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Exclusive: शरीर से भी बड़ा हो गया था सिर का आकार, हुआ सफल ऑपरेशन, आपके बच्चे को भी हो सकती है ऐसी दिक्कत

Abhilash Srivastava अभिलाष श्रीवास्तव
Updated Sat, 24 Sep 2022 02:35 PM IST
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Exclusive RIMS doctors successfully operated enlarged head, know cognitive hydrocephalus details
बच्ची के सिर का आकार उसके शरीर से भी हो गया था बड़ा। - फोटो : Amarujala exclusive
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जन्म के समय सामान्य बच्चे की औसत लंबाई 47-52 सेंटीमीटर जबकि उसके सिर का माप 35 सेंटीमीटर के आसपास का होता है। हालांकि कॉग्नेटिव हाइड्रोसेफ्लस जैसी स्थितियों में सिर का आकार सामान्य से अधिक हो जाता है। क्या हो अगर किसी बच्चे के सिर का ही माप उसके शरीर की कुल लंबाई से अधिक हो जाए? राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स, रांची) के डॉक्टर्स ने एक ऐसे ही बच्चे की सफल सर्जरी की है जिसके सिर का माप (75 सेंटीमीटर) उसके शरीर से भी बड़ा हो गया था। सर्जरी के बाद फिलहाल बच्ची को डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है, वह स्वस्थ है।

कॉग्नेटिव हाइड्रोसेफ्लस एक अतिदुर्लभ समस्याओं में से एक है। 10 हजार नवजातों में से औसत 30-32 बच्चों में इस प्रकार के विकार देखे जाते हैं। डॉक्टर्स कहते हैं, इस तरह की समस्याओं का पता गर्भावस्था के दौरान होने वाले जांच या फिर जन्म के बाद ही लगाया जा सकता है। बच्चों में होने वाली ब्रेन सर्जरी के लिए कॉग्नेटिव हाइड्रोसेफ्लस की समस्या को प्रमुख कारक के तौर पर देखा जाता रहा है।

हाइड्रोसेफ्लस असल में दो ग्रीक शब्दों हाइड्रो (जिसका अर्थ है पानी) और सेफ्लस (जिसका अर्थ है सिर) से मिलकर बना है। मतलब इस स्थिति में बच्चे के सिर में तेजी से द्रव की मात्रा बढ़ने लगती है जिससे सिर का आकार भी बढ़ जाता है। इस केस की ही तरह कुछ स्थितियों में सिर का आकार शरीर के बराबर या उससे बड़ा भी हो सकता है। आइए इस दुर्लभ समस्या के बारे में जानते हैं।
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बच्ची के सिर का आकार हो गया था 75 सेंटीमीटर से अधिक - फोटो : Amarujala exclusive
शरीर से बड़ा हो गया था माथे का आकार

रिम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग में डॉक्टर प्रोफेसर अनिल कुमार के नेतृत्व में डॉक्टर विकास कुमार और डॉ दीपक ने 2 साल 7 महीने की बच्ची में दुर्लभ कॉग्नेटिव हाइड्रोसेफ्लस का सफल ऑपरेशन किया है। डॉक्टर्स बताते हैं, जन्म के समय ही बच्ची में इस विकार का निदान किया गया था, हालांकि कोविड-19 महामारी के कारण समय पर इसका इलाज नहीं हो पाया। धीरे-धीरे सिर में द्रव बढ़ता चला गया जिसके कारण बच्ची के माथे का आकार (75 cm लगभग उसके शरीर के लंबाई के बराबर) हो गया था।

दो साल तक इलाज न मिल पाने के कारण बच्ची की जीवन गुणवत्ता पर भी काफी असर हो सकता है, क्योंकि सामान्यतौर पर इसी उम्र में बच्चों का दिमाग विकसित हो रहा होता है। 
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प्रोफेसर अनिल कुमार के नेतृत्व में डॉक्टर विकास कुमार और सर्जरी की टीम - फोटो : Amarujala exclusive
डॉक्टरों ने की काफी चुनौतीपूर्ण सर्जरी

अमर उजाला से बातचीत में डॉ विकास बताते हैं, इस बच्ची की सर्जरी हमारे लिए कई मामलों में चुनौतीपूर्ण थी। हमारा पहला लक्ष्य सर्जरी करके जटिलताओं को दूर करना और बच्ची की जान बचाना था। सामान्यतौर पर इस स्थिति में मस्तिष्क के भीतर सीएसएफ (csf /पानी) ज्यादा हो जाने के कारण माथे का आकार बढ़ता चला जाता है। इस केस में चूंकि बच्ची दो साल से इसी समस्या से जूझ रही है ऐसे में एक तरफ सोते-सोते सिर का एक हिस्सा चिपटा भी हो गया था।

कॉग्नेटिव हाइड्रोसेफ्लस में समय पर सर्जरी न हो पाने के कारण ब्रेन सिकुड़ता चला जाता है और उसका विकास सही तरीके से नहीं हो पाता है। इस सर्जरी में ऐसी कई प्रकार की चुनौतियां थी, जिनको हमारी टीम ने ठीक करने का प्रयास किया है।

डॉक्टर विकास बताते हैं, माथे का आकार बहुत बड़ा हो जाने के कारण इसके ऑपरेशन में बहुत कठिनाइयां थी, इसमें जान जाने, माथे से पानी लीक करने, छाती में संक्रमण का खतरा था, हालांकि हमारी टीम ने लंबे ऑपरेशन के बाद जटिलताओं को काफी कम करने का प्रयास किया है। बच्ची के सिर का आकार चूंकि काफी बड़ा हो गया था, ऐसे में इसके सामान्य होने में तो समय लग सकता है, हालांकि ऑपरेशन के बाद की रिपोर्ट के आधार पर कहा जा सकता है कि बच्ची की जटिलताओं को कम कर दिया गया है। फिलहाल वह डॉक्टरों की निगरानी में है और स्वस्थ है।
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मस्तिष्क का आकार बढ़ने की समस्या- कॉग्नेटिव हाइड्रोसेफ्लस। - फोटो : istock
क्यों होती है कॉग्नेटिव हाइड्रोसेफ्लस की समस्या?

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक L1CAM जीन में भिन्नता के कारण किसी भी नवजात में यह समस्या हो सकती है। अन्य कारणों में मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की विकृतियां, संक्रमण, मस्तिष्क की कैविटी के भीतर रक्तस्राव (इंट्रावेंट्रिकुलर हेमोरेज), कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव या मस्तिष्क में जन्मजात ट्यूमर के कारण भी इस प्रकार की समस्या का जोखिम हो सकता है। मस्तिष्क में बनने वाले अतिरिक्त द्रव के कारण मस्तिष्क में वेंट्रिकल्स (वेंट्रिकुलोमेगाली) नामक रिक्त स्थान में असामान्य रूप से विस्तार होने लगता है जिसके कारण ऊतकों पर दबाव बढ़ जाता है, यह स्थिति घात भी हो सकती है। 

डॉक्टर विकास बताते हैं, गर्भावती में आयरन और फोलिक एसिड की कमी के कारण भी बच्चे में इस प्रकार का विकार हो सकता है। गर्भवस्था के दौरान फोलिक एसिड, आयरन की खुराक के साथ डाइट अच्छी रखें तो ऐसी बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है। 
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कॉग्नेटिव हाइड्रोसेफ्लस की समय रहते पहचान जरूरी - फोटो : istock
बच्चों में कैसे करें इसकी पहचान?

डॉक्टर विकास बताते हैं, सभी माता-पिता ध्यान दें, अगर बच्चे का माथा काफी तेजी से बढ़ता हुआ नजर आ रहा हो, तो यह इस बीमारी का संकेत हो सकता है, इसपर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता होती है। इस बीमारी में जैसे-जैसे हम इलाज में देर करते जाते हैं, ब्रेन के अंदर ज्यादा पानी जमा हो जाता है जिससे मस्तिष्क का विकास रुक सकता है, इसमें मस्तिष्क के सिकुड़ने का भी खतरा होता है।  ऐसा देखा गया है की जिन बच्चों में समय रहते समस्या का निदान और ऑपरेशन हो जाता है उनमें ब्रेन को ज्यादा नुकसान पहुंचने से बचाया जा सकता है और बच्चे आगे जाकर सामान्य जीवन भी जी सकते हैं।




डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेख स्वास्थ्य विशेषज्ञों के सुझाव और साझा की गई जानकारियों के साथ मेडिकल रिपोर्ट्स/अध्ययनों के आधार पर तैयार किया गया है। संबंधित अध्ययनों की कॉपी और विशेषज्ञों का परिचय साथ में संलग्न है। लेख का उद्देश्य स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करना है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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