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ग्राउंड रिपोर्ट: हरियाणा में यहां किसानों को नहीं आंदोलन से सरोकार, सिर्फ नहर के पानी की लड़ाई

यशपाल शर्मा, अमर उजाला, लीलस/भिवानी (हरियाणा)  Published by: निवेदिता वर्मा Updated Sat, 20 Feb 2021 02:18 PM IST
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Ground Report : People of this village only wants canal water for their fields
भिवानी के गांव लीलस को नहरी पानी की दरकार है। - फोटो : अमर उजाला
हरियाणा का गांव लीलस राजस्थान सीमा से सटा है। भिवानी जिले का यह गांव लोहारू विधानसभा क्षेत्र में आता है। यहां का भूजल खारा है, इसलिए किसानों, नौजवानों व बुजुर्गों की लड़ाई सिर्फ और सिर्फ नहरी पानी के लिए है। किसान आंदोलन से इन्हें ज्यादा सरोकार नहीं। इनकी कहानी पानी से शुरू होकर पानी पर खत्म होती है। ज्यादातर टिब्बों व कुछ समतल भूमि वाले इस क्षेत्र की सैकड़ों किला जमीन को जैसे ही पानी मिलने लगेगा ये सोना उगलेगी। पैदावार एकाएक कई गुना बढ़ने के साथ ही जमीन के दाम भी बढ़ेंगे।
Ground Report : People of this village only wants canal water for their fields
लीलस की मिट्टी रेतीली है, लेकिन बहुत उपजाऊ है। - फोटो : अमर उजाला
लीलस के साथ लगते गेंडावास, बुधसेली, सैनीवास गांवों की मिट्टी रेतीली है, लेकिन बेहद उपजाऊ है। इसे अच्छी पैदावार के लिए केवल नहरी पानी की जरूरत है। इन गांवों में अभी चना, सरसों व कहीं-कहीं गेहूं की खेती हो रही है। यहां फसल में यूरिया न के बराबर डाला जाता है। इससे अनाज का स्वाद अलग ही है। ये इलाके अभी तक बारिश के पानी पर ही निर्भर हैं। मोतीपुरा माइनर से लीलस की टेल तक कुछ माह पहले ही नहरी पानी पहुंचा है, पर अभी सिंचाई शुरू होना बाकी है। वाटर वर्क्स के साथ ही अन्य कार्य होने हैं, जिसके बाद खेत पानी से तर होंगे।
 
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Ground Report : People of this village only wants canal water for their fields
मोतीपुरा माइनर से लीलस गांव की टेल तक पहुंचा नहरी पानी। - फोटो : अमर उजाला
हर खेत तक पहुंचे पानी, सरकार के नाम कराएंगे जमीन की रजिस्ट्री
यहां दशकों से सिंचाई की कोई सुविधा नहीं थी। पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के समय नहरी पानी तो आया, लेकिन उनके बाद नहरें रेत तले दब गईं और पानी फाइलों में गुम होकर रह गया। किसान अब नई माइनर बनाने व अन्य काम के लिए जमीन देने को तैयार हैं। उन्होंने सरकार की ड्रिप सिंचाई योजना अपनाने के लिए भी ऑनलाइन आवेदन शुरू कर दिए हैं। लीलस, गेंडावास, बुधसेली व सैनीवास गांव के किसानों सीताराम बिश्नोई, दलीप, नेकीराम, संतलाल, जगदीश व रामस्वरूप का कहना है कि सरकार हर खेत तक नहरी पानी पहुंचाए। वे अपनी जमीन की रजिस्ट्री सरकार के नाम करने को तैयार हैं। मोतीपुरा माइनर का पानी खेतों में पहुंचने से उनका भाग्योदय होगा। खेत हरे-भरे हो जाएंगे। युवाओं को रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। वे एक साथ अनेक फसलें ले सकेंगे।
 
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लीलस - फोटो : अमर उजाला
हजारों एकड़ भूमि सिंचित करने का लक्ष्य : कादियान
चीफ इंजीनियर डॉ. सतबीर कादियान ने बताया कि मोतीपुरा माइनर से हजारों एकड़ भूमि सिंचित करने का लक्ष्य है। लीलस तक पानी पहुंचाया है, अब इसके सदुपयोग में जुटेंगे। नहरी पानी से वंचित गांवों तक भी जल्दी टेल पहुंचाई जाएगी। इसका खाका तैयार कर लिया है। सीएम मनोहर लाल खुद सभी परियोजनाओं की निगरानी कर रहे हैं।
 
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Ground Report : People of this village only wants canal water for their fields
अधिकारियों से बात करते ग्रामीण। - फोटो : अमर उजाला
बीते डेढ़ साल में सुधरी स्थिति, एसडीओ पर निरीक्षण का जिम्मा
भाजपा सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में नहरी पानी को अंतिम टेल तक पहुंचाने की योजना तैयार कर ली थी। जिसे अमलीजामा पहनाने का काम भी शुरू हो गया था। अब धरातल पर कुछ नई माइनर मूर्तरूप ले चुकी हैं। लोहारू हल्के के राजस्थान सीमा से सटे गांवों में नहरी पानी पहुंचाने का जिम्मा एसडीओ कैनाल परमवीर सिंह पर है। वह अपनी टीम से दिन में तीन बार माइनर व टेल का निरीक्षण करवाकर फोटो सहित रिपोर्ट मंगवाते हैं। नलोई, गुरेरा माइनर, देवसर फीडर की टेल में अभी 12 से 15 तक पानी की आपूर्ति हो रही है। यहां किसान लगातार 16 फीट से अधिक पानी चाहते हैं।

 
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