Karwa Chauth 2025 : भारत सहित कई अन्य देशों में भी करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मुख्य रूप से माता करवा और चंद्रदेव की आराधना की जाती हैं। वहीं महिलाएं पति की दीर्घायु, सुखी प्रेम जीवन और अच्छी सेहत के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। व्रत का पारण हमेशा चंद्रमा के दर्शन के बाद किया जाता है। हिंदू धर्म में करवा चौथ के व्रत को पति-पत्नी के अटूट प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। इस अवसर पर व्रती महिलाएं एकजुट होकर करवा चौथ की कथा का पाठ करते हुए सभी बड़ों का आशीर्वाद लेती हैं। साथ ही पति की तरक्की और पारिवारिक सुख-शांति की कामना करते हुए कुछ खास उपाय भी करती हैं। हालांकि, इस समय कथा का पाठ हमेशा शुभ मुहूर्त में करना चाहिए। इससे पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है और जीवन में सुख-सौभाग्य की वृद्धि होती हैं। ऐसे में इस बार करवा चौथ पर कथा सुनने का शुभ समय क्या रहेगा, आइए जानते हैं।
Karwa Chauth 2025: करवा चौथ पर लगभग 1 घंटा 27 मिनट तक रहेगा राहुकाल, जानें कथा सुनने का मुहूर्त
Karwa Chauth 2025 : भारत सहित कई अन्य देशों में भी करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मुख्य रूप से माता करवा और चंद्रदेव की आराधना की जाती हैं। वहीं महिलाएं पति की दीर्घायु, सुखी प्रेम जीवन और अच्छी सेहत के लिए निर्जला उपवास रखती हैं।
करवा चौथ तिथि 2025
पंचांग के मुताबिक चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 9 अक्तूबर को देर रात 10 बजकर 54 मिनट पर हो रहा है। इस तिथि का समापन अगले दिन 10 अक्तूबर को शाम 07:38 मिनट पर होगा। ऐसे में 10 अक्तूबर को करवा चौथ का व्रत मान्य होगा।
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कथा सुनने का मुहूर्त
करवा चौथ पर सुबह 10 बजकर 40 मिनट से दोपहर 12 बजकर 7 मिनट तक राहुकाल रहने वाला है। इस समय पूजा-पाठ करने से बचना चाहिए। ज्योतिषियों के मुताबिक करवा चौथ पर शाम 5 बजकर 57 मिनट से लेकर शाम 7:11 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा। ऐसे में आप इस अवधि में करवा चौथ के व्रत की कथा का पाठ कर सकती हैं।
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करवा चौथ व्रत के नियम
- करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले ही सरगी ग्रहण करनी चाहिए।
- व्रत में भूलकर भी काले रंग के वस्त्र व इस रंग की चीजों का उपयोग भी न करें।
- करवा चौथ के व्रत की कथा 16 श्रृंगार और लाल जोड़े में सुननी चाहिए।
- चंद्रमा देखने के बाद ही व्रत का पारण करें।
- मन को शांत रखें और किसी भी तरह का नकारात्मक भाव मन में न रखें।
- संध्या के समय पूजा अवश्य करें।
- इस दिन तामसिक चीजों का सेवन करें।
- चंद्रमा को अर्घ्य दें और सुहागिनों को क्षमतानुसार चीजें दान करें।
- निर्जला उपवास रखें।
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