दक्षिण कश्मीर के पहलगाम के बायसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में एक पीड़ित परिवार की आपबीती सामने आई है। पीड़ित युवती ने बताया कि जब आतंकवादी आए तो उनका परिवार डर के मारे टेंट के अंदर छिपा हुआ था। उन्होंने युवती के 54 वर्षीय पिता संतोष जगदाले से कहा कि वे बाहर आकर एक इस्लामी आयत पढ़ें। जब वे ऐसा नहीं कर पाए, तो उन्हें तीन बार गोली मारीं। आतंकी ने एक गोली उनके सिर में, फिर कान के पीछे और फिर पीठ में गोली मारी।
दहशत की कहानी पीड़ित की जुबानी: 'आतंकी ने पिता से इस्लामिक आयत पढ़ने को कहा... नहीं सुना पाए तो मारी गोलियां'
पीड़ित युवती ने बताया कि उनका परिवार यहां पर छुट्टियां मनाने आया था। आतंकियों ने उनके पिता संतोष जगदाले से कहा कि वे बाहर आकर एक इस्लामी आयत पढ़ें। जब वे ऐसा नहीं कर पाए, तो उन्हें तीन बार गोली मारीं।
पुणे के व्यवसायी की 26 वर्षीय बेटी असावरी जगदाले ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण हमले में परिवार को किस तरह की दहशत का सामना करना पड़ा। उसके पिता के जमीन पर गिर जाने के बाद, बंदूकधारियों ने उसके बगल में लेटे उसके चाचा पर हमला किया और उनकी पीठ में कई गोलियां मार दीं। असावरी को नहीं पता कि उसके पिता और चाचा जीवित हैं या मर चुके हैं।
स्थानीय पुलिस जैसे कपड़े पहनकर आए आतंकी
वह, उसकी मां और एक अन्य महिला रिश्तेदार बच गईं और स्थानीय लोगों व सुरक्षाबलों ने उन्हें दूसरी जगह पहुंचाया। उन्होंने बताया कि परिवार वहां पर छुट्टियां मना रहा था, जब उन्होंने पास की पहाड़ी से उतरते हुए "स्थानीय पुलिस जैसे कपड़े पहने लोगों" द्वारा गोलीबारी की आवाज सुनी।
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गोलियां चलने पर लोग एक टेंट में छिप गए
गोलियां चलने की आवाज सुनकर हम तुरंत सुरक्षा के लिए पास के एक टेंट में भाग गए। छह से सात अन्य (पर्यटक) भी वहां मौजूद थे। हम सभी गोलीबारी से बचने के लिए जमीन पर लेट गए, हमने तब लगा कि आतंकवादियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच गोलीबारी हो रही। असावरी बताया कि आतंकवादियों का समूह पहले पास के एक टेंट में आया और गोलीबारी शुरू कर दी। फिर वे हमारे टेंट में आए और मेरे पिता को बाहर आने को कहा। आंतकियों ने कहा 'चौधरी तू बाहर आ जा'।
आंतकियों ने पीएम मोदी का समर्थन करने का आरोप लगाया
इसके बाद आतंकवादियों ने उन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन करने का आरोप लगाया। फिर उन्होंने उनके पिता से एक इस्लामी आयत सुनाने को कहा। जब वह ऐसा करने में विफल रहे, तो उन्होंने उन पर तीन गोलियां चलाईं। उन्होंने मौके पर मौजूद कई अन्य पुरुषों को गोली मारी। मदद के लिए कोई नहीं था। कोई पुलिस या सेना नहीं थी। गोलीबारी दोपहर करीब 3.30 बजे हुई थी।
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