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Alert: कोरोना तो गया पर अब भारत में गंभीर स्वास्थ्य संकट बनकर उभर रही है ये समस्या, डॉक्टरों ने किया सावधान

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Fri, 26 Dec 2025 12:59 PM IST
सार

  • विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कोरोना महामारी के बाद वायु प्रदूषण शायद भारत के सामने आया सबसे बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है।
  • अगर तुरंत इसे कंट्रोल करने की दिशा में कार्रवाई नहीं की गई तो यह हर साल और गंभीर संकट बढ़ाता जाएगा। 

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doctors warning Air pollution is biggest public health crisis after covid pandemic in india
भारत में बढ़ती गंभीर बीमारियों का खतरा - फोटो : Amarujala.com

New Health Crisis In India: साल 2019 के आखिरी के महीनों में दुनियाभर में कोरोना महामारी की शुरुआत हुई थी। देखते ही देखते ये संक्रामक रोग वैश्विक स्वास्थ्य जोखिम बन गया। करोड़ों लोग इस वायरस की चपेट में आए और बड़ी संख्या में लोगों की जान गई। मसलन करीब तीन दशकों में कोरोना को दुनियाभर के लिए सबसे गंभीर स्वास्थ्य संकट कहा जा सकता है।



समय के साथ कोरोना का असर तो कम हो गया है, हालांकि एक नई संकट को लेकर वैज्ञानिकों के बीच गंभीर चिंता देखी जा रही है। विशेषकर भारतीय आबादी के बीच बढ़ते इस स्वास्थ्य जोखिम को लेकर विशेषज्ञ अलर्ट कर रहे हैं।

यूके-स्थित भारतीय मूल के श्वसन रोग विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कोरोना महामारी के बाद वायु प्रदूषण शायद भारत के सामने आया सबसे बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है। अगर तुरंत इसे कंट्रोल करने की दिशा में कार्रवाई नहीं की गई तो यह हर साल और गंभीर संकट बढ़ाता जाएगा। वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में अगर भारत ने प्रभावी कदम न उठाए तो आने वाले वर्षों में इसके गंभीर दुष्प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं।

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भारत में बढ़ता गंभीर स्वास्थ्य संकट - फोटो : ANI

वायु प्रदूषण के कारण आ सकती है सांस की बीमारियों की लहर

डॉक्टर्स की टीम ने चेताया है कि बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण सांस की बीमारियों की एक बड़ी लहर आने वाली है, इसका अभी तक ठीक से पता नहीं चल पाया है और न ही इसका इलाज हो रहा है। ये स्वास्थ्य सेवाओं पर आने वाले वर्षों में अतिरिक्त दबाव भी बढ़ाने वाली स्थिति हो सकती है जिसको लेकर सभी लोगों को अलर्ट हो जाना चाहिए।

न्यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत करते हुए यूके में प्रेक्टिस करने वाले कई सीनियर डॉक्टरों ने जोर देकर कहा कि भारतीय आबादी पर सांस की बीमारियों का एक बड़ा संकट आने की आशंका है। इसकी लहर भारतीय नागरिकों और इसकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर एक भारी और दीर्घकालिक असर डालने वाली हो सकती है।

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भारतीय आबादी में हृदय रोगों का खतरा - फोटो : adobe stock photos

दिल की बीमारियों का पहले से ही जोखिम

विशेषज्ञों की टीम ने कहा, पिछले एक दशक में दिल की बीमारियों में वैश्विक स्तर पर बढ़ोतरी हुई है। इसके लिए सिर्फ मोटापा ही जिम्मेदार नहीं है, बल्कि अध्ययनों में पाया गया है कि शहरी ट्रांसपोर्ट से निकलने वाले जहरीले धुएं के संपर्क ने भी लोगों में इसका जोखिम बढ़ाया है। ऑटोमोबाइल और विमान से होने वाला प्रदूषण भी दिल की सेहत को क्षति पहुंचाते हुए देखा गया है।

भारत में दिल की बीमारियों का बोझ हम पहले से ही झेल रहे हैं, इस पर सांस की समस्याएं अगर बढ़ीं तो स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर असर होने का खतरा है।


(ये भी पढ़िए- प्रदूषण ने तोड़ी सांसों की डोर, पीएम 2.5 के कारण 2022 में देश में 17 लाख से ज्यादा मौतें)

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फेफड़े और सांस की बढ़ती समस्याएं - फोटो : Freepik.com

देश में बढ़ रहे हैं सांस के मरीज

डॉक्टरों ने बताया कि अकेले इस साल दिसंबर में दिल्ली के अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या में 20 से 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई, जिसमें बड़ी संख्या उन मरीजों की है जो पहली बार सांस की समस्याओं का शिकार हुए हैं। 

यूके की नेशनल हेल्थ सर्विस के विशेषज्ञों ने कहा, प्रदूषण नियंत्रण और रोकथाम के उपाय जरूरी तो हैं, लेकिन अब वे अकेले काफी नहीं हैं। भारत ने पहले भी दिखाया है कि बड़े पैमाने पर पब्लिक हेल्थ इंटरवेंशन संभव हैं। सरकारी पहलों ने शुरुआती जांच और इलाज कार्यक्रमों के जरिए टीबी को काफी कम किया है। अब सांस की बीमारियों के लिए भी इसी तरह की तेजी और निवेश की जरूरत है।

सरकार ने हाल ही में संसद में दोहराया कि वायु प्रदूषण से मृत्युदर या बीमारी के बीच सीधा संबंध स्थापित करने वाला कोई पक्का डेटा नहीं है।

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वायु प्रदूषण को कंट्रोल करना जरूरी - फोटो : Freepik.com

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

लंदन के सेंट जॉर्ज यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट राजय नारायण कहते हैं, कई वैज्ञानिक सबूत हैं जो बताते हैं कि वायु प्रदूषण कई गंभीर बीमारियों का सीधा कारण है। इनमें कार्डियोवैस्कुलर रोग, श्वसन समस्या, न्यूरोलॉजिकल और सिस्टमिक बीमारियां शामिल हैं।

संसद के शीतकालीन सत्र में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा पेश किए गए डेटा में बताया गया कि पिछले तीन वर्षों में दिल्ली में गंभीर सांस की बीमारी के दो लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए, जिनमें से लगभग 30,000 मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ी।

विशेषज्ञों की टीम ने चेताया है कि वायु प्रदूषण को अगर कंट्रोल करने के प्रभावी तरीके न अपनाए गए तो ये खतरा आने वाले वर्षों में और भी बढ़ सकता है। 



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स्रोत:
Air pollution India's biggest health crisis since Covid, warn doctors


अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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