राजस्थान की चिकित्सा सेवाओं में एक बार फिर एसएमएस अस्पताल का नाम गौरव से जुड़ा है। सर्जरी विभाग की टीम ने दूरबीन पद्धति (VATS – Video Assisted Thoracoscopic Surgery) के जरिए एक जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। टीम ने मरीज की ग्रासनली (आहार नली) से धातु की घड़ी और बड़ी आंत से कीलें, नट-बोल्ट और पेंच को बिना बड़े चीरे के निकालने में सफलता हासिल की।
SMS अस्पताल में कमाल: दूरबीन पद्धति से मरीज की आहार नली से निकाली घड़ी, बड़ी आंत से कीलें व नट-बोल्ट भी हटाए
Jaipur News: एसएमएस अस्पताल की सर्जरी टीम ने वीएटीएस तकनीक से नागौर निवासी मानसिक रूप से अस्वस्थ मरीज की आहार नली से धातु की घड़ी और बड़ी आंत से कीलें, नट-बोल्ट सफलतापूर्वक निकाले। यह जटिल ऑपरेशन बिना बड़े चीरे के पूरा किया गया।
एंडोस्कोपी विफल होने पर अपनाई गई आधुनिक VATS तकनीक
मरीज की स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने पहले दो बार एंडोस्कोपी के जरिए वस्तुएं निकालने की कोशिश की, लेकिन प्रयास असफल रहा। इसके बाद सर्जरी विभाग की टीम ने निर्णय लिया कि ऑपरेशन वीएटीएस (VATS) तकनीक से किया जाएगा, जिससे बिना बड़े चीरे के अंदरूनी सर्जरी की जा सकती है।
करीब तीन घंटे चले इस जटिल ऑपरेशन में सर्जनों ने आहार नली से घड़ी को दूरबीन पद्धति द्वारा निकाला, जबकि बड़ी आंत से कीलें, नट-बोल्ट और पेंच को पेट पर छोटा चीरा लगाकर सावधानीपूर्वक बाहर निकाला गया।
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विशेषज्ञों की टीम और समन्वय से मिली सफलता
इस ऑपरेशन में सर्जरी विभाग के कई विशेषज्ञ डॉक्टरों ने भाग लिया। टीम में डॉ. शालू गुप्ता, डॉ. फारूख खान, डॉ. अमित गोयल, डॉ. देवेंद्र सैनी, डॉ. नवेंद्र, डॉ. रोहन, डॉ. हरकिरत, डॉ. वस्तराम, डॉ. अनुष्का, डॉ. मयूर, डॉ. रक्षा, डॉ. प्रवीण जोशी और विभागाध्यक्ष डॉ. प्रभा ओम शामिल थे। एनेस्थीसिया टीम में डॉ. कल्पना, डॉ. सुनील चौहान, डॉ. इंदु और डॉ. प्रतिमा, नर्सिंग स्टाफ से दीपा पुनिया और राकेश सामोता, जबकि टेक्नीशियन शैलेन्द्र और वार्ड बॉय श्याम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
‘असंभव को संभव बनाया’
सर्जरी विभाग की एचओडी डॉ. प्रभा ओम ने पूरी टीम को इस उपलब्धि के लिए बधाई देते हुए कहा कि एसएमएस अस्पताल की सर्जरी टीम ने एक बार फिर यह साबित किया है कि आधुनिक तकनीक और विशेषज्ञता के मेल से असंभव लगने वाले मामलों का भी सफल इलाज संभव है।
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