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शहीद चंद्रशेखर: पिता की शहादत पर बेटी को गर्व, बोली- 38 साल से पार्थिव शरीर भी सियाचिन में ड्यूटी निभा रहा

संवाद न्यूज एजेंसी, हल्द्वानी Published by: अलका त्यागी Updated Tue, 16 Aug 2022 07:43 AM IST
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Uttarakhand Martyr Chandra shekhar daughter Proud on her father
शहीद चंद्रशेखर की बेटी - फोटो : अमर उजाला

शहीद लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला की छोटी बेटी बबीता की उम्र अब 42 साल है। जिस समय उनके पिता शहीद हुए थे उस समय वह काफी छोटी थीं। लेकिन अब उन्हें इस बात का गर्व है कि वह उस व्यक्ति की बेटी हैं जिन्होंने देश के लिए अपनी जान न्यौछावर की है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का गर्व है कि उनके पिता का पार्थिव शरीर सियाचिन में अपनी ड्यूटी आज भी निभा रहा।

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उन्होंने बताया कि उनकी माता ने उनको बताया था कि वह अपने पिता की गोद में बहुत खेला करती थीं। उनके पिता उन्हें कंधे पर बैठाकर गांव में घूमते थे। जब भी पिता छुट्टी में घर आते थे तो दोनों ही बेटियां अपने पिता से चिपक जाती थीं।

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कुछ दिनों तक तो वह अपनी मां के पास भी नहीं आती थीं। उनके पिता अपनी बेटियों के लिए खिलौने और खाने का सामान लेकर आते थे। बबिता ने बताया कि उन्होंने कभी भी नहीं सोचा था कि वह अपने पिता को बहुत ही कम उम्र में खो देंगी। 
 

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Uttarakhand Martyr Chandra shekhar daughter Proud on her father
शहीद लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला - फोटो : अमर उजाला

उन्होंने बताया कि जब बड़ी हुईं और चीजों को समझने लगीं तब उन्हें पता चला कि उनके पिता देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए हैं। वह भी उस सियाचिन में जहां पर एक आम आदमी का पांच मिनट रहना भी जानलेवा साबित हो जाता है। उन्होंने बताया कि वर्दी में कोई भी शख्स उन्हें जब भी दिखता है तो उसके लिए उन्हें एक अपनापन लगता है।

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शहीद लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला - फोटो : अमर उजाला

ऐसा लगता है कि जैसे उस वर्दी के शख्स में उनको अपने पिता की छवि नजर आती है। उन्होंने भावुक होते बताया कि वह कभी भी 'ए मेरे वतन के लोगों जरा याद करो कुर्बानी' गीत नहीं सुनती हैं। अगर वह ऐसी जगह पर होती हैं जहां पर ये गीत सुना जा रहा है तो वह वहां से हट जाती हैं या फिर लोगों से उस गीत को बंद करने की गुजारिश करती हैं क्योंकि इस गीत को सुनते ही तुरंत रोने लगती हैं।

Uttarakhand Martyr Chandra shekhar daughter Proud on her father
शहीद लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला का परिवार - फोटो : अमर उजाला

उन्हें अपने पिता की याद आती है। साथ ही जब भी अखबार में या टीवी पर किसी सैनिक के शहीद होने की खबर देखती हैं तो उन्हें अपने पिता की तुरंत याद आती है। वह टीवी बंद कर देती हैं और अखबार को कभी भी पूरा नहीं पढ़ती हैं।

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शहीद चंद्रशेखर का परिवार - फोटो : अमर उजाला

उन्होंने कहा कि मैं कभी भी फेसबुक या व्हाट्सएप पर आने वाले शहीदों से जुड़े वीडियो को भी नहीं देख पाती हूं। कहा कि आज जब उनके पिता का पार्थिव शरीर आ रहा है तो वह शब्दों में बता ही नहीं सकती हैं कि उनके जहन में क्या भावनाएं उमड़ रही हैं। कहा कि भावनाओं का एक अजीब सा संगम हो रहा है।  

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