शरीर में सबसे महत्वपूर्ण नसों में से एक होने के नाते वेगस तंत्रिका सीधे मस्तिष्क से उत्पन्न होती है और सभी प्रमुख अंगों तक पहुंचती है। हाल ही में चिकित्सकों ने पेसमेकरों के साथ वेगस तंत्रिका को उत्तेजित करके कई रोगों का इलाज करना शुरू कर दिया है। हालांकि, योग से तंत्रिका को उत्तेजित करने के लिए सबसे प्रभावी श्वास तकनीक में से एक है, सुदर्शन क्रिया। इस क्रिया को अल्जाइमर्स और डिमेंशिया के छह प्रमुख जोखिम कारकों में से पांच को कम करने के लिए उपयोगी पाया गया है।
वेगस तंत्रिका, तंत्रिका तंतुओं का एक गुच्छा है, जो मस्तिष्क से उदर तक निकलती है। यह मस्तिष्क, पेट, हृदय, यकृत, अग्न्याशय, गुर्दा, प्लीहा, फेफड़े और सभी अनैच्छिक शारीरिक प्रक्रियाओं के संचलन को नियंत्रित करती है। जब वेगस तंत्रिका अपनी क्षमता का सबसे उत्तम प्रदर्शन करने में सक्षम नहीं होती है, तो शरीर और दिमाग कई तरह के रोगों के लिए अतिसंवेदनशील हो जाते हैं जैसे अवसाद, पाचन विकार, गुर्दे की खराबी, रक्त ग्लूकोज में असंतुलन और यहां तक कि बांझपन भी।
वेगल टोन वेगस तंत्रिका की गतिविधि का स्तर है। जब वेगस तंत्रिका बेहतर काम नहीं कर रही हो, तो वेगल टोन को कम माना जाता है। डॉक्टरों ने पेसमेकर के इलेक्ट्रिक आवेगों के साथ वेगस तंत्रिका को उत्तेजित करना शुरू कर दिया है। हालांकि, वेगस तंत्रिका को उत्तेजित करने के प्राकृतिक तरीके भी हैं।
डॉक्टरों ने कई अध्ययन प्रकाशित किए हैं, जो वेगस तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करने में गहरी डायाफ्रामिक श्वास तकनीक की एक महत्वपूर्ण भूमिका का संकेत देते हैं। ये तकनीक जो भारत से उत्पन्न हुई हैं, वे अब पश्चिमी दुनिया में भी स्वीकार किए जाते हैं। अनुसंधान में पाया गया है कि सुदर्शन क्रिया (योग की शक्तिशाली श्वास तकनीक) का अभ्यास वेगस तंत्रिका पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ता है। सुदर्शन क्रिया के नियमित अभ्यास और इसके अध्ययन से पाया गया है कि प्रतिभागियों के 67 फीसदी से अधिक अवसाद दूर हुए, 56 फीसदी में कोलेस्ट्रोल की कमी व 71 फीसदी की चिंता में कमी पाई गई है।