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What Is Bhajan Clubbing: क्या है भजन क्लबिंग ? जानें क्यों Gen-G के बीच बढ़ रहा इसका क्रेज

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: श्रुति गौड़ Updated Sun, 23 Nov 2025 06:49 PM IST
सार

What Is Bhajan Clubbing:  "भजन क्लबिंग" एक नया और तेजी से उभरता हुआ आध्यात्मिक ट्रेंड है, जो खासकर Gen Z और युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हो रहा है।

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Bhajan Clubbing - फोटो : अमर उजाला
What Is Bhajan Clubbing:  भजन क्लबिंग एक नया आध्यात्मिक और सांस्कृतिक ट्रेंड बन चुका है, जो खासकर GEN Z और युवा पीढ़ी के बीच लोकप्रिय हो रहा है। इसमें रात को क्लब जैसी सेटिंग में इलेक्ट्रॉनिक म्यूजिक की जगह भजन और कीर्तन की धुन पर लोग झूमते हैं। ये अनुभव केवल मनोरंजन का नहीं बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक लाभ भी देता है। इस नये ट्रेंड में युवा अब EMD बीट्स की जगह भजन के रिदम पर नाचते और ध्यान केंद्रित करते हैं।


भजन क्लबिंग संगीत, ध्यान और सामूहिक ऊर्जा का एक अनोखा मिश्रण पेश करती है, जो एक सकारात्मक और शांति देने वाला अनुभव देती है। हालांकि, जैसे हर ट्रेंड के फायदे और नुकसान होते हैं, ठीक उसी तरह से इसके कुछ नुकसान और सावधानियां भी हैं, जिन्हें ध्यान में रखना जरूरी है। ये नई संस्कृति युवाओं को आध्यात्मिकता और मौज-मस्ती का नया अनुभव देती है। अगर आप भी इससे जुड़ रहे हैं तो इसके फायदे और नुकसानों के बारे में जान लें।

ये हैं इसके फायदे

1. मानसिक शांति और स्ट्रेस कम करने में मदद

भजन की धुन और सकारात्मक माहौल मन को शांत करता है। इसमें मौजूद रिदम और कोमल संगीत तनाव को कम करते हैं और दिमाग को रिलैक्स होने का मौका देते हैं।

2. सामाजिक जुड़ाव और सामूहिक ऊर्जा का अनुभव

भजन क्लबिंग में कई लोग साथ मिलकर गाते-झूमते हैं, जिससे एक सामूहिक ऊर्जा का अनुभव होता है। यह सामाजिक जुड़ाव को बढ़ाता है और सकारात्मक वातावरण बनाता है।

3. आध्यात्मिक जागरूकता और मेडिटेशन जैसा अनुभव

भजनों की धुन, ताल और शब्द मन को केंद्रित करते हैं, जिससे मेडिटेशन जैसी स्थिति बनती है। ये आध्यात्मिकता को महसूस करने और खुद को भीतर से समझने का मौका देता है।

4. युवाओं को पारंपरिक भजनों से जोड़ना

भजन क्लबिंग आधुनिक संगीत और पारंपरिक भजनों का मिश्रण है। इससे युवा पुराने भजनों से फिर से जुड़ते हैं और भारतीय संस्कृति को नए तरीके से समझते हैं।

5. शरीर को हल्की-फुल्की व्यायाम और मूवमेंट का मौका

भजन की रिदम पर झूमना हल्की डांसिंग जैसा होता है। इससे शरीर में मूवमेंट बढ़ता है, ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और शरीर एक्टिव रहता है।

ये हैं नुकसान 

1. लंबे समय तक आवाज़ या बीट्स से कान पर दबाव

तेज स्पीकर और लगातार बीट्स कानों पर असर डाल सकते हैं। इससे अस्थाई सुनने में समस्या या सरदर्द भी हो सकता है।

 2. अधिक भीड़ से असुविधा

भीड़भाड़ वाली जगहों पर सांस लेने में दिक्कत, धक्का-मुक्की और एंग्जायटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। संवेदनशील लोग ऐसे माहौल में असहज महसूस करते हैं।

3. मानसिक रूप से हो सकती है दिक्कत

लगातार तेज संगीत, लाइट और भीड़ कुछ लोगों के लिए ओवर स्टिमुलेशन पैदा कर सकती है, जिससे मानसिक थकान या तनाव महसूस हो सकता है।

4. अति उत्साह में शारीरिक चोट का खतरा

क्लबिंग माहौल में कई बार लोग उत्साह में अधिक कूदने या नाचने लगते हैं, जिससे फिसलने या चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है।

5. आध्यात्मिक भावना खोने का खतरा अगर यह केवल पार्टी बन जाए

यदि भजन क्लबिंग सिर्फ मजे तक सीमित हो जाए और आध्यात्मिकता पीछे रह जाए, तो भजनों के वास्तविक उद्देश्य और भावनात्मक जुड़ाव में कमी आ सकती है।
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