भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से मुख्यमंत्री बनने के बाद एकनाथ शिंदे एक्शन में आ गए हैं। एक तरफ जहां उन्हें उद्धव ठाकरे गुट ने शिवसेना से बाहर करने का दावा किया तो दूसरी ओर शिंदे उद्धव के पुराने फैसलों को पलटने में जुट गए हैं। कहा जा रहा है कि फ्लोर टेस्ट के बाद शिंदे कैबिनेट की बैठक करेंगे। इसमें सबसे पहले देवेंद्र फडणवीस के उन योजनाओं को फिर से लागू करने का फैसला होगा जिनपर उद्धव ठाकरे ने सत्ता में आने के रोक लगाई थी।
ऐसे में आइए जानते हैं वो कौन-कौन सी योजनाएं हैं जिनपर फिर से शिंदे सरकार में काम होगा और उद्धव के कौन से फैसले पलटे जा सकते हैं?
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Maharashtra : उद्धव के फैसलों को तेजी से पलट रहे हैं शिंदे, जानें फडणवीस की किन-किन योजनाओं को फिर से करेंगे लागू?
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु मिश्रा
Updated Sun, 03 Jul 2022 09:50 AM IST
सार
भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से मुख्यमंत्री बनने के बाद एकनाथ शिंदे एक्शन में आ गए हैं। एक तरफ जहां उन्हें उद्धव ठाकरे गुट ने शिवसेना से बाहर करने का दावा किया तो दूसरी ओर शिंदे उद्धव के पुराने फैसलों को पलटने में जुट गए हैं।
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महाराष्ट्र में सियासी घमासान
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देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे
- फोटो : अमर उजाला
देवेंद्र फडणवीस की इन योजनाओं को फिर से लागू कर सकते हैं शिंदे
देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री रहते चलाई गई जलयुक्त शिवार योजना को फिर से शुरू करने की तैयारी की जा रही है। कहा जा रहा है कि डिप्टी सीएम फडणवीस ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इस योजना को फिर से शुरू करने की तैयारी की जाए। इसके अलावा, एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली नई सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट मीटिंग में ही फैसला लिया है कि आरे के जंगलों में ही मेट्रो कारशेड बनाया जाएगा। उद्धव ठाकरे की अगुआई वाली महाविकास अघाड़ी सरकार ने इन दोनों योजनाओं पर रोक लगा दी थी।
देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री रहते चलाई गई जलयुक्त शिवार योजना को फिर से शुरू करने की तैयारी की जा रही है। कहा जा रहा है कि डिप्टी सीएम फडणवीस ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इस योजना को फिर से शुरू करने की तैयारी की जाए। इसके अलावा, एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली नई सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट मीटिंग में ही फैसला लिया है कि आरे के जंगलों में ही मेट्रो कारशेड बनाया जाएगा। उद्धव ठाकरे की अगुआई वाली महाविकास अघाड़ी सरकार ने इन दोनों योजनाओं पर रोक लगा दी थी।
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जलयुक्त शिवार
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जलयुक्त शिवार योजना भी फिर से शुरू होगी
जलयुक्त शिवार योजना को फिर से शुरू किया जा सकता है। इसके लिए जल्द प्रस्ताव लाया जाएगा। मुख्यमंत्री रहते हुए देवेंद्र फडणवीस ने सूखे से बचने के लिए पानी बचाने और खेत वाले तालाबों पर जोर दिया था। ये योजना इसी से संबंधित है। सरकार बदलने पर इस योजना में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच शुरू हो गई और मुख्यमंत्री रहते हुए उद्धव ठाकरे ने इसे भी बंद कर दिया था।
जलयुक्त शिवार योजना को फिर से शुरू किया जा सकता है। इसके लिए जल्द प्रस्ताव लाया जाएगा। मुख्यमंत्री रहते हुए देवेंद्र फडणवीस ने सूखे से बचने के लिए पानी बचाने और खेत वाले तालाबों पर जोर दिया था। ये योजना इसी से संबंधित है। सरकार बदलने पर इस योजना में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच शुरू हो गई और मुख्यमंत्री रहते हुए उद्धव ठाकरे ने इसे भी बंद कर दिया था।

जलयुक्त शिवार
- फोटो : अमर उजाला
क्या थी जलयुक्त शिवार योजना?
महाराष्ट्र में सूखे की समस्या को दूर करने के लिए देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने यह योजना शुरू की थी। इसके तहत राज्य के पांच हजार गांवों में पानी की कमी दूर करने के साथ-साथ जल संरक्षण के उपाय करने और सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया था। सबसे पहले उन क्षेत्रों का चयन किया गया था जहां पानी की भारी समस्या थी और जहां के किसान सबसे ज्यादा आत्महत्या कर रहे थे।
इस योजना के तहत गांवों में बरसात के पानी को रोकने के लिए सीमेंट और कंक्रीट के बांध बनाए गए। इसके अलावा, नहरों और तालाबों की खुदाई करके उन्हें गहरा करने का काम शुरू किया गया था। बाद में उद्धव ठाकरे की सरकार ने इस योजना में कथित भ्रष्टाचार की जांच शुरू कर दी और योजना को बंद कर दी थी।
महाराष्ट्र में सूखे की समस्या को दूर करने के लिए देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने यह योजना शुरू की थी। इसके तहत राज्य के पांच हजार गांवों में पानी की कमी दूर करने के साथ-साथ जल संरक्षण के उपाय करने और सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया था। सबसे पहले उन क्षेत्रों का चयन किया गया था जहां पानी की भारी समस्या थी और जहां के किसान सबसे ज्यादा आत्महत्या कर रहे थे।
इस योजना के तहत गांवों में बरसात के पानी को रोकने के लिए सीमेंट और कंक्रीट के बांध बनाए गए। इसके अलावा, नहरों और तालाबों की खुदाई करके उन्हें गहरा करने का काम शुरू किया गया था। बाद में उद्धव ठाकरे की सरकार ने इस योजना में कथित भ्रष्टाचार की जांच शुरू कर दी और योजना को बंद कर दी थी।
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मेट्रो कार शेड
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मेट्रो कार शेड को लेकर क्या विवाद थे?
संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान से सटे 1,287 हेक्टेयर में फैली आरे कॉलोनी को मुंबई के प्रमुख हरित पट्टी के रूप में जाना जाता है। 2019 में, भाजपा-शिवसेना सरकार यहां चल रही मेट्रो परियोजना के लिए साइट पर एक शेड का निर्माण करना चाह रही थी। इस कदम के खिलाफ कुछ स्थानीय नागरिकों और हरित कार्यकर्ताओं ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हालांकि, उच्च न्यायालय ने पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने की मांग वाली इन याचिकाओं को खारिज कर दी थी। इसके बाद मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने पेड़ काटना शुरू कर दिया।
मुंबई नागरिक निकाय ने मेट्रो अधिकारियों को 2,700 पेड़ गिरने की अनुमति दी थी। मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने पेड़ों की कटाई का बचाव करते हुए कहा कि यह केवल आरे कॉलोनी में एक छोटे से क्षेत्र तक ही सीमित है और मुंबईकरों के लिए एक आधुनिक परिवहन व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। ऐसी भी खबरें थीं कि मुंबई मेट्रो रेल के अधिकारियों ने आशंका व्यक्त की थी कि मेट्रो लाइन तीन परियोजना में तीन साल की देरी हो सकती है और अगर लाइन के लिए कार शेड को आरे कॉलोनी से स्थानांतरित कर दिया गया तो इसकी लागत 2,000 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है।
शिंदे सरकार ने उद्धव सरकार के आरे कालोनी में मेट्रो शेड बनाने पर रोक वाले फैसले को पलट दिया है। अब शिंदे सरकार ने एलान किया है कि, मेट्रो कार शेड आरे कालोनी में ही बनेगा। उद्धव सरकार ने आरे कालोनी में मेट्रो शेड के भारी विरोध के बाद शेड को ट्रांसफर करने का फैसला लिया था। लेकिन अब उस फैसले को शिंदे सरकार ने पलट दिया है। लिहाजा इस पर सियासत शुरू हो गई है।
संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान से सटे 1,287 हेक्टेयर में फैली आरे कॉलोनी को मुंबई के प्रमुख हरित पट्टी के रूप में जाना जाता है। 2019 में, भाजपा-शिवसेना सरकार यहां चल रही मेट्रो परियोजना के लिए साइट पर एक शेड का निर्माण करना चाह रही थी। इस कदम के खिलाफ कुछ स्थानीय नागरिकों और हरित कार्यकर्ताओं ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हालांकि, उच्च न्यायालय ने पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने की मांग वाली इन याचिकाओं को खारिज कर दी थी। इसके बाद मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने पेड़ काटना शुरू कर दिया।
मुंबई नागरिक निकाय ने मेट्रो अधिकारियों को 2,700 पेड़ गिरने की अनुमति दी थी। मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने पेड़ों की कटाई का बचाव करते हुए कहा कि यह केवल आरे कॉलोनी में एक छोटे से क्षेत्र तक ही सीमित है और मुंबईकरों के लिए एक आधुनिक परिवहन व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। ऐसी भी खबरें थीं कि मुंबई मेट्रो रेल के अधिकारियों ने आशंका व्यक्त की थी कि मेट्रो लाइन तीन परियोजना में तीन साल की देरी हो सकती है और अगर लाइन के लिए कार शेड को आरे कॉलोनी से स्थानांतरित कर दिया गया तो इसकी लागत 2,000 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है।
शिंदे सरकार ने उद्धव सरकार के आरे कालोनी में मेट्रो शेड बनाने पर रोक वाले फैसले को पलट दिया है। अब शिंदे सरकार ने एलान किया है कि, मेट्रो कार शेड आरे कालोनी में ही बनेगा। उद्धव सरकार ने आरे कालोनी में मेट्रो शेड के भारी विरोध के बाद शेड को ट्रांसफर करने का फैसला लिया था। लेकिन अब उस फैसले को शिंदे सरकार ने पलट दिया है। लिहाजा इस पर सियासत शुरू हो गई है।