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Health Tips: गर्भवती महिलाओं पर प्रदूषण के प्रभाव को लेकर डॉक्टर की चेतावनी, भूलकर भी ना करें ये गलतियां

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिखर बरनवाल Updated Mon, 17 Nov 2025 12:40 PM IST
सार

Pregnancy Mein Pradushan se Bachav: दिल्ली के कई हिस्सों में AQI 400+ है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए। आइए इस लेख में गायनेकोलॉजिस्ट इसी के बारे में विस्तार से जानते हैं।  

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Pregnancy Safety Health Tips During High Pollution Levels Doctors Advice Precautions
गर्भावस्था - फोटो : Amar Ujala

Pregnancy Safety In Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर के कई क्षेत्रों में इन दिनों वायु प्रदूषण अपने चरम है, और इसका नकारात्मक असर बच्चों लेकर बुढ़ों तक हर किसी में देखने को मिल रहा है। 400+  एक्यूआई का वायु प्रदूषण, बच्चे, बूढ़े, वयस्क और गर्भवती महिलाओं समेत हर किसी को नुकसान पहुंचाता है। हमने वायु प्रदूषण के नकारात्मक प्रभाव और बीमारियों के जोखिम के बारे में बताया है। इसलिए आइए इस लेख में जानते हैं कि ये खतरनाक वायु प्रदूषण गर्भवती महिलाओं को किस तरह प्रभावित कर रहा है और इससे बचने के लिए किस तरह की सावधानियां बरतना जरूरी है।



विशेषज्ञों के मुताबिक ये प्रदूषण गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। इसी विषय पर गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर अंजली कुमार ने सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर करके आगाह किया है कि गर्भवती महिलाओं के लिए अधिक वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में रहना दोहरी चुनौती है।

इस प्रदूषण का सबसे बड़ा खतरा PM2.5 कणों से है, जो रेत के दाने से भी 30 गुना ज्यादा छोटे होते हैं। अपने अत्यंत सूक्ष्म आकार के कारण, ये जहरीले कण सांस के माध्यम से फेफड़ों को पार करके सीधे रक्तप्रवाह में प्रवेश कर जाते हैं, और दुख की बात यह है कि ये प्लेसेंटा तक भी पहुंच सकते हैं।

डॉक्टर अंजली ने बताया कि PM2.5 के संपर्क में आने से शिशु का वजन कम हो सकता है, समय से पहले प्रसव का जोखिम बढ़ सकता है, और बचपन में अस्थमा जैसी सांस की बीमारियां होने की आशंका अधिक हो जाती है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए, क्योंकि उनकी हर सांस सीधे उनके अजन्मे बच्चे के स्वास्थ्य से जुड़ी है।

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गर्भावस्था - फोटो : Adobe Stock

शिशु के विकास पर प्रदूषण का गहरा असर
डॉक्टर अंजली के मुताबिक खतरनाक स्तर का वायु प्रदूषण भ्रूण के विकास को कई तरह से बाधित करता है। इससे शिशु का जन्म वजन कम हो सकता है और समय से पहले डिलीवरी का खतरा बढ़ जाता है।

इसके अलावा, मां में गर्भकालीन मधुमेह और प्री-एक्लेमप्सिया (उच्च रक्तचाप की समस्या) का खतरा भी बढ़ जाता है। प्रदूषण से भ्रूण के फेफड़ों का विकास भी प्रभावित हो सकता है, जिससे बच्चे में आगे चलकर अस्थमा जैसी श्वसन संबंधी बीमारियों का जोखिम अधिक होता है।

 

 

 

 

 

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दवा - फोटो : Adobe Stock Photos

क्या करें?
डॉक्टर अंजली कुमार के अनुसार, जब एक्यूआई 'बहुत खराब' या 'गंभीर' स्तर पर हो, तो गर्भवती महिलाओं को घर के अंदर ही रहने को प्राथमिकता देनी चाहिए। इस दौरान घर की खिड़कियां और दरवाजे बंद रखना चाहिए।

यदि आपको बहुत जरूरी काम से बाहर निकलना पड़े, तो हमेशा N95 या N99 मास्क का उपयोग करें। घर के अंदर की हवा को शुद्ध रखने के लिए, बेडरूम में HEPA फिल्टर वाले एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करना सबसे अच्छा उपाय है।


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स्वस्थ आहार का करें सेवन - फोटो : Freepik.com

हाइड्रेशन और आहार में जरूर करें ये सुधार
शरीर को प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों से लड़ने में मदद करने के लिए, हाइड्रेटेड रहना बहुत जरूरी है। इसलिए खूब पानी पिएं। इसके साथ ही, अपने आहार में एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करें। जामुन, मेवे, खट्टे फल, और हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे खाद्य पदार्थ शरीर में सूजन को कम करने और प्रदूषण के विषाक्त प्रभावों को बेअसर करने में मदद करते हैं।


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गर्भावस्था - फोटो : Freepik.com
नियमित डॉक्टर से परामर्श
डॉक्टर अंजली के अनुसार, गर्भवती महिलाओं को अपनी नियमित प्रसव पूर्व जांच को प्राथमिकता देनी चाहिए। यदि आप उच्च प्रदूषण वाले वातावरण में रह रही हैं, तो समय-समय पर अपने डॉक्टर से भ्रूण की निगरानी के बारे में जरूर पूछें।

यह सुनिश्चित करता है कि शिशु को पर्याप्त ऑक्सीजन मिल रही है और उसका विकास ठीक से हो रहा है। याद रखें आप केवल अपने शरीर की सुरक्षा नहीं कर रही हैं, बल्कि आप अपने अंदर पल रहे नए जीवन की भी रक्षा कर रही हैं।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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