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बेगुनाह के खून से सनी खाकी: मेरे सामने ले गए थे पति को... नजदीक से मारी गोली, पत्नी की गवाही से सामने आया सच

आशुतोष यादव, अमर उजाला, गाजियाबाद Published by: शाहरुख खान Updated Wed, 21 Dec 2022 09:06 AM IST
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Furniture artisan Rajaram wife testimony proved important in proving encounter fake
कारपेंटर की मुठभेड़ के नाम पर हत्या करने वाले नौ पुलिसकर्मी पेशी के बाद सीबीआई कोर्ट से निकलते हुए - फोटो : अमर उजाला
मुठभेड़ बताकर की गई फर्नीचर कारीगर राजाराम की हत्या के मामले में सबसे अहम गवाही उसकी पत्नी संतोष कुमारी की साबित हुई। संतोष ने पहले जिला अदालत में इंसाफ की लड़ाई लड़ीं। वहां कामयाबी नहीं मिली तो हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वह अपने बयान पर कायम रहीं। उन्होंने सीबीआई कोर्ट को बताया कि पुलिस पति को उनके सामने उठाकर ले गई थी। इसके बाद फोरेंसिक जांच में पता चला कि राजाराम को गोली नजदीक से मारी गई थी। पुलिस यह साबित नहीं कर सकी कि राजाराम ने भी गोली चलाई थी। अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता ने बताया कि संतोष पहले थाने गईं। वहां पुलिस ने तहरीर लेने से इनकार कर दिया। उनके साथ अभद्रता की। इस पर वह जिला अदालत में गईं। वहां अर्जी खारिज हो गई लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। इसके बाद वह हाईकोर्ट पहुंचीं। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सीबीआई जांच के आदेश दिए।

 
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कारपेंटर की मुठभेड़ के नाम पर हत्या करने वाले नौ पुलिसकर्मी पेशी के बाद सीबीआई कोर्ट से निकलते हुए - फोटो : अमर उजाला
2007 में जांच शुरू कर सीबीआई ने 2009 में सिढपुरा के तत्कालीन थाना प्रभारी पवन कुमार सिंह सहित 10 पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। सुनवाई के दौरान आरोपी दरोगा अजंट सिंह की मृत्यु हो गई। नौ पुलिसकर्मी हत्या और साक्ष्य मिटाने के दोषी सिद्ध हुए। 

 
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कारपेंटर की मुठभेड़ के नाम पर हत्या करने वाले नौ पुलिसकर्मी पेशी के बाद सीबीआई कोर्ट से निकलते हुए - फोटो : अमर उजाला
सीबीआई ने जांच में लिखा कि गवाह राजप्रताप सिंह ने देखा था कि राजाराम को सरकारी जीप से घुमारी रोड पर सुनहरा गांव के पास ले जा रहे थे। उस जीप को मोहकम सिंह चला रहा था। तत्कालीन उपनिरीक्षक अजंट सिंह ने 18 अगस्त को बनाई फर्द भी गलत साबित हुई थी।

 
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फाइल फोटो - फोटो : अमर उजाला
बेगुनाह के खून से सनी खाकी
1. 18 अगस्त 2006 : दोपहर तीन बजे रिश्तेदारी में जाते समय उठाया गया था राजाराम को।
2. 18 अगस्त 2006 : रात पौने आठ बजे सुनहरा गांव के जंगल में गोली मारकर कर दी थी हत्या।
3. एक जून 2007 : हाईकोर्ट ने केस दर्ज कर सीबीआई जांच का आदेश दिया।
4. 22 जून 2009 : सीबीआई कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया गया था।
5. चार दिसंबर 2015 : गवाही शुरू हुई, कुल 202 गवाह पेश किए सीबीआई ने।
 
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कारपेंटर की मुठभेड़ के नाम पर हत्या करने वाले नौ पुलिसकर्मियों की CBI कोर्ट में पेशी के बाद जेल जाते - फोटो : अमर उजाला
ये पाए गए दोषी
1 पवन सिंह, तत्कालीन थानाध्यक्ष, थाना सिढपुरा, जनपद एटा
स्थाई पता ग्राम बदेहरी थाना छपार, जनपद मुजफ्फरनगर
2. श्रीपाल ठेनुआ, तत्कालीन उपनिरीक्षक, थाना सिढपुरा जनपद एटा
स्थाई निवासी ग्राम बदेहरी थाना छपार, जनपद मुजफ्फरनगर
3. सरनाम सिंह, तत्कालीन आरक्षी, थाना सिढपुरा, एटा
स्थाई निवासी करूणामयी नगरिया, थाना बेवर, मैनपुरी
4. राजेन्द्र प्रसाद तत्कालीन आरक्षी थाना सिढ़पुरा एटा
स्थाई निवासी डिनौली, थाना टूंडला फिरोजाबाद
5. मोहकम सिंह तत्कालीन सरकारी वाहन चालक थाना सिढ़पुरा
निवासी नंगला डला तहसील करहल, मैनपुरी
6.बलदेव प्रसाद, आरक्षी सिढ़पुरा थाना
निवासी कस्बा व थाना हरपालपुर, हरदोई
7.अवधेश रावत तत्कालीन आरक्षी सिढ़पुरा
निवासी ग्राम नंगला तेजा पोस्ट रिधौरी कटरा, थाना रूवेन, आगरा
8. अजय कुमार तत्कालीन आरक्षी सिढ़पुरा थाना
निवासी ग्राम धीप, थाना घिरौर मैनपुरी
09. सुमेर सिंह आरक्षी, सिढ़पुरा
निवासी नंगला तेजा पोस्ट रिधौरी कटरा थाना रूवेन, आगरा
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