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Republic Day 2023: कर्तव्य पथ पर उत्तराखंड के मानसखंड की झांकी ने बनाया इतिहास, देश में मिला पहला स्थान

अमर उजाला ब्यूरो, देहरादून Published by: अलका त्यागी Updated Mon, 30 Jan 2023 05:07 PM IST
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Uttarakhand tableau with AIPAN art Got First Prize in India first time on Republic Day 2023
उत्तराखंड की झांकी - फोटो : अमर उजाला

गणतंत्र दिवस के मौके पर इस बार कर्तव्य पथ पर उत्तराखंड की झांकी बेहद खास रही। मानसखंड थीम पर आधारित उत्तराखंड की झांकी ने देश मे प्रथम स्थान प्राप्त  किया है। झांकी के पहले स्थान पर आने से उत्तराखंड का नाम इतिहास में दर्ज हो गया। 



मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस उपलब्धि के लिए प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि हम सबके लिए गौरवशाली पल है। पुराणों में गढ़वाल का केदारखंड और कुमाऊं का मानसखंड के रूप में वर्णन किया गया है। स्कंदपुराण में मानसखंड के बारे में बताया गया है। जागेश्वर मंदिर की बहुत धार्मिक मान्यता है।

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पीएम मोदी ने हमेशा अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने की बात कही है। मानसखंड मंदिर माला मिशन योजना भी इसी दिशा में महत्वपूर्ण पहल है। मानसखण्ड मंदिर माला मिशन के तहत चार धाम की तर्ज पर कुमाऊं क्षेत्र के पौराणिक मंदिरों को भी विकसित किया जा रहा है।  

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झांकी का निरीक्षण करते सीएम धामी - फोटो : अमर उजाला

सीएम धामी ने दिया था मानसखंड झांकी का सुझाव
बता दें कि भारत सरकार को भेजे गए झांकी का विषय मानसखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सुझाया था। उन्होंने मंदिर माला मिशन के अंतर्गत मानसखंड के रूप में इस विषय का सुझाव दिया था। गढ़वाल की चारधाम यात्रा की भांति सरकार कुमाऊं में मंदिर माला मिशन के अंतर्गत पर्यटन बढ़ाने का प्रयास कर रही है। इसी के दृष्टिगत प्रसिद्ध पौराणिक जागेश्वर धाम को झांकी को दिखाया गया था।

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उत्तराखंड की झांकी में ऐपण कला - फोटो : अमर उजाला

झांकी में ये था खास
उत्तराखंड का प्रसिद्ध कॉर्बेट नेशनल पार्क, बारहसिंगा, उत्तराखंड का राज्य पशु कस्तूरी मृग, गोरल, देश का राष्ट्रीय पक्षी मोर जो उधमसिंह नगर में पाया जाता है, उत्तराखंड के प्रसिद्ध पक्षी घुघुती, तीतर, चकोर, मोनाल आदि व उत्तराखंड की प्रसिद्ध ऐपण कला को प्रदर्शित किया गया था। झांकी के आगे और पीछे उत्तराखंड का नाम भी ऐपण कला से लिखा गया था। जागेश्वर धाम का मंदिर घनघोर देवदार के वृक्षों के बीच में है। इसलिए झांकी में मंदिर के आगे और पीछे घनघोर देवदार के वृक्षो का सीन तैयार किया गया था।

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ऐपण कला से लिखा उत्तराखंड - फोटो : अमर उजाला

ऐपण क्या हैं
ऐपण कुमाऊं की समृद्ध और गरिमापूर्ण परंपरा है। इसे गेरू (लाल मिट्टी जो पानी के घोल से तैयार किया जाता है) पर बिस्वार (चावल के आटे का घोल) से अलग-अलग बेलें और चौकियां बनाई जाती हैं। धार्मिक अनुष्ठानों, नामकरण संस्कार, विवाह, जनेऊ आदि जैसे समारोहों की शुरुआत ऐपण बनाने से की जाती है। यह माना जाता है कि ऐपण सकारात्मकता और समृद्धि लाता है।

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उत्तराखंड की झांकी में छोलिया नृत्य करते कलाकार - फोटो : अमर उजाला

छोलिया नृत्य ने खींचा सबका ध्यान
टीम लीडर संयुक निदेशक केएस चौहान के नेतृत्व में झांकी में उत्तराखंड की कला और संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए उत्तराखंड का प्रसिद्ध छोलिया नृत्य प्रस्तुत किया गया। इसे करने में पिथौरागढ़ के भीम राम के दल के 16 कलाकारों का उत्कृष्ट प्रदर्शन रहा। उत्तराखंड को देवभूमि के साथ ही योग भूमि भी कहा जाता है। झांकी के ऊपर बारु सिंह और अनिल सिंह ने योग करते हुए अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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