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Winter Tips: ठंड के दिनों कम पानी पीना हो सकता है खतरनाक, इन गंभीर बीमारियों का बढ़ जाता है जोखिम

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिखर बरनवाल Updated Thu, 25 Dec 2025 08:11 PM IST
सार

Less Water Intake Risks: अक्सर लोग जाने अनजाने में ठंड के मौसम में पानी पीना भूल जाते हैं। इसके पीछे का एक बड़ा कारण है कि इस मौसम में ठंड की वजह से प्यास कम लगता है। मगर ये आदत आपके सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। आइए इस लेख में इसी के बारे में जानते हैं।

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Winter Tips Drinking Less Water in Severe Cold Can Increase the Risk of These Diseases
ठंड में कम पानी पीने के नुकसान - फोटो : Amar Ujala

Disadvantages of Drinking Less Water in Cold:  सर्दियों के मौसम में अक्सर हमें प्यास का अहसास कम होता है, जिसके कारण हम अनजाने में ही पानी का सेवन बहुत कम कर देते हैं। मगर स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, यह लापरवाही शरीर के लिए घातक साबित हो सकती है। कड़ाके की ठंड में हवा शुष्क होती है, और सांस लेने व पसीने के माध्यम से शरीर से नमी लगातार बाहर निकलती रहती है। जब हम पर्याप्त पानी नहीं पीते, तो हमारा खून गाढ़ा होने लगता है, जिससे हृदय को पंप करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है। 



इसके परिणाम स्वरूप ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और थक्के जमने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा कम पानी पीने से शरीर के टॉक्सिन्स बाहर नहीं निकल पाते, जिससे मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है और इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। लोग अक्सर गर्म चाय या कॉफी को पानी का विकल्प मान लेते हैं, जबकि कैफीन युक्त पेय शरीर को और अधिक डिहाइड्रेट करते हैं।

सर्दियों में डिहाइड्रेशन को 'साइलेंट किलर' माना जा सकता है क्योंकि इसके लक्षण प्यास के बजाय थकान, सिरदर्द और चक्कर के रूप में सामने आते हैं। इसलिए आइए इस लेख में जानते हैं कि ठंड के मौसम में कम पानी पीने से किन बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है।

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किडनी में पथरी की शिकायत - फोटो : Adobe Stock

किडनी स्टोन और यूरिन इन्फेक्शन का खतरा
पानी की कमी का सबसे सीधा असर हमारे गुर्दों पर पड़ता है। कम पानी पीने से मूत्र गाढ़ा हो जाता है, जिससे कैल्शियम और अन्य खनिज किडनी में जमा होकर पत्थरी का रूप ले लेते हैं। इसके साथ ही मूत्राशय में बैक्टीरिया जमा होने लगते हैं, जिससे यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक सर्दियों में भी दिन भर में कम से कम 8-10 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए।


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पेट की समस्या - फोटो : Freepik.com
त्वचा का रूखापन और पाचन संबंधी समस्याएं
पर्याप्त पानी न मिलने पर शरीर त्वचा से नमी खींचने लगता है, जिससे चेहरा बेजान, होंठ फटने और खुजली जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। पाचन तंत्र पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है, पानी की कमी से मल सख्त हो जाता है, जिससे पुरानी कब्ज और एसिडिटी की समस्या बढ़ जाती है। सर्दियों में गुनगुना पानी पीने से न केवल पाचन सुचारू रहता है, बल्कि यह शरीर के आंतरिक तापमान को भी स्थिर बनाए रखने में मदद करता है।


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हार्ट अटैक - फोटो : adobe stock images

हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का बढ़ता जोखिम
भीषण ठंड में डिहाइड्रेशन के कारण खून का गाढ़ापन बढ़ना सीधे तौर पर कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। जब खून गाढ़ा होता है, तो धमनियों में रुकावट की आशंका बढ़ जाती है, जो हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का मुख्य कारण बनती है। विशेषकर बुजुर्गों और हृदय रोगियों को सर्दियों में पानी के लेवल का खास ख्याल रखना चाहिए ताकि ब्लड सर्कुलेशन सामान्य बना रहे और अंगों तक ऑक्सीजन सही ढंग से पहुंचे।

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पीने का पानी - फोटो : Adobe Stock
सर्दियों में ऐसे रखें खुद को हाइड्रेटेड
सर्दियों में पानी की कमी दूर करने के लिए केवल सादे पानी पर निर्भर न रहें। अपनी डाइट में सूप, हर्बल टी, और मौसमी रसीले फल जैसे संतरा और अंगूर शामिल करें। हर एक घंटे में एक गिलास गुनगुना पानी पीने का अलार्म सेट करें। अगर आपको सादा पानी पीने में परेशानी हो रही है, तो इसमें नींबू या पुदीना मिलाकर 'डिटॉक्स वॉटर' बना लें। याद रखें, प्यास लगने का इंतजार करना डिहाइड्रेशन का अंतिम चरण है, इसलिए पहले से ही सतर्क रहें।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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