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Congress Election: मल्लिकार्जुन खरगे अध्यक्ष बने तो कांग्रेस में कितना बदलाव होगा? तीन बिंदुओं में समझें
स्पेशल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु मिश्रा
Updated Mon, 17 Oct 2022 12:37 PM IST
सार
सियासी जानकारों का कहना है कि मल्लिकार्जुन खरगे की जीत लगभग तय है। ऐसे में सवाल उठता है कि खरगे के अध्यक्ष बनने से कांग्रेस को कितना फायदा मिलेगा? क्या पार्टी में बदलाव हो पाएगा? क्या वाकई गांधी परिवार का एकाधिकार कांग्रेस पार्टी से खत्म हो पाएगा? आइए समझते हैं...
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कांग्रेस का अगला अध्यक्ष कौन
- फोटो : अमर उजाला
कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए वोटिंग की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 9,800 से ज्यादा कांग्रेस नेता इसके लिए देश भर में 40 केंद्रों पर बने बूथों पर वोट कर रहे हैं। नए अध्यक्ष का एलान तो अक्तूबर को होगा, लेकिन मल्लिकार्जुन खरगे इस लड़ाई में आगे बताए जा रहे हैं। इसका बड़ा कारण ये है कि गांधी परिवार से लेकर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का समर्थन खरगे को मिला है। इस बात से शशि थरूर नाराज भी हैं। उन्होंने खुलकर अपनी नाराजगी भी जाहिर की है।
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सोनिया गांधी के साथ मल्लिकार्जुन खरगे।
- फोटो : अमर उजाला
खरगे के अध्यक्ष बनने से पार्टी में क्या बदलाव होगा?
इसे समझने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह से बात की। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। एक समय जिस पार्टी की पूरे देश में सरकार हुआ करती थी, आज वो दो राज्यों तक सिमटकर रह गई है। उनमें भी स्थिति ज्यादा बेहतर नहीं है। ऐसे वक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होना, पार्टी के लिए बड़ी बात है। हालांकि, इसके कुछ बिंदुओं पर नजर डालें तो ये बदलाव से ज्यादा विवाद की तरफ बढ़ता दिख रहा है।'
इसे समझने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह से बात की। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। एक समय जिस पार्टी की पूरे देश में सरकार हुआ करती थी, आज वो दो राज्यों तक सिमटकर रह गई है। उनमें भी स्थिति ज्यादा बेहतर नहीं है। ऐसे वक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होना, पार्टी के लिए बड़ी बात है। हालांकि, इसके कुछ बिंदुओं पर नजर डालें तो ये बदलाव से ज्यादा विवाद की तरफ बढ़ता दिख रहा है।'
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शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खरगे।
- फोटो : अमर उजाला
1. पार्टी में फूट पड़ सकती है: पार्टी में कई नेता बदलाव चाहते हैं। खरगे के ऊपर कांग्रेस हाईकमान का हाथ बताया जा रहा है, जबकि थरूर अकेले पड़ गए हैं। ऐसे में पार्टी के अंदर बदलाव चाहने वाले नेता चुनाव बाद बगावती रुख अख्तियार कर सकते हैं। थरूर को युवा कांग्रेसी ज्यादा पसंद करते हैं। केरल व दक्षिण के अन्य राज्यों में भी उनकी अच्छा दखल है। पार्टी में फूट का कांग्रेस को इन राज्यों में नुकसान हो सकता है।
सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ मल्लिकार्जुन खरगे।
- फोटो : अमर उजाला
2. खरगे से ज्यादा गांधी परिवार को ही महत्व मिलेगा: प्रमोद सिंह कहते हैं, ‘2004 से 2014 तक कांग्रेस सत्ता में रही है। तब भी यही देखने को मिला है। भले ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे, लेकिन हर बड़ा फैसला गांधी परिवार की मंजूरी से ही होता था। एक बार तो मनमोहन सरकार की तरफ से पास किए गए अध्यादेश को राहुल गांधी ने भरी संसद में फाड़ दिया था। मतलब साफ है, भले ही अध्यक्ष पद पर मल्लिकार्जुन खरगे बैठैं, लेकिन सारे बड़े फैसले गांधी परिवार की मंजूरी से ही होंगे। अगर ऐसा होता है, तो आने वाले समय में कुछ खास बदलाव देखने को नहीं मिलेगा। इसके उलट शशि थरूर बेबाकी से अपनी बात रखते हैं। उन्होंने अध्यक्ष पद के लिए अपना विजन भी बताया है। वह गांधी परिवार से हटकर भी फैसले ले सकते हैं। मतलब अगर थरूर अध्यक्ष बनते हैं तो जरूर पार्टी में कुछ बड़े बदलाव देखे जा सकते हैं।
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शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खरगे
- फोटो : अमर उजाला
3. एजेंडा साफ नहीं: कहा जाता है कि खरगे वही करते थे, जो उन्हें कहा जाता था। अभी अध्यक्ष पद के लिए भी उनका नामांकन बहुत जल्दबाजी में हुआ। पहले गांधी परिवार राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अध्यक्ष पद के लिए आगे कर रही थी, लेकिन राजस्थान में सियासी ड्रामे के बाद खरगे का नाम लाना पड़ा। अध्यक्ष पद को लेकर खरगे का एजेंडा भी साफ नहीं है। ऐसी स्थिति में अगर वह अध्यक्ष बनते हैं तो भी कोई खास बदलाव हो, इसकी संभावना बहुत कम है।