Obesity Risk: मोटापे से छुटकारा पाना होगा आसान, वैज्ञानिकों ने ढूंढ निकाला इसका असरदार उपाय
- ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक ऐसी खोज दावा किया है जो न सिर्फ मोटापा घटाने में मदद करती है बल्कि ये उस तरह से शरीर में काम करती है कि आप लंबे समय तक इस समस्या से बचे रह सकें।
विस्तार
दुनियाभर में तेजी से बढ़ती मोटापे की समस्या स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए गंभीर चिंता का कारण बनी हुई है। मोटापे को डायबिटीज, हृदय रोग जैसी बीमारियों का प्रमुख कारण भी माना जाता है, लिहाजा इसके चलते स्वास्थ्य सेवाओं पर अतिरिक्त दबाव भी बढ़ता जा रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की साल 2022 की रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में एक अरब से ज्यादा लोग मोटापे का शिकार थे, जो दुनिया की आबादी का लगभग 12.5% था। इसमें 890 मिलियन (89 करोड़) वयस्क और 390 मिलियन (39 करोड़) से ज्यादा बच्चे और किशोर शामिल थे। साल 1990 के बाद से वयस्कों में मोटापे के मामले में दोगुना और किशोरों में चार गुना बढ़ोतरी देखी गई है, जोकि स्पष्ट दर्शाती है कि हाल के दशकों में लोगों के खान-पान और लाइफस्टाइल में गड़बड़ी तेजी से बढ़ी है।
बदलती दिनचर्या, गड़बड़ खानपान, शारीरिक गतिविधियों में कमी और तनाव जैसी स्थितियों का मोटापे को बढ़ाने में सबसे ज्यादा योगदान है। वजन घटाने के लिए लोग डाइटिंग, जिम, योग और कई तरह के घरेलू उपाय आजमाते हैं, लेकिन हर किसी के लिए वजन कम करना आसान नहीं होता। पर अब आपकी ये टेंशन कम होने वाली है, आइए जानते हैं कैसे?
मोटापा कम करने वाले तरीकों का अध्ययन
हाल के वर्षों में वैज्ञानिक लगातार अध्ययन कर रहे हैं कि तेजी से बढ़ती इस वैश्विक स्वास्थ्य जोखिम को कैसे कम किया जा सकता है?
इसी क्रम में ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों की टीम ने एक ऐसी खोज दावा किया है जो न सिर्फ मोटापा घटाने में मदद करती है बल्कि ये उस तरह से शरीर को तैयार करती है कि आप लंबे समय तक इस समस्या से बचे रह सकें।
माइटोकॉन्ड्रियल अनकपलर्स खोलेगा मोटापा कम करने का रास्ता
वैज्ञानिकों ने माइटोकॉन्ड्रिया (जो सेल का एनर्जी पावरहाउस होता है) को टारगेट करने वाली एक्सपेरिमेंटल दवाएं बनाई हैं, ताकि इससे कैलोरी बर्निंग की प्रक्रिया बढ़ सके। इससे मोटापे के नए इलाज का रास्ता खुल सकता है।
ऑस्ट्रेलिया स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी सिडनी के वैज्ञानिकों के नेतृत्व वाली टीम ने "माइटोकॉन्ड्रियल अनकपलर्स" पर फोकस किया, ये ऐसे मॉलिक्यूल्स हैं जो कुशलता से कैलोरी बर्न करने में मदद करते हैं।
मेडिसिनल केमिस्ट्री के एसोसिएट प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता ट्रिस्टन रॉवलिंग कहते हैं, माइटोकॉन्ड्रिया को अक्सर सेल का पावरहाउस कहा जाता है। ये आपके खाए गए खाने को केमिकल एनर्जी में बदलते हैं, जिसे एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट कहा जाता है। माइटोकॉन्ड्रियल अनकपलर्स इस प्रोसेस को बाधित करते हैं, जिससे सेल्स अपनी एनर्जी की जरूरतों को पूरा करने के लिए ज्यादा फैट का इस्तेमाल करते हैं।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक?
वैज्ञानिकों ने कहा, वैसे तो माइटोकॉन्ड्रियल अनकपलिंग करने वाले यौगिकों की खोज एक सदी से पहले ही हो चुकी है, लेकिन ये दवाएं जानलेवा पाई गई थीं। अब हमने मॉलिक्यूल्स के केमिकल स्ट्रक्चर को ठीक से संयोजित करके ज्यादा सुरक्षित 'हल्के' माइटोकॉन्ड्रियल अनकपलर्स को तैयार किया है। इस खोज से आगे वैज्ञानिकों को बेहतर ढंग से यह समझने में मदद मिलेगी कि सुरक्षित मॉलिक्यूल्स अलग तरह से व्यवहार क्यों करते हैं।
शोधकर्ताओं ने कहा कि हालांकि यह काम अभी शुरुआती स्टेज में है, लेकिन ये नई तरह की दवाओं को डिजाइन करने में मदद कर सकती हैं जिससे वजन घटाने में लाभ मिल सकता है, साथ ही लोग बिना किसी खतरे के इसका इस्तेमाल कर सकेंगे।
नोवो नॉर्डिस्क की दवा भी मार्केट में
इससे पहले 22 दिसंबर को अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने नोवो नॉर्डिस्क (NOVOb.CO) की वेट-लॉस पिल को मंजूरी दी थी इसको लेकर वैज्ञानिकों की टीम में खासा उत्साह है। एफडीए ने वजन घटाने वाली दवा वेगोवी के पिल वर्जन को मंजूरी दी थी। दिन में एक बार ली जाने वाली यह गोली, इंजेक्शन की जगह पर इस्तेमाल की जा सकती है। पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
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स्रोत:
Obesity and mitochondrial uncoupling – an opportunity for the carbon monoxide-based pharmacology of metabolic diseases
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