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National Pollution Control Day: वायु प्रदूषण के कारण श्वसन ही नहीं इस मानसिक रोग का भी बढ़ जाता है खतरा, बरतें सावधानी

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Abhilash Srivastava Updated Thu, 02 Dec 2021 12:03 AM IST
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Air pollution may increase risk of depression, warns Study
प्रदूषण से होने वाली हानियां - फोटो : Pixabay
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दीपावली के बाद से राजधानी दिल्ली में बढ़ा वायु प्रदूषण गंभीर चिंता का कारण बना हुआ है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक सांस के रोगियों के लिए ऐसा दूषित वातावरण गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकता है। इस बीच हाल ही में हुए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने वायु प्रदूषण के एक और जोखिम के बारे में लोगों को सचेत किया है। जर्नल पीएनएएस में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार वायु प्रदूषण के कणों के लगातार संपर्क में रहने वाले लोगों को अवसाद यानि की डिप्रेशन का खतरा अधिक होता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक जिन लोगों में डिप्रेशन का आनुवांशिक जोखिम अधिक होता है, ऐसे लोगों को लिए वायु प्रदूषण वाला वातावरण बहुत ही नुकसानदायक हो सकता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक वातावरण में बढ़ा प्रदूषण हमारी सेहत को कई प्रकार से नुकसान पहुंचाता है, इससे होने वाली मानसिक स्वास्थ्य के जोखिम को लेकर भी लोगों को सतर्कता बरतनी चाहिए। आइए आगे की स्लाइडों में इस बारे में विस्तार से जानते हैं। 

 
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Air pollution may increase risk of depression, warns Study
बढ़ सकता है डिप्रेशन का खतरा - फोटो : Pixabay
वायु प्रदूषण के कारण अवसाद का खतरा
40 से अधिक देशों के एक अंतरराष्ट्रीय आनुवंशिक संघ से एकत्रित डेटा में वैज्ञानिकों ने वायु प्रदूषण, न्यूरोइमेजिंग, मस्तिष्क जीन अभिव्यक्ति के बीच के संबंधों का अध्ययन करके यह निर्णय निकाला है। वैज्ञानिकों का कहना है कि वायु प्रदूषण सिर्फ श्वसन रोगों ही नहीं, मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। इस बारे में लोगों को विशेष सावधान रहने की आवश्यकता है। 
अमेरिका स्थित लिबर इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रेन डेवलपमेंट के प्रोफेसर हाओ यांग टैन कहते हैं-
यह अपनी तरह का खास अध्ययन है जिससे पता चलता है कि वायु प्रदूषण कुछ जीन की अभिव्यक्ति में बदलाव करके मस्तिष्क की महत्वपूर्ण संज्ञानात्मक क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
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प्रदूषण का मस्तिष्क पर असर - फोटो : pixabay
जीन को प्रभावित करता है वायु प्रदूषण
चीन के पेकिंग विश्वविद्यालय के सहयोग से किए गए इस अध्ययन के प्रमुख प्रोफेसर हाओ यांग टैन कहते हैं, सभी लोगों में अवसाद विकसित होने की अलग-अलग प्रवृत्ति होती है, वहीं कुछ लोगों के जीन में ही इसका उच्च जोखिम हो सकता है। वैसे तो इसका मतलब यह नहीं है कि उस व्यक्ति को निश्चित ही अवसाद होगा, हालांकि यदि वायु प्रदूषण जैसे कुछ जोखिम कारक बढ़ जाएं तो डिप्रेशन का खतरा भी बढ़ जाता है।
Air pollution may increase risk of depression, warns Study
वायु प्रदूषण का मस्तिष्क पर असर - फोटो : Pixabay
अध्ययन में क्या पता चला?
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह ऐसा पहला खास अध्ययन है जिसमें यह पता चलता है कि मस्तिष्क के भावनात्मक और संज्ञानात्मक कार्यों तथा अवसाद के खतरे को वायु प्रदूषण किस तरह से बढ़ा सकता है। अध्ययन में अवसाद के लिए जिन दो महत्वपूर्ण कारकों के बारे में पता चला है वह हैं- हवा की खराब गुणवत्ता और जीन का खतरा। वैज्ञानिकों का कहना है कि जिन हिस्सों में वायु प्रदूषण का खतरा अधिक होता है, वहां संभव है कि लोग अवसाद के शिकार भी अधिक हों।
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अवसाद के जोखिम को समझिए - फोटो : Pixabay
अध्ययन का निष्कर्ष
प्रोफेसर हाओ यांग टैन कहते हैं, इस अध्ययन के आधार पर मस्तिष्क के कार्यों और अवसाद की आशंका को वायु प्रदूषण किस तरह से प्रभावित कर सकता है, इस बारे में जाना जा सकता है। यह शोध दुनियाभर के नीति निर्माताओं के लिए भी महत्वपूर्ण है ताकि प्रदूषण के जोखिम को समझते हुए इस दिशा में कदम उठाए जाएं। वैज्ञानिकों के मुताबिक सभी लोगों को स्वयं से वायु प्रदूषण के खतरे को समझते हुए भी इससे बचाव के उपायों को प्रयोग में लाते रहने की आवश्यकता है। 


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स्रोत और संदर्भ

Air pollution interacts with genetic risk to influence cortical networks implicated in depression

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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