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Covid-19: कोरोना के नए वैरिएंट ने बढ़ाई अस्पतालों में भीड़, हफ्ते भर में 12% बढ़े मामले; यहां जानिए सबकुछ
हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अभिलाष श्रीवास्तव
Updated Fri, 04 Apr 2025 09:08 PM IST
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कोरोना के कारण अस्पतालों में भर्ती
- फोटो : Adobe stock photos
पिछले कुछ महीनों से दुनियाभर में कोरोना के मामले काफी स्थिर बने हुए थे, ये माना जाने लगा था कि संभवत: वायरस का खतरा अब खत्म हो गया है। हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञ लगातार अलर्ट करते रहे थे कोरोना जैसे आरएनए वायरस अपने-आपको जीवित रखने के लिए बार-बार म्यूटेट होते रहते हैं, जिसको लेकर सभी लोगों को सावधान रहने की जरूरत है। हुआ भी वही, हालिया रिपोर्ट्स में यूके-ऑस्ट्रेलिया के कई शहरों में कोरोना के एक नए वैरिएंट एलपी.8.1 (LP.8.1) के सामने आने और इसके कारण संक्रमण बढ़ने की खबर है।
पिछले रिपोर्ट में हमने बताया कि ये नया वैरिएंट किस प्रकृति का है और इसके कारण किस तरह के स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं (खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)।
आइए इस रिपोर्ट में समझते हैं कि इस नए वैरिएंट से संक्रमित हो रहे लोगों में क्या लक्षण देखे जा रहे हैं, उन्हें किस तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं? और लोगों को लगी वैक्सीन क्या इस वायरस के संक्रमण से बचाए रख सकती है?
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कोविड 19 के बढ़ते मामले
- फोटो : Freepik.com
अस्पतालों में भर्ती रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी
खबरों के मुताबिक ब्रिटेन में पिछले कुछ हफ्तों में न सिर्फ कोविड के मामले फिर से बढ़े हैं, साथ ही अस्पतालों में भर्ती रोगियों की संख्या इस साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले सप्ताह कोविड के कारण अस्पताल में 1,174 मरीज थे, जो पिछले सप्ताह की तुलना में 11.9% अधिक है। ये दिसंबर के बाद से दर्ज की गई सबसे अधिक संख्या है।
कोरोना के मामलों में इस वृद्धि के बारे में एनएचएस इंग्लैंड के राष्ट्रीय चिकित्सा निदेशक प्रोफेसर स्टीफन पॉविस कहते हैं, कोविड के मामले इस साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं। यह खबर ऐसे समय में आई है जब पूरे ब्रिटेन में कोविड स्प्रिंग बूस्टर कार्यक्रम शुरू हो रहा है।
ज्यादातर मामलों के लिए कोविड के नए वैरिएंट एलपी.8.1 को प्रमुख माना जा रहा है। ये ज्यादा खतरनाक नहीं है तो इसके कारण गंभीर रोग क्यों हो रहा है, जिससे लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ रही है?
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कोविड 19 के फिर से बढ़ रहे हैं मामले
- फोटो : Freepik.com
क्या कहता है डब्ल्यूएचओ?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने जनवरी में एलपी.8.1 की वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण वृद्धि को देखते हुए इसे 'वैरिएंट अंडर मॉनिटरिंग' के रूप में वर्गीकृत किया था। हालांकि वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसी ने माना था कि ये ज्यादा खतरनाक या चिंताजनक नहीं है। चूंकि ये ओमिक्रॉन के ही एक वैरिएंट का अपडेटेड वर्जन है इसलिए इसके कारण गंभीर स्तर के संक्रमण होने का जोखिम कम है।
जब ये वायरस ज्यादा खतरनाक नहीं पाया गया था तो फिर इसके कारण संक्रमण के मामले क्यों बढ़ रहे हैं और अस्पतालों में भीड़ क्यों बढ़ रही है, ये लोगों के मन में बड़ा प्रश्न है।
UK: Fears of new COVID wave as hospitalisations jump 19% in a week.
COVID hospitalisations have increased by 19% in a week, reaching their highest level since early January. Concerns are rising that the LP.8.1 variant may be fuelling a new wave.
डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञ इस नए वैरिएंट पर अध्ययन कर रहे हैं, ताकि इसकी प्रकृति को अच्छी तरह से समझा जा सके।
प्रारंभिक स्तर पर किए गए अध्ययन से पता चलता है कि एलपी.8.1 वैरिएंट के कारण घबराने की कोई बात नहीं है, फिर भी कुछ लोगों में इसके कारण गंभीर बीमारी हो सकती है।
महामारी की शुरुआत के बाद से कोविड के कई अलग-अलग वैरिएंट सामने आए हैं, चूंकि ये सभी श्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं, इसलिए सभी के लक्षण समान रहे हैं और सर्दी या फ्लू जैसी दिक्कतें करते है। इस नए वैरिएंट के कारण भी संक्रमितों में इसी तरह के लक्षण देखे गए हैं। संक्रमितों को तेज बुखार के साथ खांसी, सांस फूलने, थकान-शरीर में दर्द या सिरदर्द की समस्या हो रही है। जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है उनमें संक्रमण के कारण गंभीर लक्षण और अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत हो सकती है।
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कोविड वैक्सीनेशन
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क्या वैक्सीन ले चुके लोग भी सुरक्षित नहीं?
बीमारी के प्रभाव को कम करने के लिए निरंतर सतर्कता और टीकाकरण पर जोर दिया जाता रहा है। क्या टीकाकरण करा चुके लोग सुरक्षित हैं?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, कोविड वैक्सीन को ओमिक्रॉन के तमाम सब-वैरिएंट्स के खिलाफ प्रभावी पाया गया है, कई देशों में नए वैरिएंट्स को लेकर अपडेटेड वैक्सीन भी उपलब्ध हैं। पहले के अध्ययनों में स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते रहे हैं कि कमजोर इम्युनिटी के शिकार लोगों को बूस्टर डोज लगवा लेनी चाहिए। फिलहाल वैक्सीनेटेड लोगों को नए वैरिएंट से सुरक्षित माना जा सकता है।
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