महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का क्षरण रोकने के उपायों की सिफारिश के क्रम में एक नई व्यवस्था की शुरुआत की जा रही है। अभी बाबा महाकाल के शृंगार में पांच से सात किलो भांग का उपयोग होता है। इसे घटाकर अब तीन किलो किया गया है। इसके लिए मंदिर में तौल कांटा भी लगाया जाएगा। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में पुजारी अब भगवान महाकाल के शृंगार में तीन किलो से अधिक भांग का उपयोग नहीं कर सकेंगे। मंदिर समिति भगवान के शृंगार से पहले भांग का वजन कराएगी। महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि भगवान महाकाल के शृंगार में अधिकतम तीन किलो भांग का उपयोग करने का नियम है। इसका कड़ाई से पालन कराने के लिए अब तौल कांटा लगाया जा रहा है, ताकि मात्रा अधिक न होने पाए।
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Ujjain Mahakal: महाकाल के शृंगार में किस नियम का हो रहा उल्लंघन? बन रहा क्षरण की वजह, भांग की नई व्यवस्था लागू
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उज्जैन
Published by: अर्पित याज्ञनिक
Updated Fri, 29 Aug 2025 11:06 AM IST
सार
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के क्षरण को रोकने के लिए मंदिर समिति ने नई व्यवस्था लागू की है। श्रद्धालु भी 1100 रुपये की रसीद कटवाकर भगवान महाकाल का विशेष शृंगार करा सकेंगे। पुजारी भगवान का शृंगार अलग-अलग स्वरूपों में करते हैं,
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बाबा महाकाल।
- फोटो : अमर उजाला
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क्षरण को लेकर 2017 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी
याद रहे कि वर्ष 2017 में ज्योतिर्लिंग का क्षरण रोकने के लिए सारिका गुरु ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने आर्कियोलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) और जियोलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) के विशेषज्ञों की समिति गठित की थी। विशेषज्ञों ने महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का परीक्षण कर क्षरण रोकने के लिए कई सुझाव दिए थे। इनमें एक सुझाव भगवान महाकाल के शृंगार में भांग की मात्रा सीमित करने का भी है। महाकाल मंदिर में प्रतिदिन होने वाली पांच आरतियों में भगवान महाकाल का विशेष शृंगार किया जाता है। तड़के चार बजे होने वाली भस्म आरती तथा शाम को सात बजे होने वाली संध्या आरती में पुजारी भक्तों की ओर से अर्पित भांग से भगवान महाकाल का शृंगार करते हैं।
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याद रहे कि वर्ष 2017 में ज्योतिर्लिंग का क्षरण रोकने के लिए सारिका गुरु ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने आर्कियोलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) और जियोलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) के विशेषज्ञों की समिति गठित की थी। विशेषज्ञों ने महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का परीक्षण कर क्षरण रोकने के लिए कई सुझाव दिए थे। इनमें एक सुझाव भगवान महाकाल के शृंगार में भांग की मात्रा सीमित करने का भी है। महाकाल मंदिर में प्रतिदिन होने वाली पांच आरतियों में भगवान महाकाल का विशेष शृंगार किया जाता है। तड़के चार बजे होने वाली भस्म आरती तथा शाम को सात बजे होने वाली संध्या आरती में पुजारी भक्तों की ओर से अर्पित भांग से भगवान महाकाल का शृंगार करते हैं।
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बाबा महाकाल।
- फोटो : अमर उजाला
श्रद्धालु करा सकेंगे भगवान का शृंगार
महाकाल मंदिर में नित्य प्रति होने वाली पांच आरतियों में पुजारी भगवान महाकाल का कुमकुम, चंदन, भांग और सूखे मेवे तथा मावे से विभिन्न स्वरूप में शृंगार करते हैं। अब कोई भी श्रद्धालु भगवान महाकाल का शृंगार करवा सकता है। इसके लिए मंदिर कार्यालय में 1100 रुपये की शृंगार की रसीद कटवानी होगी।
महाकाल मंदिर में नित्य प्रति होने वाली पांच आरतियों में पुजारी भगवान महाकाल का कुमकुम, चंदन, भांग और सूखे मेवे तथा मावे से विभिन्न स्वरूप में शृंगार करते हैं। अब कोई भी श्रद्धालु भगवान महाकाल का शृंगार करवा सकता है। इसके लिए मंदिर कार्यालय में 1100 रुपये की शृंगार की रसीद कटवानी होगी।
बाबा महाकाल।
- फोटो : अमर उजाला
अलग-अलग स्वरूपों में किया जाता है शृंगार
महाकाल मंदिर के पुजारी और समिति सदस्य पं. राम शर्मा के अनुसार तड़के भस्मी रमाने वाले भूतभावन महाकाल का शाम को भी भांग शृंगार होता है। निराकार भगवान को विविध स्वरूपों में आकार देकर भक्तों के लिए दिव्य दर्शन को साकार किया जाता है। किसी की जन्म तिथि, विवाह वर्षगांठ, विशेष तिथि, वार तथा त्योहार के अनुसार भगवान का रूप निखारा जाता है। मंदिर के पुजारी बड़ी लगन के साथ भगवान महाकाल का गणेश, श्रीकृष्ण, तिरुपति बालाजी, हनुमानजी, शेषनाग आदि कई रूपों में शृंगार करते हैं।
महाकाल मंदिर के पुजारी और समिति सदस्य पं. राम शर्मा के अनुसार तड़के भस्मी रमाने वाले भूतभावन महाकाल का शाम को भी भांग शृंगार होता है। निराकार भगवान को विविध स्वरूपों में आकार देकर भक्तों के लिए दिव्य दर्शन को साकार किया जाता है। किसी की जन्म तिथि, विवाह वर्षगांठ, विशेष तिथि, वार तथा त्योहार के अनुसार भगवान का रूप निखारा जाता है। मंदिर के पुजारी बड़ी लगन के साथ भगवान महाकाल का गणेश, श्रीकृष्ण, तिरुपति बालाजी, हनुमानजी, शेषनाग आदि कई रूपों में शृंगार करते हैं।
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बाबा महाकाल।
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ऐसे होता है बाबा महाकाल का शृंगार
शृंगार के लिए 1100 रुपये की शासकीय रसीद कटानी होती है। पुजारी निर्धारित किया जाता, जो शृंगार करते हैं। जिस श्रद्धालु के नाम से शृंगार किया जा रहा है, उनका नाम बोर्ड पर लिखा जाता है। शृंगार में भांग, सूखे मेवे, वस्त्र, पूजन सामग्री आदि सामग्री शामिल रहती है। इसके लिए शेष राशि अलग से देना होती है। इसलिए लगभग 5 से 6 हजार रुपये का खर्च आता है। शृंगार में भांग का उपयोग होता है। शृंगार कराने वाले श्रद्धालुओं को संध्या पूजन और आरती के समय नंदी हॉल में मौजूद रहने की अनुमति प्रदान की जाती है। भगवान को नवीन वस्त्र तथा रजत आभूषण धारण कराए जाते हैं।
शृंगार के लिए 1100 रुपये की शासकीय रसीद कटानी होती है। पुजारी निर्धारित किया जाता, जो शृंगार करते हैं। जिस श्रद्धालु के नाम से शृंगार किया जा रहा है, उनका नाम बोर्ड पर लिखा जाता है। शृंगार में भांग, सूखे मेवे, वस्त्र, पूजन सामग्री आदि सामग्री शामिल रहती है। इसके लिए शेष राशि अलग से देना होती है। इसलिए लगभग 5 से 6 हजार रुपये का खर्च आता है। शृंगार में भांग का उपयोग होता है। शृंगार कराने वाले श्रद्धालुओं को संध्या पूजन और आरती के समय नंदी हॉल में मौजूद रहने की अनुमति प्रदान की जाती है। भगवान को नवीन वस्त्र तथा रजत आभूषण धारण कराए जाते हैं।

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