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Mohini Ekadashi 2025: मोहिनी एकादशी कब है? पढ़ें मोहिनी अवतार से जुड़ी दो रोचक कथाएं

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: श्वेता सिंह Updated Thu, 08 May 2025 11:37 AM IST
सार

Mohini Avtar Ki Kahani: मोहिनी एकादशी के दिन विशेष पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मोहिनी एकादशी का व्रत करने से जातक को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और अपने पापों से मुक्ति मिलती है।

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Mohini Ekadashi 2025 Know the Date of Mohini Ekadashi and Read Two Legendary Stories of Mohini Avatar
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Mohini Ekadashi 2025 - फोटो : adobe stock
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Mohini Ekadashi Katha: मोहिनी एकादशी हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है, जिसे हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। यह एकादशी भगवान विष्णु से जुड़ी हुई है और विशेष रूप से उनकी मोहिनी अवतार की कथा से संबंधित है। इस दिन विशेष पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मोहिनी एकादशी का व्रत करने से जातक को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और अपने पापों से मुक्ति मिलती है।
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मोहिनी एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया था, जो एक आकर्षक महिला रूप में प्रकट हुए थे। मोहिनी का रूप इतना सुंदर था कि देवता और राक्षस भी इस रूप को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए थे। इस दिन भगवान विष्णु के इस मोहिनी रूप से जुड़ी कई कथाएं भी प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने इस रूप में देवताओं और राक्षसों के बीच हुए समुद्र मंथन में अमृत कलश को देवताओं के बीच बांटने में सहायता की थी। वहीं दूसरी कथा में भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप में भस्मासुर का वध किया था। आइए जानते हैं  मोहिनी एकादशी कब है और इस दिन से जुड़ी दो प्रमुख पौराणिक कथाओं के बारे में विस्तार से।
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मोहिनी एकादशी तिथि व मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारम्भ: 7 मई 2025, प्रातः 10:19 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 08 मई 2025, दोपहर  12:29 बजे
उदयातिथि के अनुसार मोहिनी एकादशी व्रत 8 मई को रखा जाएगा।
मोहिनी एकादशी पारण समय:  9 मई  प्रातः 05:34 से  प्रातः 08:16
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय: दोपहर 02:56 बजे
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समुद्र मंथन और मोहिनी अवतार
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवताओं और राक्षसों के बीच बहुत समय पहले एक युद्ध हुआ था। राक्षसों को हराने के बाद देवता बहुत थक गए थे और उनकी शक्ति समाप्त हो गई थी। तब भगवान शिव ने देवताओं को सलाह दी कि वे समुद्र मंथन करें और अमृत प्राप्त करें, ताकि वे पुनः अपनी शक्ति प्राप्त कर सकें।

समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव और भगवान विष्णु ने देवताओं को मदद दी। समुद्र मंथन से कई रत्न और वस्तुएं निकलीं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण अमृत कलश था। अमृत पीने से देवता अमर हो जाते थे। राक्षसों ने यह देख लिया और उन्होंने देवताओं से अमृत छीनने की योजना बनाई।

भगवान विष्णु ने इस समस्या का हल निकालने के लिए मोहिनी अवतार लिया। मोहिनी एक अत्यंत सुंदर और आकर्षक स्त्री रूप में प्रकट हुईं। भगवान विष्णु के मोहिनी रूप को देख देवता और राक्षस दोनों ही मंत्रमुग्ध हो गए। मोहिनी ने राक्षसों को अपनी सुंदरता और आकर्षण से बहलाया और उन्हें अपने जाल में फंसा लिया।

मोहिनी ने राक्षसों से अमृत कलश लेकर देवताओं में बांट दिया। राक्षसों को यह समझने का समय नहीं मिला कि वे धोखा खा रहे थे। मोहिनी ने अपनी चालाकी से अमृत केवल देवताओं को ही दिया और राक्षसों को बिना अमृत के ही छोड़ दिया। इस प्रकार देवता अमर हो गए और राक्षसों की शक्ति समाप्त हो गई।
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भस्मासुर और मोहिनी अवतार
मोहिनी एकादशी की एक और प्रसिद्ध कथा जुड़ी हुई है, जिसमें भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप में भस्मासुर का अंत किया। भस्मासुर को वरदान प्राप्त था कि वह जिस किसी के सिर पर हाथ रखेगा, वह व्यक्ति जलकर भस्म हो जाएगा। वह इस वरदान से देवताओं को परेशान करने लगा।

भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप में अवतार लिया और भस्मासुर को धोखा दिया। मोहिनी ने भस्मासुर से नृत्य करने के लिए कहा और नृत्य करते-करते उसे अपनी चाल में फंसा लिया। मोहिनी ने भस्मासुर को अपना हाथ उसके ही सिर पर रखने के लिए प्रेरित किया, और जैसे ही भस्मासुर ने ऐसा किया, वह भस्म हो गया। इस प्रकार भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप में राक्षसों से देवताओं की रक्षा की और संसार को विनाश से बचाया।

यह कथा यह दर्शाती है कि भगवान विष्णु का मोहिनी रूप केवल राक्षसों को ही नहीं, बल्कि समस्त संसार को सजग और पापों से मुक्त करने के लिए प्रकट हुआ। मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के इस अवतार की पूजा करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।


डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। 
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