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Diwali 2025: 21 नहीं 20 अक्तूबर को है दिवाली, पंडित जी से जानें अमावस्या तिथि और लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त

वैदिक विभूषण ज्योतिषाचार्य पं.मनोज कुमार द्विवेदी Published by: मनोज कुमार द्विवेदी Updated Thu, 16 Oct 2025 02:23 PM IST
सार

इस वर्ष दीपावली की तिथि को लेकर लोगों के बीच भ्रम बना हुआ है। दीपावली देवी लक्ष्मी की कृपा पाने का शुभ अवसर है. सही समय पर पूजा करने से समृद्धि, शांति और कल्याण की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कि इस बार दिवाली किस दिन मनाई जाएगी।

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Diwali 2025 Date And Time - फोटो : Amar Ujala

Diwali 2025 Date And Time: धर्मशास्त्रानुसार दीपावली का पर्व प्रदोष काल एवं महानिशिथ काल व्यापनी अमावस्या में मनाया जाता है, जिसमें प्रदोष काल का महत्व गृहस्थों और व्यापारियों के लिए तथा महानिशिथ काल का उपयोग आगमशास्त्र (तांत्रिक) विधि से पूजन हेतु उपयुक्त होता है।


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इस वर्ष दीपावली की तिथि को लेकर लोगों के बीच भ्रम बना हुआ है। दीपावली सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह देवी लक्ष्मी की कृपा पाने का शुभ अवसर है. सही समय पर पूजा करने से समृद्धि, शांति और कल्याण की प्राप्ति होती है। दीपावली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रदोष व्यापिनी अमावस्या को मनाया जाता है. श्री शुभ सम्वत् 2082 शाके 1947 कार्तिक कृष्ण अमावस्या (प्रदोष-कालीन) 20 अक्तूबर 2025 सोमवार को है। इस दिन चतुर्दशी तिथि सूर्योदय से लेकर दोपहर 03 बजकर 44 मिनट तक रहेगी, तत्पश्चात् अमावस्या तिथि प्रारम्भ हो जाएगी। दीपावली के पूजन हेतु धर्मशास्त्रोक्त प्रदोष काल एवं महानिशीथ काल मुख्य हैं। 

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प्रदोष काल - फोटो : Amar Ujala

प्रदोष काल
20 अक्तूबर 2025 को दीपावली के दिन धर्मशास्त्रोक्त प्रदोष काल शाम 05 बजकर 36 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। इसमें स्थिर लग्न वृष का समावेश 06 बजकर 59 मिनट से लेकर 08 बजकर 56 मिनट तक रहेगा।

चौघड़िया मुहूर्त
चर चौघड़िया घं.05  मि.36 से घं.07  मि.10 तक, तत्पश्चात् लाभ चौघड़िया की वेला घं.10 मि.19 से घं.11 मि.53 तक रहेगी। तथा शुभ,अमृत, चर चौघड़िया की संयुक्त वेला रात्रि घं.01 मि.28 से घं.06 मि.11 तक रहेगी। 

20 अक्तूबर को अमावस्या, प्रदोष काल, वृष लग्न और चर चौघड़िया का पूर्ण शुभ संयोग रहेगा।

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अमावस्या और महानिशीथ काल का संयोग - फोटो : Amar Ujala

अमावस्या और महानिशीथ काल का संयोग
इसके बाद महानिशीथ काल रात्रि रात्रि घं.11 मि.45 से घं.12 मि.39 तक रहेगा। इस समयावधि में अमावस्या और महानिशीथ काल का पूर्ण संयोग रहेगा। उल्लेखनीय है कि दीपावली में महानिशीथ काल अति महत्वपूर्ण माना जाता है। इसमें लाभ चौघड़िया की वेला रहेगी।  

इसके बाद रात्रि घं.01  मि.18 से घं.03  मि.32 तक स्थिर लग्न सिंह रहेगी। इस समयावधि में अमावस्या और सिंह लग्न का पूर्ण संयोग रहेगा तथा इसमें भी शुभ चौघड़िया की वेला घं.01 मि.28 से घं.03  मि.02 तक रहेगी। इस प्रकार 20 अक्तूबर 2025 सोमवार को अमावस्या रात्रि पर्यन्त रहेगी। उसमें उपरोक्त शुभ योगों का समावेश भी रहेगा।

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दिवाली 2025 - फोटो : Amar Ujala

अब 21 अक्तूबर 2025 मंगलवार की स्थिति का विश्लेषण देखिए। इस वर्ष  21 अक्तूबर 2025 दिन मंगलवार को सूर्योदय से शाम घं.05 मि.54 तक अमावस्या तिथि रहेगी, तत्पश्चात् कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा प्रारम्भ हो जाएगी। 

21 अक्तूबर 2025 मंगलवार को अमावस्या के दिन धर्मशास्त्रोक्त प्रदोष काल घं.05  मि.36 से लेकर घं.08 मि.07 तक रहेगा। इसमें स्थिर लग्न वृष का समावेश घं.06 मि.55 से लेकर घं.08  मि.52 तक रहेगा।  काल (अशुभ) चौघड़िया घं.05 मि.26 से घं.07 मि.00 तक, तत्पश्चात् लाभ चौघड़िया की वेला घं.07 मि.00 से घं.08 मि.34 तक रहेगी।

अब यहां ध्यान देने योग्य विशेष तथ्य है कि, मंगलवार को अमावस्या तिथि सूर्यास्त के बाद कुल 24 मिनट रहेगी, उसके बाद शुक्ल प्रतिपदा लगेगी, उसमें भी स्थिर लग्न वृष घं.06 मि.55 से लगेगी, और इसके पूर्व घं.05 मि.54 पर अमावस्या समाप्त हो जाएगी, जिसके कारण पूजन का समय कुल 24 मिनट का प्राप्त होगा, उसमें भी वृष लग्न नहीं मिलेगी और उसमें काल की चौघड़िया का अशुभ योग विद्यमान रहेगा। 

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अमावस्या की तिथि में प्रदोष काल का विशेष महत्व - फोटो : freepik

21 अक्तूबर 2025 मंगलवार को महानिशीथ काल के एवं स्थिर लग्न सिंह के समय अमावस्या तिथि का अभाव रहेगा। कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तत्कालीन तिथि हो जाएगी।
21 अक्तूबर मंगलवार को महानिशिथ काल एवं सिंह लग्न के समय अमावस्या तिथि का अभाव रहेगा।उस समय कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि हो जायेगी।

दीपावली रात्रि का त्योहार है और इसका मुख्य पूजन रात्रि में अमावस्या के समय किया जाता है। अमावस्या की तिथि में प्रदोष काल का विशेष महत्व होता है।प्रदोष काल वह समय है जब सूर्यास्त के बाद लगभग 2 घंटे 24 मिनट तक की अवधि होती है. शास्त्रों के अनुसार, जिस दिन अमावस्या प्रदोष काल और महानिशिथ काल में व्याप्त होती है, उसी दिन दीपावली का पर्व मनाना चाहिए।

20 अक्तूबर को अमावस्या की शुरुआत दोपहर में हो रही है, जो पूरी रात तक रहेगी, वहीं, 21 अक्तूबर को सूर्यास्त के बाद अमावस्या समाप्त हो जाएगी। प्रदोष और अर्धरात्रि व्यापनी मुख्य है,इसलिए दीपावली 20 अक्तूबर को मनाई जाएगी।
 

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