हम अकसर खबरों में पढ़ते और सुनते हैं कि पाकिस्तान ने सीमा पर सीजफायर का उल्लंघन कर दिया है। कई बार हम अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ भी इससे जुड़ी खबरें साझा करते रहते हैं। सीजफायर की बात करते हुए हमारे मन में सबसे पहले सेना, सीमा और पाकिस्तान का ख्याल ही आता है। लेकिन क्या आपको पता है कि सीजफायर होता क्या है? भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कब, क्यों और कैसे लागू हुआ था? आइए हम आपको बताते हैं इन सभी सवालों के जवाब।
क्या होता है सीजफायर, भारत के खिलाफ पाकिस्तान बार-बार तोड़ता है ये नियम
क्या होता है सीजफायर?
सीजफायर को युद्धविराम भी कहा जाता है। ये किसी भी युद्ध को स्थाई या अस्थाई तौर पर रोकने का एक जरिया है। इसके तहत दोनों पक्ष सीमा पर किसी भी तरह की आक्रामक कार्रवाई नहीं करने का वादा करते हैं। इसे दोनों देशों को बीच हुई औपचारिक संधि भी माना जा सकता है। हालांकि, सीजफायर के लिए औपचारिक संधि जरूरी नहीं है। कई बार दोनों देश आपसी सहमति से भी इसे लेकर फैसला ले लेते हैं। अगर इस समझौते के बाद भी कोई एक पक्ष सीमा पर आक्रमक कार्रवाई करता है तो उसे सीजफायर का उल्लंघन कहा जाता है।
भारत-पाक में कब शुरू हुआ सीजफायर?
आजादी के बाद साल 1947 में भारत और पाकिस्तान में कश्मीर के लिए युद्ध हुआ। इसे शांत कराने के लिए संयुक्त राष्ट्र को बीच में आना पड़ा था। इसके चलते साल 1949 में भारत और पाकिस्तान ने आपसी सहमति से जम्मू-कश्मीर पर एक सीजफायर लाइन स्थापित की। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने एक पत्र जारी किया जिसमें लिखा था कि ये सीजफायर भारत और पाकिस्तान के बीच दुश्मनी दूर करने का प्रतीक है। इसके बाद दोनों देशों के सैन्य प्रमुखों के बीच बैठक हुई, जिसमें सीजफायर लाइन पर सहमती जताई गई।
बैरियर्स समझौता
नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर बैरियर्स समझौते के मुताबिक भारत और पाकिस्तान की सरकारों ने इस बात को माना था कि दोनों देशों की सरकारें एक-दूसरे के खिलाफ किए जाने वाले दुष्प्रचार को रोकने की कोशिश करेंगी। भारत और पाकिस्तान दोनों एक-दूसरे के साथ लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा से सेना हटाएंगे। लेकिन इसका कुछ खास असर नहीं पड़ा और सीजफायर का उल्लंघन लगातार चलता रहा। जिसे देखते हुए साल 1990 में भारत ने एलओसी पर बैरियर्स लगाने का काम शुरू किया। हालांकि इस दौरान भी कई रुकावटें आईं। लेकिन लगातार हो रहे सीजफायर उल्लंघन का नतीजा ये हुआ कि साल 1999 में एक बार फिर दोनों देश युद्ध के लिए आमने-सामने आ गए। इस युद्ध के बाद साल 2004 तक बैरियर्स का काम पूरा हुआ। इसके साथ ही कश्मीर घाटी और जम्मू क्षेत्र में एलओसी की फेंसिग, यानी कंटीले तार लगाने का काम भी पूरा हुआ। पाकिस्तान एलओसी पर बैरियर्स लगाए जाने को लेकर काफी नाराज था। उसका मानना था कि भारत ऐसा द्विपक्षीय संबंधों को बिगाड़ने के लिए कर रहा है।
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2003 सीजफायर समझौता
नवंबर 2003 में भारत के विदेश मंत्रालय ने भारत और पाकिस्तान के बीच आधिकारिक सीजफायर का एलान किया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पहल के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच 25 नवंबर 2003 को सीजफायर लागू हुआ था। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया कि सीजफायर पर चली एक हफ्ते की बैठक के बाद अंतिम रूप दे दिया गया है। इस बैठक में भारत और पाकिस्तान के सेना के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। विदेश मंत्रालय के अनुसार 450 मील लंबी एलओसी, अंतरराष्ट्रीय सीमा और सियाचिन ग्लेशियर पर भी सीजफायर समझौता लागू हुआ।
दोनों देशों के बीच लागू हुए सीजफायर का मकसद एलओसी पर 90 के दशक से जारी गोलीबारी को बंद करना था। उस समय भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे और पाकिस्तान में परवेज मुशर्रफ का सैन्य शासन था। इस समझौते को लेकर तब इंग्लिश मैगजीन लॉस एंजिल्स टाइम्स ने लिखा था कि अमेरिका और यूरोप के दबाव में आकर भारत और पाकिस्तान दोनों ने सीजफायर रोकने का फैसला लिया है।