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Parenting Tips: बच्चे गलती करें तो थप्पड़ मारना चाहिए या नहीं? जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिवानी अवस्थी Updated Wed, 26 Nov 2025 11:58 AM IST
सार

Parenting Tips: इस लेख में हम समझेंगे कि बच्चों को अनुशासन सिखाने के आधुनिक तरीकों के बारे में विशेषज्ञ क्या सलाह देते हैं और शारीरिक दंड का बच्चों पर क्या असर हो सकता है।

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Parenting Tips: Is It Right to Hit a Child for Mistakes What Experts Recommend For disciplining Children
क्या गलती पर बच्चों की पिटाई करनी चाहिए? - फोटो : Istock

Parenting Tips:



-जब हम तुम्हारी उम्र के थे, तो गलती करने पर डंडे से पिटाई होती थी।
-स्कूल में टीचर मुर्गा बना देते थे, पूरी क्लास के सामने मार पड़ती थी।


ऐसी बातें अक्सर सुनने में आती हैं, जब आजकल के अभिभावक अपने बचपन के दिनों को याद करते हैं। पहले के समय में, बच्चों को डांटना या पीटना सामान्य बात मानी जाती थी, चाहे वो घर हो या स्कूल, लेकिन अब समय बदल चुका है। आजकल के समय में बच्चों को अनुशासन सिखाने के लिए सख्ती या शारीरिक दंड पर बहुत बहस हो रही है। आजकल बच्चों को शारीरिक रूप से दंड देना न सिर्फ कानूनी रूप से गलत है, बल्कि यह मानसिक और भावनात्मक रूप से भी हानिकारक हो सकता है। 

कुछ लोग बच्चे को अच्छी परवरिश देने और अनुशासित बनाने के लिए उनकी पिटाई को गलत नहीं मानते हैं। जबकि कई विशेषज्ञ शारीरिक दंड को गलत मानते हैं। इस लेख में हम समझेंगे कि बच्चों को अनुशासन सिखाने के आधुनिक तरीकों के बारे में विशेषज्ञ क्या सलाह देते हैं और शारीरिक दंड का बच्चों पर क्या असर हो सकता है।

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बच्चों को मारना सही या गलत - फोटो : Adobe stock

क्या बच्चों को मारना चाहिए? विशेषज्ञों की राय

पिछले कुछ दशकों में समाज में बदलाव आया है और अब शारीरिक दंड को अनुशासन का हिस्सा मानना गलत समझा जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों को मारने से उनके आत्म-सम्मान पर बुरा असर पड़ता है और उनका मनोबल टूट सकता है। बच्चों के व्यवहार में सुधार लाने के लिए, सकारात्मक प्रेरणा और संवाद के तरीके ज्यादा प्रभावी होते हैं। शारीरिक दंड से बच्चे डर सकते हैं, लेकिन वे सही और गलत का अंतर नहीं समझ पाते।

क्या कहते हैं डाॅ. मल्हार?

हालांकि डॉ. मल्हार गणला  का मानना है कि बच्चों की गलतियों या अत्यधिक शरारतों पर उनको एक दो थप्पड़ मारना गलत नहीं है। बच्चों को सजा नहीं दी जाएगी तो वह अपनी गलती कैसे समझेंगे। उनका कहना है कि आज की पीढ़ी के बच्चे डांट और मार से दूर रहते हैं, इसलिए जिंदगी की मार पड़ने पर हिम्मत हार जाते हैं।

सोशल मीडिया पर शेयर किए एक वीडियो में उन्होंने अपने बेटे के स्कूल बंक करने पर टीचर से उसे मारने को कहा। हालांकि उनके इस वीडियो के नीचे आए कमेंट्स में ही कई यूजर ने इसे गलत बताया और कहा कि हमारी पीढ़ी को आज की पीढ़ी से तुलना करना ही गलत है। आज की पीढ़ी के बच्चे भावनात्मक तौर पर कमजोर होते हैं। ऐसे में शारीरिक सजा उनके मन मस्तिष्क पर बुरा असर डाल सकती है।

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पिटाई से बच्चों पर असर - फोटो : adobe

शारीरिक दंड के प्रभाव

शारीरिक दंड से बच्चे ना सिर्फ शारीरिक रूप से घायल हो सकते हैं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी नुकसान पहुंच सकता है। शोध से पता चला है कि शारीरिक सजा से बच्चों में आक्रामकता बढ़ सकती है और उनमें आत्मसम्मान की कमी हो सकती है। इसके अलावा, शारीरिक दंड बच्चों में डर और अविश्वास भी पैदा कर सकता है जो उनके माता-पिता और शिक्षकों के साथ रिश्ते को खराब कर सकता है।

 

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शारीरिक दंड की जरूरत क्यों - फोटो : Adobe stock

क्या आज भी शारीरिक दंड की जरूरत है?

कुछ लोग यह मानते हैं कि बच्चों को शारीरिक दंड देने से उनकी गलती का एहसास होता है लेकिन कई विशेषज्ञों का कहना है कि यह पुरानी सोच है। अब मानसिक और भावनात्मक अनुशासन के तरीके ज्यादा प्रभावी हैं। बच्चों के साथ खुला संवाद, सच्चे प्यार और सही दिशा में मार्गदर्शन करना ज्यादा जरूरी है।

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अनुशासन सिखाने के नए तरीके - फोटो : Adobe stock

अनुशासन सिखाने के नए तरीके

आजकल के पेरेंटिंग गाइडलाइन्स में, बच्चों को अनुशासन सिखाने के लिए प्यार, समझ और संवाद की अहमियत पर जोर दिया जाता है। उदाहरण के तौर पर, बच्चों को समझाना कि उनकी गलती क्या थी और आगे क्या करना चाहिए, इस तरह के सकारात्मक संवाद से उन्हें ज्यादा फायदा होता है। इसके अलावा, बच्चों को छोटे-छोटे लक्ष्य और पुरस्कार देने से उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है।

 

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