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Women's Day 2025: आंखें कमजोर, फिर भी चौके-छक्के लगाती हैं सुषमा, महिला ब्लाइंड क्रिकेट टीम की कप्तान की कहानी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दमोह Published by: दमोह ब्यूरो Updated Sat, 08 Mar 2025 11:41 AM IST
सार

Women's Day 2025: सुषमा ने कहा कि महिलाओं को आगे बढ़ाने में उनके परिवार की अहम भूमिका होती है। दिव्यांग महिलाओं को क्रिकेट में आगे लाने के लिए सरकार को अधिक आर्थिक और तकनीकी सहयोग देना चाहिए।

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Damoh News Indian Women Blind Cricket Team Captain Sushma Patel Life Struggle Story Full Details News in Hindi
सुषमा पटेल की कहानी। - फोटो : अमर उजाला

दमोह जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर जबेरा तहसील के छोटे से गांव घाना मेली की रहने वाली 23 साल की सुषमा पटेल ने अपने संघर्ष और आत्मविश्वास के दम पर भारतीय महिला ब्लाइंड क्रिकेट टीम की कप्तानी तक का सफर तय किया है। दिव्यांग होने के बाद भी उन्होंने अपने क्रिकेट के जुनून को कम नहीं होने दिया। सुषमा की आंखों का विजन कम है, लेकिन उनका विजन काफी मजबूत है। इसी की बदौलत आज वे शानदार क्रिकेट खेलती हैं। साल 2024 के वार्षिक कैलेंडर में महिला एवं बाल विकास विभाग ने उनकी तस्वीर को शामिल किया था। आइए, आज महिला दिवस के मौके पर जानते हैं भारतीय महिला ब्लाइंड क्रिकेट टीम की कप्तान सुषमा पटेल की कहानी...। 

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माता पिता के साथ सुषमा पटेल। - फोटो : अमर उजाला

सुषमा पटेल के पिता बाबूलाल पटेल पेशे से किसान हैं। साथ ही वे क्रिकेट प्रेमी भी हैं। सुषमा को किक्रेट का शौक अपने पिता और भाइयों से मिला है। बचपन में सुषमा अपने भाइयों के साथ खेतों में लकड़ी के पटिए से क्रिकेट खेलती थीं। पिता ने देखा कि उनकी बेटी को क्रिकेट में गहरी रुचि है तो उन्होंने ब्लाइंड क्रिकेट के बारे में जानकारी जुटाई। हालांकि, क्रिकेट सीखने का सफर आसान नहीं था। जबलपुर की एकेडमी में महिला खिलाड़ियों के लिए जगह नहीं थी, ऐसे में उन्हें वहां से खाली हाथ लौटना पड़ा। इस दौरान, सुषमा की बड़ी बहन ने भगवती ने बताया कि भोपाल बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी में ब्लाइंड महिला क्रिकेट का शिविर लगता है। यह जानकारी मिलने के बाद सुषमा यूनिवर्सिटी में लगने वाले शिविर में पहुंच गईं। यहां, सुषमा ने शानदार प्रदर्शन किया, जिससे मध्यप्रदेश टीम में उन्हें जगह मिल गई।

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सुषमा पटेल - फोटो : अमर उजाला

भारतीय टीम में जगह बनाई
किक्रेट की बारीकियां सीखते हुए सुषमा ने धीरे-धीरे अपना प्रदर्शन बेहतर किया। 2022 में सुषमा को बेंगलुरु में महाराष्ट्र के खिलाफ पहला मैच खेलने का मौका मिला। इस मैच में उनका प्रदर्शन शानदार रहा। इसके बाद प्रदर्शन लगातार बेहतर होता गया, जिसके दम पर सुषमा ने 2023 में भारतीय ब्लाइंड महिला क्रिकेट टीम में अपनी जगह पक्की कर ली। उन्होंने पहला अंतरराष्ट्रीय मैच नेपाल में खेला, इसके बाद उन्हें टीम का कप्तान बना दिया गया।

ऑस्ट्रेलिया को हराया मिला गोल्ड मेडल
साल 2024 में सुषमा की कप्तानी में भारतीय टीम ने लंदन में ऑस्ट्रेलिया को हराया। इस मैच में शानदार प्रदर्शन के लिए  सुषमा को गोल्ड मेडल दिया गया। अब इस साल 24 से 28 मार्च तक होने वाली आगामी सीरीज में भी वह भारतीय टीम का नेतृत्व करेंगी।

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महिला एवं बाल विकास विभाग ने 2024 के वार्षिक कैलेंडर में शामिल की थी सुषमा की तस्वीर। - फोटो : अमर उजाला

परिवार और कोच का अहम योगदान
सुषमा का मानना है कि महिलाओं को आगे बढ़ाने में उनके परिवार की अहम भूमिका होती है। उनकी मां लक्ष्मी रानी, बहनें गोमती, भगवती, राजवती और भाई अभिषेक व हरिशंकर ने उनका पूरा साथ दिया। वहीं, सोनू गोलकर और ओमप्रकाश पाल ने भी उनके क्रिकेट करियर को संवारने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। सुषमा का कहना है कि दिव्यांग महिलाओं को क्रिकेट में आगे बढ़ाने के लिए सरकार को अधिक आर्थिक और तकनीकी सहयोग देना चाहिए। सुविधाओं की कमी के कारण कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी उभर नहीं पातीं।

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