फैक्ट-चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर को दिल्ली पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। जुबैर पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप है। कहा जा रहा है कि जुबैर ने गिरफ्तारी से पहले अपना मोबाइल फोन फार्मेट कर दिया था। उन्होंने लैपटॉप व अन्य गैजेट भी छिपा दिए थे।
इसके अलावा उनके अकाउंट में पिछले तीन महीने के अंदर 50 लाख रुपये आए हैं। अब पुलिस इस मामले में भी जांच कर रही है। आइए जानते हैं इस मामले में जुबैर पर कौन-कौन सी धाराओं में मुकदमा दर्ज है? कितनी सजा मिल सकती है?
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Mohammad Zubair: किन धाराओं में हुई है मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी, दोषी हुए तो कितनी हो सकती है सजा?
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु मिश्रा
Updated Tue, 28 Jun 2022 05:41 PM IST
सार
फैक्ट-चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर को दिल्ली पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। जुबैर पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप है। कहा जा रहा है कि जुबैर ने गिरफ्तारी से पहले अपना मोबाइल फोन फार्मेट कर दिया था। उन्होंने लैपटॉप व अन्य गैजेट भी छिपा दिए थे।
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मोहम्मद जुबैर
- फोटो : अमर उजाला
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मोहम्मद जुबैर
- फोटो : Social media
किन-किन धाराओं में मामला दर्ज है?
सोमवार को मोहम्मद जुबैर को एक पुराने मामले में पूछताछ के लिए द्वारका स्थित आईएफएसओ के कार्यालय बुलाया गया था। जांच के दौरान उनके ट्वीट आपत्तिजनक पाए गए। पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस उपायुक्त केपीएस मल्होत्रा के अनुसार, इस माह की शुरुआत में 'पत्रकार जुबैर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153-ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) और 295-ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
सोमवार को मोहम्मद जुबैर को एक पुराने मामले में पूछताछ के लिए द्वारका स्थित आईएफएसओ के कार्यालय बुलाया गया था। जांच के दौरान उनके ट्वीट आपत्तिजनक पाए गए। पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस उपायुक्त केपीएस मल्होत्रा के अनुसार, इस माह की शुरुआत में 'पत्रकार जुबैर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153-ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) और 295-ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
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दिल्ली पुलिस की आईएफएसओ सेल के डीसीपी केपीएस मल्होत्रा
- फोटो : ANI
क्या है आईपीसी की धारा 153 और 295 ए?
भारतीय दंड संहिता 1860 के अध्याय 8 की धारा 153 में दंगा भड़काने के इरादे से उकसाने की प्रक्रिया को लेकर प्रावधान किया गया है। मतलब अगर कोई दंगा भड़काने की नियत से लोगों को उकसाता है या भड़काता है तो उसके खिलाफ इसी धारा में मामला दर्ज होता है।
जुबैर पर दूसरी धारा 295-ए लगी है। इसके तहत वो सभी एक्शन अपराध माने जाते हैं जिसमें कोई व्यक्ति, भारत के किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करने की कोशिश या विद्वेषपूर्ण भावना से उस वर्ग के धर्म या विश्वास का अपमान करता है। ये धारा किसी धर्म का अपमान करने के उद्देश्य से, उपासना स्थल को क्षति पहुंचाने या अपवित्र करने से संबंधित है।
भारतीय दंड संहिता 1860 के अध्याय 8 की धारा 153 में दंगा भड़काने के इरादे से उकसाने की प्रक्रिया को लेकर प्रावधान किया गया है। मतलब अगर कोई दंगा भड़काने की नियत से लोगों को उकसाता है या भड़काता है तो उसके खिलाफ इसी धारा में मामला दर्ज होता है।
जुबैर पर दूसरी धारा 295-ए लगी है। इसके तहत वो सभी एक्शन अपराध माने जाते हैं जिसमें कोई व्यक्ति, भारत के किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करने की कोशिश या विद्वेषपूर्ण भावना से उस वर्ग के धर्म या विश्वास का अपमान करता है। ये धारा किसी धर्म का अपमान करने के उद्देश्य से, उपासना स्थल को क्षति पहुंचाने या अपवित्र करने से संबंधित है।

मोहम्मद जुबैर
- फोटो : अमर उजाला
दोषी पाए गए तो कितनी सजा हो सकती है?
जुबैर की गिरफ्तारी अभी दो धाराओं में हुई है। पहली आईपीसी की धारा 153 और दूसरी 295-ए। आईपीसी की धारा 153 के तहत दो स्थितियां हैं। पहला अगर उपद्रव हो जाता है तब दोषी को पांच साल तक का कारावास हो सकता है। सजा को एक साल के लिए बढ़ाया भी जा सकता है। इसके अलावा अर्थ दंड भी लगाया जा सकता है या फिर दोनों सजा मिल सकती है।
वहीं, अगर उपद्रव नहीं होता है तो ऐसी परिस्थिति में एक अवधि के लिए कारावास जिसे छह माह के लिए बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा अर्थ दंड या फिर कारावास और अर्थ दंड दोनों की सजा मिल सकती है।
आईपीसी की धारा 295-ए के तहत लगे आरोपों में अगर कोई दोषी मिलता है तो उसे दो साल की कारावास की सजा मिल सकती है। इसके अलावा अर्थ दंड या फिर दोनों की सजा मिल सकती है। ये एक गैर जमानती धारा है। ऐसे मामलों की सुनवाई कोई भी मजिस्ट्रेट कर सकता है।
जुबैर की गिरफ्तारी अभी दो धाराओं में हुई है। पहली आईपीसी की धारा 153 और दूसरी 295-ए। आईपीसी की धारा 153 के तहत दो स्थितियां हैं। पहला अगर उपद्रव हो जाता है तब दोषी को पांच साल तक का कारावास हो सकता है। सजा को एक साल के लिए बढ़ाया भी जा सकता है। इसके अलावा अर्थ दंड भी लगाया जा सकता है या फिर दोनों सजा मिल सकती है।
वहीं, अगर उपद्रव नहीं होता है तो ऐसी परिस्थिति में एक अवधि के लिए कारावास जिसे छह माह के लिए बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा अर्थ दंड या फिर कारावास और अर्थ दंड दोनों की सजा मिल सकती है।
आईपीसी की धारा 295-ए के तहत लगे आरोपों में अगर कोई दोषी मिलता है तो उसे दो साल की कारावास की सजा मिल सकती है। इसके अलावा अर्थ दंड या फिर दोनों की सजा मिल सकती है। ये एक गैर जमानती धारा है। ऐसे मामलों की सुनवाई कोई भी मजिस्ट्रेट कर सकता है।
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मोहम्मद जुबैर
- फोटो : अमर उजाला
कौन हैं मोहम्मद जुबैर?
बेंगलुरु के रहने वाले मोहम्मद जुबैर शुरुआत में सुब्रमण्यम स्वामी का पैरोडी फेसबुक पेज चलाते थे। स्वामी की शिकायत के बाद ये पेज फेसबुक ने डिलीट कर दिया था। इसके बाद साल 2017 में जुबैर ने प्रतीक सिन्हा के साथ मिलकर ऑल्ट न्यूज को फैक्ट चेक वेबसाइट के रूप में लॉन्च किया। कुछ दिनों बाद ही दोनों कथित पक्षपात के चलते आलोचकों के निशाने पर आ गए। अपने आपत्तिजनक ट्वीट्स की वजह से जुबैर पहले भी पुलिस के निशाने पर आ चुके थे।
पिछले साल, जुबैर के खिलाफ दिल्ली पुलिस द्वारा 6 अगस्त, 2020 को उनके द्वारा साझा किए गए एक ट्वीट का हवाला देते हुए एनसीपीसीआर की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था। जुबैर ने अपने विवादास्पद ट्वीट में, एक ऑनलाइन झगड़े के दौरान एक नाबालिग लड़की की उसके पिता के साथ हो रही बहस की तस्वीर साझा की थी।
बेंगलुरु के रहने वाले मोहम्मद जुबैर शुरुआत में सुब्रमण्यम स्वामी का पैरोडी फेसबुक पेज चलाते थे। स्वामी की शिकायत के बाद ये पेज फेसबुक ने डिलीट कर दिया था। इसके बाद साल 2017 में जुबैर ने प्रतीक सिन्हा के साथ मिलकर ऑल्ट न्यूज को फैक्ट चेक वेबसाइट के रूप में लॉन्च किया। कुछ दिनों बाद ही दोनों कथित पक्षपात के चलते आलोचकों के निशाने पर आ गए। अपने आपत्तिजनक ट्वीट्स की वजह से जुबैर पहले भी पुलिस के निशाने पर आ चुके थे।
पिछले साल, जुबैर के खिलाफ दिल्ली पुलिस द्वारा 6 अगस्त, 2020 को उनके द्वारा साझा किए गए एक ट्वीट का हवाला देते हुए एनसीपीसीआर की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था। जुबैर ने अपने विवादास्पद ट्वीट में, एक ऑनलाइन झगड़े के दौरान एक नाबालिग लड़की की उसके पिता के साथ हो रही बहस की तस्वीर साझा की थी।