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Indore News: विदेश छोड़ा, शादी छोड़ी, अब बना रहीं भारत की बेटियों का भविष्य
अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Thu, 08 May 2025 05:50 PM IST
सार
Indore News: जैन समाज की उच्च शिक्षित युवतियों ने चुनी जीवन की नई राह, प्रतिभास्थली में गुरु शिष्य परंपरा का अद्भुत उदाहरण, देशभर की बालिकाएं पढ़ रह यहां।आधुनिक शिक्षा के साथ भारतीय संस्कृति, धर्म और आत्मनिर्भरता का समावेश किया जा रहा है।
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प्रतिभास्थली में छात्राएं और शिक्षिकाएं।
- फोटो : अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर

आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की प्रेरणा से इंदौर के रेवती रेंज में गुरु शिष्य परंपरा की एक एेसी परिभाषा लिखी जा रही है जो नए भारत की तस्वीर गढ़ रही है। जैन समाज के द्वारा यहां पर शुरू की गई प्रतिभास्थली देश की बालिकाओं को उच्च शिक्षित बना रही है। इसके साथ उन्हें धर्म, आधुनिकता, संस्कृति और हर आयाम पर इस तरह तैयार किया जा रहा है कि वह जिस क्षेत्र में जाएंगी वहां पर आदर्श बनेंगी।
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धार्मिक कार्यों से दिन की शुरुआत
- फोटो : अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर
विज्ञान, आयुर्वेद से लेकर खेल, सिलाई तक में महारथ
यहां पर सीबीएसई पैटर्न पर पढ़ाई होती है और शिक्षा के साथ बालिकाओं को कई क्षेत्रों में निपुण बनाया जाता है। बालिकाओं को सेल्फ डिफेंस, मेंहदी, रंगोली, कुकिंग, जरदोसी, आर्ट, स्पोटर्स्, योग, सिलाई जैसे कई कार्य सिखाए जाते हैं। आयुर्वेद की जानकारी दी जाती है और शरीर को स्वस्थ रखने, जीवन जीने के तरीकों पर विस्तृत कक्षाएं होती हैं। इंटरव्यू के बाद बालिका को प्रतिभास्थली में एडमिशन दिया जाता है।
यहां पर सीबीएसई पैटर्न पर पढ़ाई होती है और शिक्षा के साथ बालिकाओं को कई क्षेत्रों में निपुण बनाया जाता है। बालिकाओं को सेल्फ डिफेंस, मेंहदी, रंगोली, कुकिंग, जरदोसी, आर्ट, स्पोटर्स्, योग, सिलाई जैसे कई कार्य सिखाए जाते हैं। आयुर्वेद की जानकारी दी जाती है और शरीर को स्वस्थ रखने, जीवन जीने के तरीकों पर विस्तृत कक्षाएं होती हैं। इंटरव्यू के बाद बालिका को प्रतिभास्थली में एडमिशन दिया जाता है।
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इंदौर स्थित प्रतिभास्थली
- फोटो : अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर
अनाथ, गरीब बालिकाओं को निःशुल्क शिक्षा
प्रतिभास्थली की शिक्षिकाओं ने बताया कि जो परिवार फीस दे सकता है उससे फीस ली जाती है और जो बालिका अनाथ है या फिर गरीब परिवार से है उसकी फीस दानदाताओं के माध्यम से ली जाती है। जैन समाज के उद्योगपतियों से आव्हान किया जाता है कि वे उन बच्चियों की शिक्षा का खर्च वहन करें।
कई शिक्षिकाएं डाक्टर, कई ने विदेशों से काम छोड़ा
प्रतिभास्थली में पढ़ाने वाली कई शिक्षिकाएं विदेशों में बड़े पदों से नौकरी छोड़कर यहां पर आई हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन यहां की बालिकाओं के नाम पर ही कर दिया है। कई शिक्षिकाएं इंजीनियर हैं, कई डाक्टर भी हैं।
शिक्षिकाओं को नाम से नहीं बुलाया जाता
प्रतिभास्थली में शिक्षिकाओं को नाम से नहीं बुलाया जाता। सभी को दीदी से संबोधित किया जाता है। शिक्षिकाओं ने बताया कि कार्य श्रेयस्कर करना है पर कभी श्रेय नहीं लेना है। इसी बात को ध्येय बनाकर हम काम करते हैं।
साल में पांच बार घर जाती हैं बालिकाएं, पिकनिक भी होती है
बालिकाओं को साल में पांच बार घर भेजा जाता है। समय समय पर इंदौर और आसपास के जिलों के धार्मिक स्थलों, पर्यटन स्थलों पर भी ले जाया जाता है।
धार्मिक कार्यों से शुरुआत, गौशाला में मिट्टी से जुड़ने की सीख
बालिकाओं के दिन की शुरुआत सुबह 5 बजे से हो जाती है। धार्मिक कार्यों के साथ मुनियों के प्रवचन नियमित दिनचर्या का हिस्सा होते हैं। यहां पर बनी गौशाला में भी बालिकाएं नियमित सेवा कार्य करती हैं।
देश में अभी पांच प्रतिभास्थली
देश में अभी पांच प्रतिभास्थली हैं। यह चार राज्यों में हैं। मप्र में दो हैं जिनमें जबलपुर और इंदौर शामिल हैं। छत्तीसगढ़ में डोंगरगढ़, महाराष्ट्र में रामटेक और उप्र में ललितपुर में इन्हें बनाया गया है।
प्रतिभास्थली की शिक्षिकाओं ने बताया कि जो परिवार फीस दे सकता है उससे फीस ली जाती है और जो बालिका अनाथ है या फिर गरीब परिवार से है उसकी फीस दानदाताओं के माध्यम से ली जाती है। जैन समाज के उद्योगपतियों से आव्हान किया जाता है कि वे उन बच्चियों की शिक्षा का खर्च वहन करें।
कई शिक्षिकाएं डाक्टर, कई ने विदेशों से काम छोड़ा
प्रतिभास्थली में पढ़ाने वाली कई शिक्षिकाएं विदेशों में बड़े पदों से नौकरी छोड़कर यहां पर आई हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन यहां की बालिकाओं के नाम पर ही कर दिया है। कई शिक्षिकाएं इंजीनियर हैं, कई डाक्टर भी हैं।
शिक्षिकाओं को नाम से नहीं बुलाया जाता
प्रतिभास्थली में शिक्षिकाओं को नाम से नहीं बुलाया जाता। सभी को दीदी से संबोधित किया जाता है। शिक्षिकाओं ने बताया कि कार्य श्रेयस्कर करना है पर कभी श्रेय नहीं लेना है। इसी बात को ध्येय बनाकर हम काम करते हैं।
साल में पांच बार घर जाती हैं बालिकाएं, पिकनिक भी होती है
बालिकाओं को साल में पांच बार घर भेजा जाता है। समय समय पर इंदौर और आसपास के जिलों के धार्मिक स्थलों, पर्यटन स्थलों पर भी ले जाया जाता है।
धार्मिक कार्यों से शुरुआत, गौशाला में मिट्टी से जुड़ने की सीख
बालिकाओं के दिन की शुरुआत सुबह 5 बजे से हो जाती है। धार्मिक कार्यों के साथ मुनियों के प्रवचन नियमित दिनचर्या का हिस्सा होते हैं। यहां पर बनी गौशाला में भी बालिकाएं नियमित सेवा कार्य करती हैं।
देश में अभी पांच प्रतिभास्थली
देश में अभी पांच प्रतिभास्थली हैं। यह चार राज्यों में हैं। मप्र में दो हैं जिनमें जबलपुर और इंदौर शामिल हैं। छत्तीसगढ़ में डोंगरगढ़, महाराष्ट्र में रामटेक और उप्र में ललितपुर में इन्हें बनाया गया है।