Diwali 2025: हिंदू धर्म में दिवाली सबसे बड़ा और प्रमुख त्योहार है, जिसका इंतजार सभी को सालभर होता है। यह न केवल रौशनी बल्कि सभी के जीवन में खुशियों के रंग भरने का दिन है। मान्यता है कि इस तिथि पर माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करने से घर में बरकत और देवी का वास बना रहता है। साथ ही तरक्की, सफलता व धन लाभ के योग भी बनते हैं। शास्त्रों में दिवाली को जीवन में एक नई शुरुआत और बुराइयों के अंत का प्रतीक माना जाता है। इस तिथि पर दीपक जलाने से अंधकार दूर और प्रकाश का आगमन होता है। यही कारण है कि घरों से लेकर गलियारों को दीपों की रौशनी से सजाकर सभी सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। परंतु क्या आप जानते हैं कि दिवाली पर घी या तेल किसका दीपक जलाना शुभ होता है ? अगर नहीं तो आइए जानते हैं।
Diwali 2025: दिवाली पर घी या तेल किसका दीपक जलाना है शुभ ?
Diwali 2025: हिंदू धर्म में दिवाली सबसे बड़ा और प्रमुख त्योहार है, जिसका इंतजार सभी को सालभर होता है। यह न केवल रौशनी बल्कि सभी के जीवन में खुशियों के रंग भरने का दिन है। मान्यता है कि इस तिथि पर माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करने से घर में बरकत और देवी का वास बना रहता है।


घी या तेल किसका दीपक जलाना चाहिए ?
ज्योतिषियों के मुताबिक दिवाली पर घी का दीपक जलाना कल्याणकारी होता है। इसके प्रभाव से घर में देवी-देवताओं का वास बना रहता है। इसके अलावा घी की लौ से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि भी बनी रहती हैं। चूंकि दिवाली रौशनी का त्योहार है, इसलिए इस दिन विशेष रूप से मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा में घी का दीपक जलाना चाहिए। इससे बड़े से बड़े संकटों का निवारण होता है और घर में धन की वृद्धि भी होती है।
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हालांकि, घी न होने पर सरसों या तिल के तेल का दीपक भी जलाया जा सकता है। यह भी बेहद शुभ होता है। मान्यता है कि सरसों और तिल के तेल के दीपक जलाने से साढ़ेसाती व शनि दोष से राहत मिलती हैं। साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह भी होता है। धार्मिक ग्रंथों की मानें तो सरसों या तिल के तेल का दीपक जलाने से साधक के जीवन में स्थिरता और शांति आती है। इस समय आप अलसी के तेल का दीपक भी जला सकते हैं।
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दरअसल, दिवाली पूजन में लक्ष्मी जी के समक्ष इस तेल का दीपक जलाने से वह प्रसन्न होती हैं। इसके अलावा व्यक्ति को व्यापार में मुनाफा, करियर में नए, कला में निखार व विवाह में आ रही बाधाओं से भी छुटकारा मिलता है। वहीं कुंडली में राहु और केतु के अशुभ प्रभाव भी कम होते हैं।
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- कार्तिक अमावस्या की तिथि 20 अक्तूबर को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट से प्रारंभ होगी।
- तिथि का समापन अगले दिन यानी 21 अक्तूबर को शाम 5 बजकर 54 मिनट पर है।
- 20 अक्तूबर 2025 को दिवाली का पर्व मान्य होगा।
- दिवाली को शाम 7 बजकर 8 मिनट से रात 8 बजकर 18 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा।
- निशिता काल मुहूर्त रात 11:41 से 12:31 बजे तक रहेगा।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।
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