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Samudra Pradakshina: दुनिया का चक्कर लगाएगा भारतीय महिलाओं का सैन्य दल, राजनाथ सिंह ने पोत को दिखाई हरी झंडी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: पवन पांडेय
Updated Thu, 11 Sep 2025 09:11 PM IST
सार
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दुनिया का समुद्री चक्कर लगाने के लिए अभियान ‘समुद्र प्रदक्षिणा’ को हरी झंडी दिखाई है। इस अभियान में तीनों सेनाओं का महिला दल शामिल है। ‘समुद्र प्रदक्षिणा’ न सिर्फ भारत की नारी शक्ति, बल्कि तीनों सेनाओं की एकता और आत्मनिर्भर भारत के सपने को भी दुनिया के सामने लाएगा।
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सेना का 'समुद्र प्रदक्षिणा' अभियान
- फोटो : PTI
भारतीय इतिहास में गुरुवार का दिन एक नया अध्याय लेकर आया। पहली बार थल सेना, वायु सेना और नौसेना की महिलाओं की संयुक्त टीम दुनिया का समुद्री चक्कर लगाने के लिए रवाना हुई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली से वर्चुअल तरीके से इस अभियान को हरी झंडी दिखाई। यह यात्रा मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया से शुरू हुई।

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सेना का 'समुद्र प्रदक्षिणा' अभियान
- फोटो : PTI
खतरनाक समुद्री रास्तों से गुजरेंगी वीरांगनाएं
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, यह टीम यात्रा के दौरान दो बार भूमध्य रेखा को पार करेगी और तीन बड़े केप्स- लीउविन, हॉर्न और गुड होप से होकर गुजरेगी। यह अभियान सभी बड़े महासागरों से होकर गुजरेगा और खासकर दक्षिणी महासागर और ड्रेक पैसेज जैसे बेहद खतरनाक इलाकों से होकर निकलेगा। टीम की योजना चार विदेशी बंदरगाहों पर रुकने की है। यह यात्रा मई 2026 में मुंबई लौटकर पूरी होगी।
महिला दल में कौन-कौन शामिल?
इस टीम की कमान लेफ्टिनेंट कर्नल अनुजा वरुडकर के हाथ में है। उनके साथ स्क्वाड्रन लीडर श्रद्दा पी. राजू उप-नेता हैं। इसमें मेजर करमजीत कौर, मेजर ओमिता दलवी, कैप्टन प्राजक्ता पी. निकम, कैप्टन दौली बुटोला, लेफ्टिनेंट कमांडर प्रियांका गुसाईं, विंग कमांडर विभा सिंह, स्क्वाड्रन लीडर अरुवी जयदेव, स्क्वाड्रन लीडर वैशाली भंडारी भी शामिल हैं।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, यह टीम यात्रा के दौरान दो बार भूमध्य रेखा को पार करेगी और तीन बड़े केप्स- लीउविन, हॉर्न और गुड होप से होकर गुजरेगी। यह अभियान सभी बड़े महासागरों से होकर गुजरेगा और खासकर दक्षिणी महासागर और ड्रेक पैसेज जैसे बेहद खतरनाक इलाकों से होकर निकलेगा। टीम की योजना चार विदेशी बंदरगाहों पर रुकने की है। यह यात्रा मई 2026 में मुंबई लौटकर पूरी होगी।
महिला दल में कौन-कौन शामिल?
इस टीम की कमान लेफ्टिनेंट कर्नल अनुजा वरुडकर के हाथ में है। उनके साथ स्क्वाड्रन लीडर श्रद्दा पी. राजू उप-नेता हैं। इसमें मेजर करमजीत कौर, मेजर ओमिता दलवी, कैप्टन प्राजक्ता पी. निकम, कैप्टन दौली बुटोला, लेफ्टिनेंट कमांडर प्रियांका गुसाईं, विंग कमांडर विभा सिंह, स्क्वाड्रन लीडर अरुवी जयदेव, स्क्वाड्रन लीडर वैशाली भंडारी भी शामिल हैं।
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सेना का 'समुद्र प्रदक्षिणा' अभियान
- फोटो : PTI
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का संदेश
राजनाथ सिंह ने इसे 'नारी शक्ति' का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, 'यह सिर्फ समुद्र यात्रा नहीं, बल्कि अनुशासन और इच्छाशक्ति की परीक्षा है। हमारे अधिकारी अनेक चुनौतियों का सामना करेंगे, लेकिन उनका साहस हर अंधेरे को चीर देगा। वे सुरक्षित लौटकर दुनिया को दिखाएंगी कि भारतीय महिलाओं का शौर्य असीम है।' उन्होंने यह भी कहा कि यह अभियान तीनों सेनाओं के बीच साझा भावना और एकजुटता का उदाहरण है। 'त्रिवेणी' को पुडुचेरी में तैयार किया गया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि यह भारत की रक्षा तकनीक और नवाचार में आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
तीन साल की सख्त ट्रेनिंग
इस दल ने पिछले तीन वर्षों में कठोर प्रशिक्षण लिया है। शुरुआत छोटे जहाजों पर समुद्र यात्रा से हुई और फिर अक्तूबर 2024 में 'त्रिवेणी' के साथ लंबी यात्राओं का अभ्यास किया गया। इस दौरान उन्होंने भारत के पश्चिमी तट पर कई चुनौतीपूर्ण यात्राएं कीं और इस साल की शुरुआत में मुम्बई से सेशेल्स और वापस की एक अंतरराष्ट्रीय यात्रा पूरी की, जिससे उनकी क्षमता और आत्मनिर्भरता की पुष्टि हुई।
यह भी पढ़ें - एक्सरसाइज सियोम प्रहारः अरुणाचल के दुर्गम इलाकों में सेना का ड्रोन युद्धाभ्यास, भविष्य के युद्ध की तैयारी
राजनाथ सिंह ने इसे 'नारी शक्ति' का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, 'यह सिर्फ समुद्र यात्रा नहीं, बल्कि अनुशासन और इच्छाशक्ति की परीक्षा है। हमारे अधिकारी अनेक चुनौतियों का सामना करेंगे, लेकिन उनका साहस हर अंधेरे को चीर देगा। वे सुरक्षित लौटकर दुनिया को दिखाएंगी कि भारतीय महिलाओं का शौर्य असीम है।' उन्होंने यह भी कहा कि यह अभियान तीनों सेनाओं के बीच साझा भावना और एकजुटता का उदाहरण है। 'त्रिवेणी' को पुडुचेरी में तैयार किया गया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि यह भारत की रक्षा तकनीक और नवाचार में आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
तीन साल की सख्त ट्रेनिंग
इस दल ने पिछले तीन वर्षों में कठोर प्रशिक्षण लिया है। शुरुआत छोटे जहाजों पर समुद्र यात्रा से हुई और फिर अक्तूबर 2024 में 'त्रिवेणी' के साथ लंबी यात्राओं का अभ्यास किया गया। इस दौरान उन्होंने भारत के पश्चिमी तट पर कई चुनौतीपूर्ण यात्राएं कीं और इस साल की शुरुआत में मुम्बई से सेशेल्स और वापस की एक अंतरराष्ट्रीय यात्रा पूरी की, जिससे उनकी क्षमता और आत्मनिर्भरता की पुष्टि हुई।
यह भी पढ़ें - एक्सरसाइज सियोम प्रहारः अरुणाचल के दुर्गम इलाकों में सेना का ड्रोन युद्धाभ्यास, भविष्य के युद्ध की तैयारी

सेना का 'समुद्र प्रदक्षिणा' अभियान
- फोटो : PTI
अभियान की खास बातें
यह यात्रा विश्व नौकायन गति रिकॉर्ड परिषद के सख्त नियमों के तहत होगी। जहाज सिर्फ पाल से चलेगा, इंजन का इस्तेमाल नहीं होगा। कम से कम 21,600 समुद्री मील की दूरी पूरी करनी होगी। कोई नहर या कृत्रिम रास्ता इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। टीम चार-चार घंटे की शिफ्ट में काम करेगी- नौवहन, पाल संभालना, मरम्मत, खाना बनाना, और बाकी समय आराम करेगी।
दक्षिणी महासागर - सबसे कठिन चरण
यात्रा का सबसे कठिन समय दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 के बीच होगा, जब टीम केप हॉर्न को पार करेगी। इस दौरान समुद्र में बहुत ऊंची लहरें, कड़कड़ाती ठंड और तेज तूफान रहेंगे। इसे नौकायन की अंतिम परीक्षा माना जाता है।
वैज्ञानिक शोध भी करेगा सैन्य दल
यात्रा के दौरान यह टीम नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी के साथ मिलकर वैज्ञानिक शोध करेगी। इसमें समुद्र में माइक्रोप्लास्टिक की जांच, समुद्री जीवन का दस्तावेजीकरण और समुद्री पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाना शामिल है।
भारत के पिछले अभियान
यह यात्रा विश्व नौकायन गति रिकॉर्ड परिषद के सख्त नियमों के तहत होगी। जहाज सिर्फ पाल से चलेगा, इंजन का इस्तेमाल नहीं होगा। कम से कम 21,600 समुद्री मील की दूरी पूरी करनी होगी। कोई नहर या कृत्रिम रास्ता इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। टीम चार-चार घंटे की शिफ्ट में काम करेगी- नौवहन, पाल संभालना, मरम्मत, खाना बनाना, और बाकी समय आराम करेगी।
दक्षिणी महासागर - सबसे कठिन चरण
यात्रा का सबसे कठिन समय दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 के बीच होगा, जब टीम केप हॉर्न को पार करेगी। इस दौरान समुद्र में बहुत ऊंची लहरें, कड़कड़ाती ठंड और तेज तूफान रहेंगे। इसे नौकायन की अंतिम परीक्षा माना जाता है।
वैज्ञानिक शोध भी करेगा सैन्य दल
यात्रा के दौरान यह टीम नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी के साथ मिलकर वैज्ञानिक शोध करेगी। इसमें समुद्र में माइक्रोप्लास्टिक की जांच, समुद्री जीवन का दस्तावेजीकरण और समुद्री पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाना शामिल है।
भारत के पिछले अभियान
- कैप्टन दिलीप डोंडे (रिटायर्ड)- पहले भारतीय जिन्होंने 2009-10 में अकेले दुनिया का चक्कर लगाया।
- कमांडर अभिलाष टोमी (रिटायर्ड)- 2012-13 में बिना रुके अकेले यात्रा करने वाले पहले भारतीय।
- नाविका सागर परिक्रमा (2017-18)- भारतीय नौसेना की छह महिला अधिकारियों की टीम ने सफलतापूर्वक पूरा किया।
- नाविका सागर परिक्रमा-II (2024-25)- हाल ही में पूरा हुआ।