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Dharmendra Death: धर्मेंद्र ने 1950 में यहां से की थी हाईस्कूल... फिर इस कॉलेज से की पढ़ाई; बचपन में था ये नाम
अमर उजाला नेटवर्क, चंडीगढ़
Published by: शाहरुख खान
Updated Mon, 24 Nov 2025 03:27 PM IST
सार
अभिनेता धर्मेंद्र की नहीं रहे। आज सोमवार को उनका निधन हो गया है। उनके निधन की खबर आने से शोक की लहर दौड़ गई। करण जौहर ने उनके निधन की पुष्टि करते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट की।
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फगवाड़ा में गुरबचन सिंह परमार कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन करते धर्मेंद्र
- फोटो : संवाद
भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र सिंह देओल का आज सोमवार को 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया। दुनिया उन्हें 'ही-मैन' के नाम से जानती है, उनके निधन से पूरे बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गई है। धर्मेंद्र अपने असाधारण अभिनय, दमदार व्यक्तित्व और किसानों के प्रति प्रेम के लिए जाने जाते थे। दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र को 10 नवंबर को अचानक तबीयत बिगड़ने पर मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस दौरान उनके निधन के अफवाह भी उड़ी थी। बाद में डॉक्टरों ने उन्हें अस्पताल से घर भेज दिया था। तब से घर पर ही उनकी देखरेख की जा रही थी। सोमवार को प्रोड्यूसर करण जौहर ने उनके निधन की पुष्टि करते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट की।
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फगवाड़ा का स्कूल, जहां धर्मेंद्र पढ़े थे
- फोटो : संवाद
धर्मेंद्र का प्रारंभिक जीवन और अभिनय की ओर पहला कदम
धर्मेंद्र का जन्म 8 दिसंबर 1935 को पंजाब के लुधियाना जिले के नसराली गांव में हुआ था। उनका पूरा नाम धरम सिंह देओल था। उनके पिता केवल कृष्ण देओल सरकारी स्कूल में हेडमास्टर थे, जबकि मां का नाम सतवंत कौर था। धर्मेंद्र ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा साहनेवाल के सरकारी स्कूल से प्राप्त की, जहां उनके पिता कार्यरत थे। धर्मेंद्र के पिता मास्टर केवल कृष्ण चौधरी आर्य हाई स्कूल में गणित और सामाजिक अध्ययन पढ़ाते थे। धर्मेंद्र ने 1950 में यहीं से मैट्रिक की। 1952 तक रामगढ़िया कॉलेज में आगे की पढ़ाई की। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से अपनी उच्च शिक्षा पूरी की।
धर्मेंद्र का जन्म 8 दिसंबर 1935 को पंजाब के लुधियाना जिले के नसराली गांव में हुआ था। उनका पूरा नाम धरम सिंह देओल था। उनके पिता केवल कृष्ण देओल सरकारी स्कूल में हेडमास्टर थे, जबकि मां का नाम सतवंत कौर था। धर्मेंद्र ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा साहनेवाल के सरकारी स्कूल से प्राप्त की, जहां उनके पिता कार्यरत थे। धर्मेंद्र के पिता मास्टर केवल कृष्ण चौधरी आर्य हाई स्कूल में गणित और सामाजिक अध्ययन पढ़ाते थे। धर्मेंद्र ने 1950 में यहीं से मैट्रिक की। 1952 तक रामगढ़िया कॉलेज में आगे की पढ़ाई की। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से अपनी उच्च शिक्षा पूरी की।
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फगवाड़ा में हरजीत सिंह परमार व उनके परिवार के साथ धर्मेंद्र व उनकी पत्नी प्रकाश कौर
- फोटो : संवाद
अभिनय के प्रति धर्मेंद्र का रुझान बचपन से ही था। ऐसा कहा जाता है कि मिनर्वा सिनेमा में दिलीप कुमार की एक फिल्म देखकर उनमें अभिनय की ललक जगी थी। बाद में, फिल्मफेयर मैगजीन द्वारा आयोजित एक न्यू टैलेंट कॉम्पिटिशन में विजेता बनने के बाद, अभिनय के सपने को साकार करने के लिए वे मुंबई चले आए।
धर्मेंद्र का निधन
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बॉलीवुड में 'ही-मैन' का सफर
धर्मेंद्र ने अपने चार दशक से लंबे करियर में 200 से अधिक फिल्मों में काम किया। उन्होंने 'शोले', 'सत्ते पे सत्ता', 'यमला पगला दीवाना', 'आज मेरे यार की शादी है' जैसी कई यादगार फिल्मों में अपनी छाप छोड़ी। उनकी दमदार आवाज, एंग्री यंग मैन की छवि और इमोशनल सीन्स में सहजता ने उन्हें दर्शकों का प्रिय बना दिया। उन्होंने न केवल एक्शन और ड्रामा फिल्मों में बल्कि कॉमेडी में भी अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
धर्मेंद्र ने अपने चार दशक से लंबे करियर में 200 से अधिक फिल्मों में काम किया। उन्होंने 'शोले', 'सत्ते पे सत्ता', 'यमला पगला दीवाना', 'आज मेरे यार की शादी है' जैसी कई यादगार फिल्मों में अपनी छाप छोड़ी। उनकी दमदार आवाज, एंग्री यंग मैन की छवि और इमोशनल सीन्स में सहजता ने उन्हें दर्शकों का प्रिय बना दिया। उन्होंने न केवल एक्शन और ड्रामा फिल्मों में बल्कि कॉमेडी में भी अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
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अपने स्कूल के मित्र एडवोकेट एस.एन चोपड़ा के साथ धर्मेंद्र
- फोटो : संवाद
बचपन के दोस्त नहीं भूले धर्मेंद्र की विनम्रता
पंजाब में उनके बचपन के साथी, वरिष्ठ एडवोकेट एस.एन. चोपड़ा बताते थे कि प्रसिद्धि कभी भी उनकी विनम्रता को कम नहीं कर पाई। उन्होंने कहा, "जब भी वह आते, तो हमारे साथ बैठना, पुरानी बातें करना, मजाक करना और पुरानी यादें ताजा करना चाहते थे। वह कभी किसी स्टार की तरह नहीं आए, वह हमारे दोस्त की तरह आए।" इसी तरह, फगवाड़ा में उनके बचपन के सबसे करीबी साथी समाजसेवक कुलदीप सरदाना, हरजीत सिंह परमार और एडवोकेट शिव चोपड़ा भी धर्मेंद्र के साथ बिताए अनमोल पलों को याद करते थे। उन्होंने बताया कि जब उन्हें सिर्फ 'धरम' के नाम से जाना जाता था, तब से वे उनके साथ थे।
पंजाब में उनके बचपन के साथी, वरिष्ठ एडवोकेट एस.एन. चोपड़ा बताते थे कि प्रसिद्धि कभी भी उनकी विनम्रता को कम नहीं कर पाई। उन्होंने कहा, "जब भी वह आते, तो हमारे साथ बैठना, पुरानी बातें करना, मजाक करना और पुरानी यादें ताजा करना चाहते थे। वह कभी किसी स्टार की तरह नहीं आए, वह हमारे दोस्त की तरह आए।" इसी तरह, फगवाड़ा में उनके बचपन के सबसे करीबी साथी समाजसेवक कुलदीप सरदाना, हरजीत सिंह परमार और एडवोकेट शिव चोपड़ा भी धर्मेंद्र के साथ बिताए अनमोल पलों को याद करते थे। उन्होंने बताया कि जब उन्हें सिर्फ 'धरम' के नाम से जाना जाता था, तब से वे उनके साथ थे।