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Cancer: एनआईटी के वैज्ञानिकों ने खोजा कोलन कैंसर का देसी इलाज, इस औषधि में मिले कैंसर खत्म करने वाले गुण

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Tue, 25 Nov 2025 06:15 PM IST
सार

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी, राउरकेला के शोधकर्ताओं ने लॉन्ग पेपर (पिप्पली) में पाए जाने वाले एक नेचुरल कंपाउंड की पहचान की है, जो कोलन कैंसर कोशिकाओं को कम करने और इसके इलाज में विशेष भूमिका निभा सकता है।
 

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natural compound in long pepper found effective against colon cancer cells and treatment
कैंसर का मिल गया इलाज - फोटो : Adobe Stock Images

आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति भारत की सबसे पुरानी और प्रभावी चिकित्सा विधियों में से एक है। प्राचीन ऋषियों ने प्रकृति का अवलोकन करके जो ज्ञान अर्जित किया, वही आज आधुनिक शोधों में एक-एक करके साबित हो रहा है। समय के साथ मेडिकल साइंस ने भी कुछ बीमारियों में औषधियों से होने वाले स्वास्थ्य लाभ की जानकारी दी है। अध्ययनों से पता चलता है कि डायबिटीज से लेकर ब्लड प्रेशर, हृदय रोगों से लेकर कैंसर जैसी घातक बीमारियों के उपचार में भी कुछ औषधियों से विशेष लाभ पाया जा सकता है।



कई शोधों में आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में ऐसे सक्रिय तत्व पाए गए हैं जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, सूजन कम करने और कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि रोकने में भूमिका निभा सकते हैं। इसी क्रम में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) राउरकेला के शोधकर्ताओं ने लॉन्ग पेपर (पिप्पली) में पाए जाने वाले एक नेचुरल कंपाउंड की पहचान की है, जो कोलन कैंसर कोशिकाओं को कम करने और इसके इलाज में विशेष भूमिका निभा सकती है।

विशेषज्ञों ने कहा है कि इस औषधि से कोलन कैंसर के जोखिमों को कम करने में मदद मिल सकती है।

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कोलन कैंसर का खतरा - फोटो : Freepik.com

कोलन कैंसर और इसका खतरा

कोलन कैंसर, कोलन या रेक्टम में कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि है, जो अक्सर एक पॉलिप के रूप में शुरू होती है और शरीर के दूसरे हिस्सों में फैल जाती है। शौच की आदतों में बदलाव और शौच में खून आने या अक्सर पेट दर्द रहने को इस कैंसर का लक्षण माना जाता है। शुरुआती स्टेज में आमतौर पर इस कैंसर का कोई लक्षण नहीं दिखता है जिसके चलते ज्यादातर लोगों में आखिरी के चरणों में इसकी पहचान हो पाती है जहां से इलाज होना और जान बच पाना कठिन हो जाता है।

अब विशेषज्ञों की एक टीम ने इस घातक कैंसर के लिए प्रभावी देसी उपचार ढूंढा है।

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लॉन्ग पेपर (पिप्पली) के फायदे - फोटो : Freepik.com

लॉन्ग पेपर में कैंसर कोशिकाओं को मारने वाले गुण

यूएसए की नॉर्थ कैरोलिना यूनिवर्सिटी और सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार के शोधकर्ताओ ने मिलकर ये शोध किया है। जर्नल बायोफैक्टर्स में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार पिप्पली इस रोग के इलाज में मददगार हो सकती है।

एनआईटी राउरकेला के लाइफ साइंस डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर बिजेश कुमार बिस्वाल कहते हैं, कीमोथेरेपी जैसे पारंपरिक इलाज दर्दकारक होते हैं और इनके लंबे समय तक चलने वाले साइड इफेक्टस जैसे बाल झड़ना, थकान, नर्व डैमेज और इम्युनिटी की कमजोरी हो सकती है। इसके अलावा, कैंसर के इलाज की प्रक्रिया में एक और मुश्किल यह है कि कैंसर वाले सेल्स में कीमोथेरेपी एजेंट्स के लिए रेजिस्टेंस बन जाता है।

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औषधीय गुणों का खजाना है पिप्पली - फोटो : Freepik.com

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

डॉ बिस्वाल कहते हैं, कई इंटरनेशनल कैंसर रिसर्च अध्ययनों ने कई तरह के कैंसर के लिए नेचुरल मॉलिक्यूल्स की एक्टिविटी की जांच की है, लेकिन कोलोरेक्टल कैंसर पर उनके असर को अच्छी तरह से नहीं समझा गया है। हमारी टीम ने कीमोथेरेपी के विकल्प के तौर पर पाइपरलोंगुमाइन एक नेचुरल कंपाउंड की एक्टिविटी दिखाने के लिए लैब में कई शोध किए।

टीम ने पाया कि यह हेल्दी सेल्स को बिना नुकसान पहुंचाए कोलन कैंसर कोशिकाओं को मार सकता है। 

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कैंसर का इलाज होगा आसान - फोटो : Adobe Stock

कैंसर के सस्ते इलाज में इससे मिल सकती है मदद

पिप्पली एक सस्ता, आसानी से उगाया जाने वाला पौधा है जो पहले से ही भारत की बड़ी आबादी द्वारा इस्तेमाल में लाया जाता रहा है। इसलिए पिपरलॉन्ग्यूमाइन का फॉर्मूला एक कम लागत वाला इलाज  हो सकता है। कम और मध्यम आय वाले देशों के लिए ये बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है क्योंकि आमतौर पर कैंसर के इलाज का खर्च बहुत ज्यादा होता है।

विशषज्ञों ने कहा, अगले चरण में  हमारी टीम ऑक्सालिप्लैटिन जैसी कीमोथेरेपी दवाओं के साथ पिपरलॉन्ग्यूमाइन के इस्तेमाल की जांच कर रही है ताकि मरीजो में इलाज के प्रति रिस्पॉन्स वापस लाने में मदद मिल सके। यह खोज एडवांस्ड और कीमो-रेसिस्टेंट कोलोरेक्टल कैंसर के इलाज के लिए नई संभावनाएं खोलती है।



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स्रोत
NIT Rourkela discovers long pepper compound for low dose, cost effective colon cancer treatment


अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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