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Apara Ekadashi 2025: क्यों रखा जाता है अपरा एकादशी का व्रत? जानें तिथि और इसका महत्व
ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: श्वेता सिंह Updated Fri, 09 May 2025 11:20 AM IST
सार
Apara Ekadashi Mahatv: अपरा एकादशी का व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन के कठिन समय में भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद पाने का सर्वोत्तम अवसर भी है। यह व्रत व्यक्ति को मानसिक शांति, आत्मिक शुद्धता और एक बेहतर जीवन की दिशा में अग्रसर करता है।
Kyon Manai Jati Hai Apara Ekadashi: अपरा एकादशी का व्रत जेष्ठ माह के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है, जो विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा का दिन होता है। एकादशी तिथि का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि इसे भगवान विष्णु के समर्पण और कृपा प्राप्त करने के सर्वोत्तम दिन के रूप में माना जाता है। इस दिन का व्रत रखने से न केवल व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है, बल्कि सभी पापों से मुक्ति भी मिलती है।
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एकादशी के दिन व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में आई हुई बाधाएं समाप्त होती हैं और जीवन में शांति और संतुलन स्थापित होता है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी होता है जो भगवान विष्णु की कृपा से अपने जीवन में सुख और समृद्धि चाहते हैं। अपरा एकादशी का व्रत पूरे विधि-विधान से करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे व्यक्ति को जीवन में आनंद, धन, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं अपरा एकादशी का महत्व और क्यों मनाई जाती है अपरा एकादशी।
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Apara Ekadashi 2025
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कब है अपरा एकादशी?
वैदिक पंचांग के अनुसार, जेष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी की शुरुआत 23 मई को देर रात 1 बजकर 12 मिनट पर होगी। वहीं, तिथि का समापन 23 मई को रात्रि 10 बजकर 29 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, अपरा एकादशी का व्रत 23 मई को रखा जाएगा।
यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपयुक्त होता है। इस दिन व्रति विशेष रूप से अपरा एकादशी का व्रत करके भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
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अपरा एकादशी व्रत का उद्देश्य
अपरा एकादशी, जो हर साल जेष्ठ माह के कृष्ण पक्ष में आती है, भगवान विष्णु की पूजा और उनकी कृपा प्राप्त करने का एक विशेष दिन माना जाता है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, जो जीवन में किसी कठिनाई या संकट का सामना कर रहे होते हैं। यह व्रत उनके लिए विशेष रूप से लाभकारी होता है क्योंकि यह न केवल मानसिक शांति और सुख-समृद्धि लाता है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है।
अपरा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है, खासकर प्रेत योनि, ब्रह्म हत्या और अन्य बड़े पापों से। साथ ही, यह व्रत जीवात्मा की शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति में मदद करता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान श्री विष्णु की पूजा की जाती है, और उनकी भक्ति से जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। कहा जाता है कि यह व्रत जीवन के हर संकट से मुक्ति का मार्ग खोलता है, जिससे व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है।
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पौराणिक कथा
अपरा एकादशी का व्रत करने के पीछे एक महत्वपूर्ण कथा जुड़ी हुई है। पौराणिक ग्रंथों में वर्णित है कि राजा महीध्वज का छोटे भाई वज्रध्वज एक अत्यंत क्रूर और अधर्मी व्यक्ति था। उसने अपने भाई की हत्या कर दी और उसकी लाश को पीपल के नीचे गाड़ दिया। इसके कारण राजा महीध्वज प्रेत योनि में चला गया। एक दिन जब महर्षि धौम्य उस रास्ते से गुजर रहे थे, तो उन्होंने राजा की प्रेतात्मा को देखा। महर्षि ने राजा को उसकी मुक्ति का उपाय बताया और अपरा एकादशी व्रत का पालन करने की सलाह दी। महर्षि ने भगवान विष्णु से राजा की प्रेत योनि से मुक्ति की प्रार्थना की। इसके बाद राजा को प्रेत योनि से मुक्ति मिल गई और वह स्वर्ग लोक को प्राप्त हुआ।
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अपरा एकादशी व्रत का महत्व
अपरा एकादशी का व्रत न केवल शारीरिक और मानसिक लाभ देता है, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि का भी एक साधन है। इस दिन विष्णु भगवान की पूजा करने से जीवन के सभी कष्टों का निवारण होता है और व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत विशेष रूप से पापों से मुक्ति दिलाने, मोक्ष की प्राप्ति, और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ाने के लिए किया जाता है। इस व्रत के माध्यम से लोग अपने बुरे कर्मों का प्रायश्चित करते हैं और अपने जीवन को एक नई दिशा देने के लिए भगवान विष्णु से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।
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