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स्वास्थ्य: मसल्स पर न जाएं, शरीर सक्रिय और जोड़ो में लचक तो इंसान सेहतमंद; गतिशील शरीर लंबी उम्र का संकेत

अमर उजाला नेटवर्क Published by: लव गौर Updated Mon, 17 Nov 2025 05:21 AM IST
सार

नेशनल ज्योग्राफिक में प्रकाशित नई रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया है कि शरीर की ताकत, स्टैमिना और लचीलापन मापने के लिए लोकप्रिय मेट्रिक्स जैसे वीओ टू मैक्स, माइल टाइम और हार्ट रेट स्कोर अक्सर अधूरा आकलन देते हैं। मध्य आयु में प्रवेश करने के बाद फिटनेस का सटीक आकलन तभी संभव है, जब शरीर के संपूर्ण कार्य और गतिशीलता को समझा जाए।

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active body and flexible joints indicate a healthy person
योग दक्षता का प्रदर्शन करती खिलाड़ी। (फाइल फोटो) - फोटो : संवाद
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जिम के भारी वर्कआउट, उन्नत फिटनेस गैजेट्स और सोशल मीडिया पर छाए एब्स फोटो यह सब फिटनेस की एक चमकदार तस्वीर जरूर पेश करते हैं, लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि यह शरीर की वास्तविक स्वास्थ्य स्थिति नहीं बताते।
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नेशनल ज्योग्राफिक में प्रकाशित नई रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया है कि शरीर की ताकत, स्टैमिना और लचीलापन मापने के लिए लोकप्रिय मेट्रिक्स जैसे वीओ टू मैक्स, माइल टाइम और हार्ट रेट स्कोर अक्सर अधूरा आकलन देते हैं। मध्य आयु में प्रवेश करने के बाद फिटनेस का सटीक आकलन तभी संभव है, जब शरीर के संपूर्ण कार्य और गतिशीलता को समझा जाए। रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने बताया कि शरीर की समग्र गतिशीलता और जोड़ो की लचक फिटनेस की सबसे विश्वसनीय खिड़की है, लेकिन लोग अक्सर इसे वॉक या रनिंग टाइम की तुलना में कम महत्व देते हैं।
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एक साधारण योग मुद्रा उत्तानासन शरीर की फ्लेक्सिबिलिटी, मांसपेशियों के संतुलन और पोस्चर की वास्तविक स्थिति को दर्शा सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार अगर व्यक्ति सहजता से आगे झुकने में कठिनाई महसूस करता है तो यह मांसपेशियों की कठोरता, कमर दर्द और भविष्य में होने वाली उम्र संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार फिटनेस को मापने के लिए दुनिया भर में सबसे अधिक चर्चित मापदंडों में वीओ टू मैक्स और माइल टाइम शामिल हैं। वीओ टू मैक्स यह बताता है कि व्यायाम के दौरान शरीर कितनी अधिकतम ऑक्सीजन का उपयोग कर सकता है, जबकि माइल टाइम यह दर्शाता है कि व्यक्ति कितनी तेजी से एक मील दूरी दौड़ सकता है।

वैज्ञानिक मानते हैं कि ये दोनों स्कोर एथलेटिक प्रदर्शन को जरूर मापते हैं, लेकिन यह व्यक्ति की संपूर्ण फिटनेस और उम्र के साथ बदलती स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरी तरह प्रतिबिंबित नहीं करते। फिटनेस का कोई एक स्कोर या पैरामीटर (जैसे वीओ टू मैक्स) अच्छा होने से यह गारंटी नहीं मिलती कि व्यक्ति वास्तव में पूरी तरह फिट है।

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भले ही उस व्यक्ति की कार्डियो क्षमता बहुत अच्छी हो, लेकिन अगर वह ज्यादातर समय बैठकर रहने वाली जीवनशैली जीता है, उसकी मांसपेशियां कमजोर हैं या शरीर में लचीलापन की कमी है तो वह चोटों, दर्द और स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम में रहेगा। यानी फिटनेस बहु-आयामी होती है, केवल एक क्षेत्र में अच्छा होना पूरे स्वास्थ्य का वास्तविक प्रमाण नहीं।

गतिशील शरीर लंबी उम्र का संकेत
रिपोर्ट में फिटनेस को मापने का सबसे वैज्ञानिक तरीका फंक्शनल फिटनेस बताया गया है। यानी शरीर रोजमर्रा की गतिविधियों को कितनी आसानी और स्थिरता के साथ कर पाता है। इसमें शामिल हैं सीढ़ियां चढ़ते समय सांस का स्थिर रहना, भारी सामान उठाते समय कंधों का संतुलित रहना, अचानक मुड़ते समय चोट न लगना और फर्श से उठते-बैठते समय कमर पर दबाव न आना। वैज्ञानिकों के अनुसार 40 की उम्र के बाद फंक्शनल फिटनेस की जांच शरीर की दीर्घकालिक मजबूती का सबसे सटीक संकेत देती है।

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नेशनल ज्योग्राफिक के अनुसार शोधकर्ताओं ने पाया कि मध्य आयु के बाद फिटनेस गिरने का पहला संकेत कार्डियो क्षमता कम होना नहीं, बल्कि मांसपेशीय शक्ति कम होना होता है। स्क्वाट, प्लैंक, सिंगल लेग बैलेंस और कोर स्टेबिलिटी टेस्ट जैसी सरल गतिविधियां यह बता सकती हैं कि शरीर भविष्य में गिरने, स्लिप डिस्क, घुटनों के दर्द और मेटाबॉलिक बीमारियों के जोखिम में कितना है। विशेषज्ञ कहते हैं कि मजबूत मांसपेशियां और स्थिर संतुलन, बढ़ती उम्र में रोग प्रतिरोधक क्षमता और लंबी आयु से सीधी तरह जुड़ते हैं।
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