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MP News: मध्यप्रदेश ने मनाया गौरव का ‘अभ्युदय’- संस्कृति, परंपरा और प्रगति का हुआ भव्य संगम
 
            	    न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल             
                              Published by: आनंद पवार       
                        
       Updated Mon, 03 Nov 2025 11:16 PM IST
        
       
            सार 
            	
                
    
     मध्यप्रदेश ने अपने 70वें स्थापना दिवस पर “अभ्युदय मध्यप्रदेश” के रूप में संस्कृति, परंपरा और विकास का शानदार संगम पेश किया। तीन दिनों तक चले इस भव्य आयोजन ने प्रदेश की गौरवगाथा, लोककला और प्रगति की झलक एक साथ दिखाई।
 
    
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                        मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव
                                     - फोटो : अमर उजाला
                    
            
                        
         
        देश के हृदय, मध्यप्रदेश ने अपने 70वें स्थापना दिवस पर “अभ्युदय मध्यप्रदेश” के रूप में संस्कृति, परंपरा और प्रगति का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया। तीन दिनों तक चले इस भव्य आयोजन ने प्रदेश की लोककलाओं, विविधताओं और विकास यात्रा को एक सूत्र में पिरोते हुए बीते सात दशकों की गौरवगाथा को सजीव कर दिया। सोमवार की शाम जब इस आयोजन का समापन हुआ, तो पूरा भोपाल गर्व और उत्साह से झूम उठा। राजधानी भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में हुए इस आयोजन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल, और उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री नंद गोपाल गुप्ता विशेष रूप से उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश में विरासत के संरक्षण के साथ तीव्र गति से विकास कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम विरासत और विकास दोनों को साथ लेकर चल रहे हैं। सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य के माध्यम से हमारी संस्कृति और गौरवशाली इतिहास को नई पीढ़ी के सामने जीवंत किया गया है।”
                    
                        
                         
                
        
                                
        
                
    
      
    
    
    
    
        
 
 
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                        विक्रमादित्य महानाट्य का मंचन
                                     - फोटो : अमर उजाला
                    
            
                        
         
        मुख्यमंत्री ने कहा कि “मात्र डेढ़ वर्ष में प्रदेश में 18 नए मेडिकल कॉलेज खुले हैं, आयुर्वेदिक शिक्षा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश देश में अग्रणी है। सभी जिलों में पीएम एक्सीलेंस कॉलेज स्थापित किए गए हैं और हर जिले में पुलिस बैंड की इकाइयां गठित कर युवाओं को अवसर दिए गए हैं। हाल ही में गुजरात के केवड़िया में हुए राष्ट्रीय आयोजन में मध्यप्रदेश के पुलिस बैंड ने गर्व से प्रस्तुति दी, यह प्रदेश के लिए सम्मान की बात है। डॉ. यादव ने कहा कि राजा भोज और सम्राट विक्रमादित्य जैसे नीतिनिष्ठ शासकों की स्मृति में ऐसे सांस्कृतिक आयोजनों का सिलसिला जारी रहेगा, ताकि हमारी नई पीढ़ी अपने इतिहास और मूल्यों से प्रेरणा ले सके। विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव की संस्कृति में विशेष रुचि है। “सम्राट विक्रमादित्य” महानाट्य का मंचन उनके नेतृत्व और दृष्टि का परिणाम है, जो दो दशक से तैयार हो रहा था और पहली बार भोपालवासियों को देखने मिला।
                
        
                                
        
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
         
                
                
        
                
    
       
 
 
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                        सुप्रसिद्ध गायिका सुश्री स्नेहा शंकर
                                     - फोटो : अमर उजाला
                    
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भव्य ड्रोन शो ने रचा आसमान में इतिहास
समारोह के अंतिम दिन भी रात में 2000 ड्रोन के माध्यम से एक अनोखा दृश्य आसमान में दिखाई दिया। “विरासत से विकास” की थीम पर हुए इस शो में मध्यप्रदेश की समृद्ध संस्कृति, औद्योगिक प्रगति, विज्ञान, रोजगार और भविष्य की आकृतियां उभरती रहीं। दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से इस अद्भुत प्रदर्शन का स्वागत किया।
            
                        मंच पर मंचन करते कलाकार
                                     - फोटो : अमर उजाला
                    
            
                        
         
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सम्राट विक्रमादित्य की गाथा ने किया भावविभोर
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा भव्य महानाट्य “सम्राट विक्रमादित्य”, जिसे उज्जैन की संस्था विशाला सांस्कृतिक एवं लोकहित समिति ने प्रस्तुत किया। निर्देशक संजय मालवीय के नेतृत्व में 150 कलाकारों ने तीन अलग-अलग मंचों पर सम्राट विक्रमादित्य के जीवन और उनके स्वर्णिम शासन को सजीव रूप में दर्शाया। ऊंट, हाथी, घोड़े, पालकियां और भव्य महाकाल मंदिर के प्रतिरूप ने दर्शकों को उस युग में पहुंचा दिया। इस नाट्य प्रस्तुति में सम्राट विक्रमादित्य की प्रजावत्सलता, न्यायप्रियता और सांस्कृतिक संरक्षण की भावना को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया। “सिंहासन बत्तीसी” और “बेताल पच्चीसी” की न्याय कथाओं की झलक ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
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सम्राट विक्रमादित्य की गाथा ने किया भावविभोर
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा भव्य महानाट्य “सम्राट विक्रमादित्य”, जिसे उज्जैन की संस्था विशाला सांस्कृतिक एवं लोकहित समिति ने प्रस्तुत किया। निर्देशक संजय मालवीय के नेतृत्व में 150 कलाकारों ने तीन अलग-अलग मंचों पर सम्राट विक्रमादित्य के जीवन और उनके स्वर्णिम शासन को सजीव रूप में दर्शाया। ऊंट, हाथी, घोड़े, पालकियां और भव्य महाकाल मंदिर के प्रतिरूप ने दर्शकों को उस युग में पहुंचा दिया। इस नाट्य प्रस्तुति में सम्राट विक्रमादित्य की प्रजावत्सलता, न्यायप्रियता और सांस्कृतिक संरक्षण की भावना को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया। “सिंहासन बत्तीसी” और “बेताल पच्चीसी” की न्याय कथाओं की झलक ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
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                        सुप्रसिद्ध गायिका सुश्री स्नेहा शंकर
                                     - फोटो : अमर उजाला
                    
            
                        
         
        संगीत ने बांधा समापन का सुरमय समां
                
        
                                
        
         
        
महानाट्य के बाद सुप्रसिद्ध गायिका स्नेहा शंकर ने अपने सुरीले स्वर से वातावरण को सुरभित किया। उनके गीतों में संवेदना, समर्पण और संगीत का ऐसा संगम था जिसने हर श्रोता के मन को स्पर्श किया। कभी स्वर की कोमलता ने हृदय को छुआ, तो कभी ताल की लय ने वातावरण को मंत्रमुग्ध कर दिया।
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
                
        
                
         
        
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महानाट्य के बाद सुप्रसिद्ध गायिका स्नेहा शंकर ने अपने सुरीले स्वर से वातावरण को सुरभित किया। उनके गीतों में संवेदना, समर्पण और संगीत का ऐसा संगम था जिसने हर श्रोता के मन को स्पर्श किया। कभी स्वर की कोमलता ने हृदय को छुआ, तो कभी ताल की लय ने वातावरण को मंत्रमुग्ध कर दिया।
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