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चिंता: बुजुर्ग ही नहीं बच्चों में भी बढ़ रहे गठिया के मामले, क्या है इसकी वजह? डॉक्टर्स ने बताया

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Tue, 06 May 2025 09:40 PM IST
सार

ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेस (एम्स) ने एक रिपोर्ट में बताया कि हर वर्ष 250-300 बच्चे गठिया की समस्या के उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। रोग आनुवांशिक होने पर बच्चों में इसका जोखिम और अधिक बढ़ जाता है।

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बच्चों में आर्थराइटिस की समस्या - फोटो : Freepik.com

आर्थराइटिस (हड्डियों की समस्या) पूरे शरीर की संरचना को प्रभावित करने वाली हो सकती है। आमतौर पर इसे उम्र बढ़ने के साथ होने वाली समस्या के तौर पर जाना जाता है, पर हाल के कई आंकड़े बताते हैं कि कम उम्र के लोग, यहां तक कि बच्चे भी इसका शिकार हो रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बच्चों में आर्थराइटिस होना उनके पूरे जीवन को प्रभावित करने वाला हो सकता है। 

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बचपन में गठिया या जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस (जेआईए) को मुख्य रूप से स्वास्थ्य विशेषज्ञ ऑटोइम्यून डिजीज मानते हैं, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ कोशिकाओं पर अटैक कर देती है जिससे बच्चों में जोड़ों में सूजन और दर्द की दिक्कत हो सकती है।

कुछ अध्ययन बताते हैं कि जेआईए की स्थिति जोड़ों के अलावा शरीर के अन्य भागों जैसे कि आंखों और किडनी को भी प्रभावित कर सकती है। अगर इसका उपचार न किया जाए तो इसके कारण कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधित जटिलताओं का भी खतरा बढ़ जाता है।

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हड्डियों की बीमारी - फोटो : Freepik.com

बच्चों में बढ़ रहे हैं आर्थराइटिस के मामले

हाल ही में ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेस (एम्स) ने एक रिपोर्ट में बताया कि हर वर्ष 250-300 बच्चे गठिया की समस्या के उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। रोग आनुवांशिक होने पर बच्चों में इसका जोखिम और अधिक बढ़ जाता है।

बीमारी के बढ़ते खतरे को लेकर डॉक्टरों ने लोगों से जागरूकता की अपील की है ताकि उपचार के लिए इधर-उधर न भटकें। समय पर उपचार और थेरेपी के माध्यम से गठिया के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है।

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बच्चों में गठिया की समस्या के कारण - फोटो : Freepik.com

पीडियाट्रिक रूमेटिक डिसऑर्डर

बच्चों में पीडियाट्रिक रूमेटिक डिसऑर्डर संबंधी मिथकों और तथ्यों को लेकर एम्स के डॉक्टरों ने हाल ही में बताया कि जागरूकता न होने की वजह से ज्यादातर बच्चों के उपचार में देरी होती है। इस कारण जोड़ों को स्थायी तौर पर नुकसान पहुंचता है। यह बीमारी जोड़ों को ही नहीं किडनी सहित शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित करती है।

चूंकि ये सोच रही है कि आर्थराइटिस सिर्फ उम्र बढ़ने के साथ होती है इसलिए बच्चों में इसके लक्षणों पर ध्यान  नहीं दिया जाता है, जिसके कारण उनका समय पर इलाज नहीं हो पाता है।

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बच्चों में आर्थराइटिस की समस्या - फोटो : Freepik.com

कैसे जानें कहीं आपका बच्चा भी तो नहीं हो गया शिकार?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, आर्थराइटिस के लक्षण बड़े उम्र वाले लोगों की ही तरह बच्चों में भी देखे जाते हैं। हालांकि बीमारी का समय पर पता न चल पाने का एक बड़ा कारण ये रहता है कि बच्चे अपनी समस्या को पहचान नहीं पाते हैं और  जोड़ों के दर्द की शिकायत नहीं कर पाते।

  • अगर आपका बच्चा अक्सर लंगड़ाता है, खासकर सुबह के समय तो ये जोड़ों की समस्या का संकेत हो सकता है।
  • आर्थराइटिस की स्थिति में जोड़ों की सूजन होना आम है, इसके अलावा बच्चों के जोड़ अधिक कठोर हो सकते हैं।

बच्चों में आर्थराइटिस की स्थिति चूंकि शरीर के कई अन्य हिस्सों की भी दिक्कतें बढ़ा सकती है इसलिए समय रहते इसका पता लगाना और इलाज बहुत जरूरी है।

जुवेनाइल आर्थराइटिस के उपचार के दौरान मुख्य प्रयास बच्चे को शारीरिक रूप से स्वस्थ रखना और दर्द को कम करने का होता है। डॉक्टर दर्द और सूजन को दूर करने, चलने में कोई कठिनाई न हो और हड्डियां मजबूत रहें इसके लिए दवाओं और थेरेपी का प्रयोग करते हैं।


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नोट: 
यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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