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Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत पूजा महत्व और जानिए किन वस्तुओं को अर्पित करने से क्या मिलता है फल

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: विनोद शुक्ला Updated Fri, 09 May 2025 06:40 AM IST
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सार

Pradosh Vrat 2025: शुक्र प्रदोष व्रत 9 मई को किया जाएगा। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।

Pradosh Vrat 2025 Date Puja Vidhi and Significance Know  Puja Samagri On Pradosh Vrat
प्रदोष व्रत का महत्व - फोटो : adobe stock
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Pradosh Vrat 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है, किंतु वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी विशेष पुण्यदायी मानी गई है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 9 मई को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट से होगी और अगले दिन यानी 10 मई को शाम को 5 बजकर 29 मिनट पर तिथि खत्म होगी। इस प्रकार शुक्र प्रदोष व्रत 9 मई को किया जाएगा।
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प्रदोष पर शिव पूजा का महत्व
यह व्रत धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावकारी माना जाता है। इस दिन व्रत, उपवास, रुद्राभिषेक और शिवलिंग पर विविध वस्तुएं अर्पित करने से समस्त दोषों का नाश होता है और जीवन में सुख, शांति एवं समृद्धि आती है। स्कंद पुराण, शिव पुराण तथा लिंग पुराण में इस व्रत की महिमा का विस्तार से वर्णन मिलता है। वैशाख शुक्ल त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की श्रद्धा भाव से पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में हर प्रकार की शुभता प्राप्त होती है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायक होता है जो गृहस्थ जीवन में संतुलन, स्वास्थ्य, समृद्धि और मानसिक शांति की कामना रखते हैं।
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प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक विशेष रूप से किया जाता है। इस दिन शिवलिंग पर विभिन्न वस्तुएं अर्पित करने की विशेष परंपरा है, जिनका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक है।

जल और गंगाजल – सबसे पहले शिवलिंग को स्वच्छ जल और गंगाजल से स्नान कराना चाहिए। इससे पापों का नाश होता है और चित्त शुद्ध होता है।

दूध – शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से चंद्र दोष समाप्त होता है और मन की शांति प्राप्त होती है।

दही – दही से अभिषेक करने पर संतान सुख की प्राप्ति होती है तथा पारिवारिक कलह समाप्त होते हैं।

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घी – घी से रुद्राभिषेक करने से आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है और लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

शहद – शिवलिंग पर शहद अर्पित करने से वाणी मधुर होती है और शत्रु शांत हो जाते हैं।

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शक्कर या मिश्री – इससे मनुष्य को सुख और सौभाग्य प्राप्त होता है।

बेलपत्र – बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। त्रिपत्री बेल अर्पित करने से सभी पापों का क्षय होता है और शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

धतूरा और आक का फूल – यह दोनों वनस्पतियां भगवान शिव को प्रिय हैं और इन्हें चढ़ाने से ऋण, रोग और शत्रु बाधाएं समाप्त होती हैं।

भस्म और चंदन – शिव को भस्म अर्पित करने से सांसारिक मोह समाप्त होते हैं जबकि चंदन से मन को शीतलता और शुद्धता मिलती है।

नैवेद्य और फल – फल और मिठाई भगवान को अर्पित करने से सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।

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