{"_id":"67ca8fdbf2eb438a1d00c33c","slug":"holika-dahan-2025-astrological-benefits-of-offering-gulri-mala-holika-par-gulari-mala-chadane-ka-mahatva-2025-03-07","type":"photo-gallery","status":"publish","title_hn":"Holi 2025: जानें होली पर गुलरी माला चढ़ाने की परंपरा और इसका ज्योतिषीय महत्व","category":{"title":"Festivals","title_hn":"त्योहार","slug":"festivals"}}
Holi 2025: जानें होली पर गुलरी माला चढ़ाने की परंपरा और इसका ज्योतिषीय महत्व
धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: श्वेता सिंह
Updated Sat, 08 Mar 2025 07:22 AM IST
सार
होली पर गोबर की गुलरी जलाने की परंपरा न केवल धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसमें छिपा है एक वैज्ञानिक आधार भी। यह परंपरा बुरी नज़र, नकारात्मक शक्तियों, और समस्याओं के निवारण का प्रतीक मानी जाती है।
भारत की संस्कृति में विविधता और परंपरा की अनूठी मिसाल देखने को मिलती है। हर त्योहार को खास श्रद्धा और निष्ठा से मनाने की परंपरा ने हमारी संस्कृति को जीवंत बनाए रखा है। होली, जो हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, इसी प्रकार की एक परंपरा का प्रतीक है। होली का पर्व विशेष रूप से बुराई के अंत और अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है, और इस दिन की खासियत है होलिका दहन की रस्म, जिसमें बुराइयां नष्ट होती हैं और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
गोबर की गुलरी और उसकी परंपरा
होली के दौरान गोबर से बनी गुलरी या उपले की माला जलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। ये गुलरियां खासतौर पर गाय के गोबर से बनाई जाती हैं और होलिका दहन के समय इनको जलाकर पूजा जाती हैं। महिलाएं इस माला को एक रस्सी में पिरोकर होली पर चढ़ाती हैं, और पूजा करती हैं। अब सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों गोबर की गुलरी बनाई जाती है और गाय के गोबर का ही उपयोग क्यों किया जाता है?
विज्ञापन
विज्ञापन
3 of 6
होलिका दहन
- फोटो : adobe stock
नकारात्मक शक्तियों का नाश
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, गोबर के उपले शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माने जाते हैं। जब इन्हें जलाया जाता है, तो जलने के दौरान निकलने वाला धुआं आसपास की नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों को समाप्त करने में मदद करता है। यही कारण है कि धार्मिक अनुष्ठानों, जैसे यज्ञ और हवन, में भी गाय के गोबर का उपयोग किया जाता है। इस धुएं से वातावरण शुद्ध होता है और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
4 of 6
होलिका दहन
- फोटो : adobe stock
घर की परेशानियों का निवारण
गोलरी जलाने की परंपरा से यह विश्वास भी जुड़ा हुआ है कि इसे जलाने से घर की सारी परेशानियां दूर होती हैं। गोबर के छोटे-छोटे उपले बनाए जाते हैं और फिर इनसे माला तैयार की जाती है। होलिका दहन के समय जब ये उपले जलते हैं, तो इससे घर की सभी बाधाएं समाप्त होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। घर के सभी सदस्य मानसिक और शारीरिक रूप से शांति और सुख का अनुभव करते हैं।
विज्ञापन
5 of 6
होलिका दहन
- फोटो : adobe stock
गाय के गोबर का उपयोग क्यों?
हिंदू धर्म में गाय को देवी-देवताओं का निवास माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। इस कारण गाय के गोबर का उपयोग विशेष रूप से शुभ माना जाता है। गाय के गोबर से बने उपले जलाने से घर का वातावरण शुद्ध रहता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट अमर उजाला पर पढ़ें आस्था समाचार से जुड़ी ब्रेकिंग अपडेट। आस्था जगत की अन्य खबरें जैसे पॉज़िटिव लाइफ़ फैक्ट्स,स्वास्थ्य संबंधी सभी धर्म और त्योहार आदि से संबंधित ब्रेकिंग न्यूज़।
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
Next Article
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।
कमेंट
कमेंट X