सब्सक्राइब करें

Independence: कहीं 26 दिन में मिली आजादी, कहीं 80 साल के क्रांतिकारी ने अपना हाथ काटा, पढ़ें पांच किस्से

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु मिश्रा Updated Fri, 12 Aug 2022 05:19 PM IST
सार

इस संग्राम में करोड़ों देशवासी अपनी आजादी के लिए लड़े। लाठियां खाईं। तकलीफें झेलीं, लेकिन देश को कभी झुकने नहीं दिया। जिस उम्र में लोग घर बसाने के सपने देखते हैं, उस उम्र में युवाओं ने सीने पर गोलियां खाईं।

विज्ञापन
75th india's Independence day Stories 80 year old revolutionary cut his hand
आजादी का अमृत महोत्सव - फोटो : अमर उजाला
15 अगस्त को देश की आजादी के 75 साल पूरे हो जाएंगे। इस वजह से आजादी का ये पर्व इस बार और भी खास हो गया है। इस आजादी के लिए कई साल तक भारत के लोगों ने संघर्ष किया। अपनी जान न्यौछावर कर दी।  न जाने कितनी तकलीफें झेलीं। फिर देश को मिली आजादी। ऐसे में आज हम आपको आजादी के पांच चर्चित किस्से सुनाने जा रहे हैं। 

 
Trending Videos
75th india's Independence day Stories 80 year old revolutionary cut his hand
बलिया पहले ही आजाद हो गया था। - फोटो : अमर उजाला
पांच साल पहले ऐसे आजाद हुआ बलिया 
पूरा भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ, लेकिन उत्तर प्रदेश का बलिया जिला ऐसा है जो 19 अगस्त 1942 को ही आजाद हो गया था। हालांकि, ये आजादी ज्यादा दिन तक नहीं टिकी। 24 अगस्त 1942 को फिर से अंग्रेजों ने पूरे जिले पर कब्जा कर लिया था। इस बार अंग्रेजों की फौज भी बड़ी थी और अधिक शक्तिशाली भी। खैर, आइए जानते हैं पांच दिन की ये आजादी कैसे मिली थी? 

बलिया के आजादी की ये कहानी नौ अगस्त 1942 से शुरू होती है। देश में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत इसी दिन हुई थी। अंग्रेजों के खिलाफ जगह-जगह रोष व्याप्त था। अंग्रेजी हुकूमत ने कई क्रांतिकारियों को जेल के अंदर भी बंद किया। जिससे लोगों का गुस्सा और भड़क उठा। 

बलिया में भी आंदोलन चरम पर था। 11-12 अगस्त को विशाल जुलूस निकला। 13 अगस्त को क्रांतिकारियों ने चितबड़ागांव स्टेशन फूंक किया। 14 अगस्त को मिडिल स्कूल के बच्चे जुलूस निकाल रहे थे, इसी दौरान पुलिस पहुंच गई। पुलिस ने बच्चों को घोड़े से कुचला। इससे गुस्साए लोगों ने रेल पटरियों को उखाड़ दिया और मालगाड़ी लूट ली। इसके बाद बलिया रेल सेवा पूरी तरह से कट गया। 16 अगस्त को फिर से अंग्रेजों ने आंदोलनकारियों पर गोलियां चलवा दीं। इसमें दुखी कोइरी समेत सात लोग शहीद हो गए। 17 अगस्त को रसड़ा में भी पुलिस की गोली से चार क्रांतिकारी शहीद हुए। 18 अगस्त को बैरिया थाने के पास तिरंगा फहराने पर 18 लोग शहीद हुए। 

19 अगस्त तक आक्रोशित लोगों ने पूरे जिले के थानों को फूंक दिया। सभी जिला जेल पर एकत्रित हो गए। हाथों में लाठी, भाला, बल्लम, बर्छी, रम्मा, टांगी, खुखरी, ईंट, पत्थर, मिट्टी का तेल लेकर पहुंचे लोगों को देख जिला प्रशासन डर गया। 20 अगस्त को अंग्रेज कलेक्टर ने लिखित तौर पर बलिया को चित्तू पांडेय को हस्तांतरित कर दिया। इस तरह बलिया में स्वराज सरकार का गठन हुआ। बलिया के पहले कलेक्टर चित्तू पांडेय और पंडित महानंद मिश्र पुलिस अधीक्षक घोषित हुए। हालांकि, 24 अगस्त को आजमगढ़, गाजीपुर के रास्ते होते हुए अंग्रेज सेना फिर से बलिया में आ गई और उसने पूरे शहर पर कब्जा कर लिया। इस दौरान 84 लोग शहीद हुए।  
 
विज्ञापन
विज्ञापन
75th india's Independence day Stories 80 year old revolutionary cut his hand
पहली बार 14 अप्रैल 1944 में यहां तिरंगा फहराया गया था। - फोटो : अमर उजाला
26 दिन की लड़ाई में आजाद हुआ था मोइरांग
ये कहानी है 1943 की। सुभाष चंद्र बोस टोक्यो में थे। ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आजादी की लड़ाई के लिए सोवियत संघ, नाजी जर्मनी और जापान के साथ मिलकर प्लान बना रहे थे। 21 अक्तूबर 1943 को नेताजी ने सिंगापुर में भारत की प्रोविजनल गवर्नमेंट की घोषणा की। दो दिन बाद ही प्रोविजनल गवर्नमेंट ने ब्रिटेन और मित्र देशों की सेना के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी।

जापान से समर्थन मिलने के बाद नेताजी और अधिक मजबूत हो गए थे। 18 मार्च 1944 को जापान की सेना और नेता जी सुभाष चंद्र बोस की ओर से बनाई गई आजाद हिन्द फौज (आईएनए) की एक टुकड़ी बर्मा (अब म्यांमार) के रास्ते भारत में घुसी। ये जवान मणिपुर पहुंचे। जापान ने मणिपुर में आजाद हिन्द फौज की मदद के लिए करीब तीन हजार सैनिक भेजे थे। ब्रिटिश सेना के भी करीब तीन हजार जवान इस इलाके में तैनात थे।

तब मणिपुर के विष्णुपुर जिले में मोइरांग नाम का एक गांव हुआ करता था। जापानी सेना और आईएनए ने मिलकर इस इलाके में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। तब इस इलाके में 54 गांव शामिल थे। मोइरांग इन्हीं में से एक था। जापानी सेना और आईएनए के जवानों ने अंग्रेजों को करारी शिकस्त दी। 26 दिन तक युद्ध चला और 13 अप्रैल 1944 को ब्रिटिश सेना पीछे हट गई। 14 अप्रैल को इसको भारत का पहला आजाद इलाका घोषित कर दिया गया।
 
75th india's Independence day Stories 80 year old revolutionary cut his hand
वीर कुंवर सिंह - फोटो : अमर उजाला
अपनी तलवार से 80 वर्षीय क्रांतिकारी ने खुद का हाथ काट लिया
ये कहानी है 80 वर्षीय क्रांतिकारी वीर कुंवर सिंह की। बात 20 अप्रैल 1858 की है। जगदीशपुर में क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई शुरू कर दी। वीर कुंवर सिंह की नाव पर रात के अंधेरे में अंग्रेज जनरल डगलस ने हमला बोल दिया। हमले में वीर कुंवर सिंह के बाएं हाथ की कलाई में गोली लग गई। पूरे शरीर में जहर फैलने का डर था, इसलिए कुंवर सिंह ने बिना देर किए अपनी तलवार से ही अपना हाथ काट दिया। हाथ काटने के बाद भी कुंवर सिंह के शरीर में जहर फैलने लगा। बीमार हालत में भी उन्होने जगदीशपुर की लड़ाई में अंग्रेजों के हराया और जगदीशपुर पर फिर कब्जा किया। कुंवर सिंह ने अंग्रेजों को एक बार नहीं बल्कि सात-सात बार हराया था। आज भी वीर कुंवर सिंह का नाम आजादी की लड़ाई के लिए गर्व से लिया जाता हे। 
 
विज्ञापन
75th india's Independence day Stories 80 year old revolutionary cut his hand
तात्या को अंग्रेजों ने धोखे से पकड़ लिया था। - फोटो : अमर उजाला
तात्या टोपे को एक नहीं दो बार फांसी पर लटकाया
क्रांतिकारी तात्या टोपे का नाम तो सभी ने सुना होगा। आज हम आपको उनसे जुड़ी कहानी बताने जा रहे हैं। तात्या को महाराष्ट्र का बाघ भी कहा जाता था। तात्या ने अंग्रेजों के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी। ये बात है साल 1858 की। तब लगातार नौ महीने तक तात्या टोपे ने अकेले जंगलों में रहकर गोरिल्ला वार के जरिए अंग्रेजों की सेना को छह से सात बार हराया था। 
ईस्ट इंडिया कंपनी के छह जनरल तात्या से हार मान चुके थे। अंग्रेजी तोपों पर काबू पाना तात्या के बाएं हाथ का खेल था। अंग्रेजों ने तात्या के ऊपर इनाम घोषित कर रखा था। सात अप्रैल 1959 को अंग्रेजों ने धोखे से जंगल में सो रहे तात्या को पकड़ लिया। उनके खिलाफ कई मुकदमों की जल्दी सुनवाई हुई और 15 अप्रैल 1859 को उन्हें फांसी दे दी गई। उन्हें एक बार नहीं बल्कि दो-दो बार फांसी पर लटाया गया। ऐसा इसलिए क्योंकि अंग्रेज नहीं चाहते थे कि तात्या किसी तरह से भी बच जाएं। 
 
विज्ञापन
अगली फोटो गैलरी देखें

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed