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दिल जीत गईं गुरजीत: हार से मायूस परिजन बोले- बेटियों के खेल में कोई कमी नहीं, हार-जीत ऊपर वाले के हाथ

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: निवेदिता वर्मा Updated Fri, 06 Aug 2021 09:30 AM IST
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Family of Hockey Player Gurjeet Kaur was grief stricken after Defeat in Tokyo Olympic
हॉकी टीम की हार से मायूसी। - फोटो : ANI
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भारतीय महिला हॉकी टीम बेशक ओलंपिक में कांस्य पदक भी नहीं जीत पाई, लेकिन टीम ने अपने शानदार प्रदर्शन से सबका मन मोह लिया। टीम में शामिल खिलाड़ी गुरजीत कौर ने तो सेमीफाइनल में शानदार प्रदर्शन किया, पूरा देश उनका मुरीद बन गया। पंजाब के अमृतसर में स्थित गांव मियादी कलां की रहने वाली गुरजीत के पिता टीम की हार से निराश हैं लेकिन उनका कहना है कि बेटियों ने पूरी मेहनत की। हार-जीत ऊपर वाले के हाथ में है। वहीं मां हरजिंदर कौर और दादी दर्शन कौर टीम की हार से मायूस थीं, लेकिन अपनी बेटी के प्रदर्शन से बेहद खुश हैं। गुरजीत के गांव में रात से लाइट नहीं थी। परिजनों ने जनरेटर चलाकर बेटी का मैच देखा था।

पिता सतनाम सिंह बताते हैं कि उनकी बेटियां गुरजीत और प्रदीप खेत में डंडे से हॉकी खेलती थी। उन्होंने बेटियों के इस शौक को समझा और हॉकी के मैदान में ले जाने का फैसला किया। वह कभी साइकिल पर तो कभी बाइक से गुरजीत और उसकी बड़ी बहन प्रदीप कौर को मैदान में लेकर जाते थे। गुरजीत ने शुरुआती पढ़ाई गांव के पास एक निजी स्कूल से की। इसके बाद तरनतारन जिले के कैरों गांव के एक बोर्डिंग स्कूल में दाखिला दिला दिया। गुरजीत ने जालंधर के लायलपुर खालसा कॉलेज से ग्रेजुएशन की। गुरजीत ने इस कॉलेज में बीए आर्ट्स में दाखिला लिया था और करीब 5 साल तक कॉलेज की अकादमी में वे खेलती रही है।
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गुरजीत कौर - फोटो : Instagram @gurjit_02
उनकी बड़ी बहन प्रदीप कौर के मुताबिक उनका पूरा परिवार बेटियों को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करता था। वह बड़ी थीं, जबकि गुरजीत दूसरे नंबर की हैं। सबसे छोटे भाई ने इसी साल इंटर पास किया है। घर में कोई नौकरी पेशा नहीं था। पिता सतनाम सिंह और चाचा बलजिंदर सिंह किसानी करते हैं। लेकिन दोनों बेटियों को अच्छी शिक्षा देना चाहते थे। इसी कारण उन्होंने दोनों बहनों का दाखिला तरनतारन के बोर्डिग स्कूल में कक्षा छह में करा दिया। यहां दाखिले के बाद गुरजीत कौर और प्रदीप कौर ने हॉकी खेलना शुरू किया। गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में खेलों का अच्छा माहौल था।  

 
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गुरजीत कौर - फोटो : Instagram @gurjit_02
गुरजीत कौर ने शुरुआती कोचिंग सरदार सरनजीत सिंह से ली। उन्होंने गुरजीत की हॉकी में दिलचस्पी देखी और प्रशिक्षण देना शुरू किया। स्कूल में गुरजीत को छात्रवृत्ति मिली। गुरजीत पढ़ाई में औसत ही रहीं।  प्रदीप कौर बतातीं हैं कि उनके पिता ने गुरजीत कौर को हॉकी स्टिक गिफ्ट की थी। छठी क्लास में थे जब पिता ने हॉकी स्टिक, ट्रैक सूट और जूते लाकर दिए। इसके बाद बहन ने जब खेलना शुरू किया तो पीछे मुड़कर नहीं देखा।
Family of Hockey Player Gurjeet Kaur was grief stricken after Defeat in Tokyo Olympic
गुरजीत कौर - फोटो : Instagram @gurjit_02
गुरजीत कौर ने 2016 में एनसीआर के प्रयागराज मंडल में बतौर सीनियर कलर्क ज्वाइन किया। यहां से गुरजीत की किस्मत बदली। इस दौरान उनका भारतीय हॉकी टीम में चयन हो गया। गुरजीत ने 2018 में एशियन गेम्स में हिस्सा लिया। कॉमनवेल्थ गेम्स में गुरजीत कौर भारतीय टीम का हिस्सा रहीं। 
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गुरजीत कौर - फोटो : Instagram @gurjit_02
गुरजीत के कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. नवजोत ने बताया कि कॉलेज को आज बहुत मान महसूस हो रहा है कि उनकी छात्रा ने ओलंपिक में देश का नाम रोशन किया है। टीम की हार से वे मायूस हैं लेकिन टीम का ओलंपिक सफर अच्छा रहा।  
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