब 5 साल तक कॉलेज की अकादमी में वे खेलती रही है।
दिल जीत गईं गुरजीत: हार से मायूस परिजन बोले- बेटियों के खेल में कोई कमी नहीं, हार-जीत ऊपर वाले के हाथ
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Fri, 06 Aug 2021 09:30 AM IST
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