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Maharashtra : बागी विधायकों की याचिका पर क्या आदेश देगा सुप्रीम कोर्ट, जानें महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष पर आगे क्या होगा?
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु मिश्रा
Updated Mon, 27 Jun 2022 02:34 PM IST
सार
महाराष्ट्र का सियासी घमासान रोचक होता जा रहा है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे एक के बाद एक बागी विधायकों और मंत्रियों पर कार्रवाई कर रहे हैं। इसके खिलाफ शिंदे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में दो याचिका दायर की है।
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बागी विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई।
- फोटो : अमर उजाला
महाराष्ट्र का सियासी घमासान रोचक होता जा रहा है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे एक के बाद एक बागी विधायकों और मंत्रियों पर कार्रवाई कर रहे हैं। पहले उनकी शिकायत पर विधानसभा उपाध्यक्ष ने 16 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए नोटिस जारी किया। अब आज उद्धव ने नौ बागी मंत्रियों के विभाग भी दूसरे मंत्रियों को सौंप दिए हैं।
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सुप्रीम कोर्ट
- फोटो : अमर उजाला
पहले जानिए कोर्ट में दायर याचिका में शिंदे गुट ने क्या-क्या कहा है?
शिंदे गुट की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जेबी पर्दीवाला सुनवाई कर रहे हैं। शिंदे गुट की तरफ से दो याचिकाएं दायर की गईं हैं।
1. अयोग्यता की कार्रवाई के खिलाफ : विधानसभा उपाध्यक्ष की ओर से बागी विधायकों की अयोग्यता को लेकर हो रही कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई है। इसे संविधान के खिलाफ बताया गया है। शिंदे गुट ने कहा कि विधानसभा उपाध्यक्ष की कार्रवाई पक्षपातपूर्ण है। उन्होंने जवाब देने के लिए भी पर्याप्त समय नहीं दिया। याचिका में कहा गया है कि नियम के अनुसार, 14 दिन तक जवाब देने का समय देना चाहिए था।
2. शिंदे को विधायक दल की नेता पद से हटाने के खिलाफ : दूसरी याचिका में उद्धव ठाकरे की ओर से एकनाथ शिंदे को विधायक दल के नेता पद से हटाए जाने का मामला है। शिंदे गुट ने उद्धव ठाकरे की इस कार्रवाई को असंवैधानिक बताया। कहा कि अजय चौधरी को विधायक दल का नेता चुनना संवैधानिक प्रक्रिया के तहत नहीं है। इसके अलावा पार्टी व्हिप पद से गोगावाले को हटाने का भी जिक्र किया गया है। इसे भी गलत ठहराया गया है।
इसी याचिका में शिंदे गुट के विधायकों ने खुद और परिवार की सुरक्षा की मांग की है।
आगे जानिए सुप्रीम कोर्ट में क्या हो सकता है?
शिंदे गुट की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जेबी पर्दीवाला सुनवाई कर रहे हैं। शिंदे गुट की तरफ से दो याचिकाएं दायर की गईं हैं।
1. अयोग्यता की कार्रवाई के खिलाफ : विधानसभा उपाध्यक्ष की ओर से बागी विधायकों की अयोग्यता को लेकर हो रही कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई है। इसे संविधान के खिलाफ बताया गया है। शिंदे गुट ने कहा कि विधानसभा उपाध्यक्ष की कार्रवाई पक्षपातपूर्ण है। उन्होंने जवाब देने के लिए भी पर्याप्त समय नहीं दिया। याचिका में कहा गया है कि नियम के अनुसार, 14 दिन तक जवाब देने का समय देना चाहिए था।
2. शिंदे को विधायक दल की नेता पद से हटाने के खिलाफ : दूसरी याचिका में उद्धव ठाकरे की ओर से एकनाथ शिंदे को विधायक दल के नेता पद से हटाए जाने का मामला है। शिंदे गुट ने उद्धव ठाकरे की इस कार्रवाई को असंवैधानिक बताया। कहा कि अजय चौधरी को विधायक दल का नेता चुनना संवैधानिक प्रक्रिया के तहत नहीं है। इसके अलावा पार्टी व्हिप पद से गोगावाले को हटाने का भी जिक्र किया गया है। इसे भी गलत ठहराया गया है।
इसी याचिका में शिंदे गुट के विधायकों ने खुद और परिवार की सुरक्षा की मांग की है।
आगे जानिए सुप्रीम कोर्ट में क्या हो सकता है?
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एकनाथ शिंदे, उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे
- फोटो : अमर उजाला
1. हाईकोर्ट जाने के लिए कह सकती है : शिंदे गुट ने इस मामले में सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। ऐसे में संभव है कि सुप्रीम कोर्ट पहले इस मामले को हाईकोर्ट ले जाने के लिए कह सकती है। हालांकि, मामले की गंभीरता को देखते हुए सुनवाई जारी भी रख सकती है।
एननाथ शिंदे और शिवसेना के बागी विधायक।
- फोटो : ANI
2. अयोग्यता की कार्रवाई पर रोक लग सकती है : शिंदे गुट के विधायकों पर विधानसभा उपाध्यक्ष की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट रोक लगा सकती है। कोर्ट उद्धव ठाकरे गुट से संख्याबल बताने के लिए कह सकती है। इसके साथ ही दल-बदल कानून का हवाला देते हुए अयोग्यता की कार्रवाई को खारिज कर सकती है।
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महाराष्ट्र विधानसभा
- फोटो : अमर उजाला
3. फ्लोर टेस्ट का आदेश दे सकती है : शिंदे गुट और उद्धव गुट दोनों ही बहुमत होने का दावा कर रहे हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट फ्लोर टेस्ट का आदेश दे सकती है। इसके लिए कोई सीमा भी तय कर सकती है।