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Karwa Chauth 2025: सरगी थाली में क्या होना चाहिए? जानिए इसकी परंपरा और महत्व

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: श्वेता सिंह Updated Thu, 09 Oct 2025 11:10 AM IST
सार

Sargi Mein Kya Khana Chahiye: व्रत की शुरुआत सुबह-सुबह 'सरगी' से होती है, जो कि सास या परिवार की बड़ी महिलाएं व्रती महिला को देती हैं। सरगी में फल, सूखे मेवे, मिठाइयां, हल्का भोजन और कभी-कभी परंपरागत पकवान भी शामिल होते हैं।

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Karwa Chauth 2025 What Goes into a Sargi Thali Know the Rituals and Their Meaning
सरगी थाली - फोटो : अमर उजाला

Karwa Chauth Sargi: करवा चौथ हिंदू धर्म की एक विशेष परंपरा है, जिसे खासतौर पर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और पारिवारिक सुख-समृद्धि की कामना के साथ रखती हैं। यह व्रत पूरे दिन निर्जल यानी बिना पानी पिए रखा जाता है, और रात में चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत खोला जाता है। इस दिन का खास महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह न सिर्फ आस्था और प्रेम का प्रतीक है, बल्कि पति-पत्नी के रिश्ते को और भी मजबूत बनाने का माध्यम माना जाता है।


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व्रत की शुरुआत सुबह-सुबह 'सरगी' से होती है, जो कि सास या परिवार की बड़ी महिलाएं व्रती महिला को देती हैं। सरगी में फल, सूखे मेवे, मिठाइयां, हल्का भोजन और कभी-कभी परंपरागत पकवान भी शामिल होते हैं। यह सरगी न केवल शरीर को ऊर्जा देती है, बल्कि यह सास-बहू के रिश्ते में भी आत्मीयता और आशीर्वाद का भाव जोड़ती है। इस लेख में हम जानेंगे कि करवा चौथ की सरगी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व क्या है, और किन चीजों को सरगी में शामिल करना शुभ माना जाता है। करवा चौथ व्रत की शुरुआत सुबह-सुबह सरगी से होती है, जो कि सास या परिवार की बड़ी महिलाएं व्रती महिला को देती हैं।
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क्या है सरगी का धार्मिक महत्व? - फोटो : Adobe stock

क्या है सरगी का धार्मिक महत्व?
करवा चौथ के व्रत की शुरुआत जिस परंपरा से होती है, वह है सरगी। यह न सिर्फ एक साधारण भोजन है, बल्कि इसमें गहरी धार्मिक भावना और पारिवारिक संबंधों की मिठास भी छिपी होती है। सरगी का मुख्य उद्देश्य शारीरिक ऊर्जा प्रदान करना है, लेकिन इससे कहीं अधिक इसका सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी है। यह सरगी सास द्वारा बहू को दी जाती है, जो आशीर्वाद और स्नेह का प्रतीक मानी जाती है। इसे ब्रह्ममुहूर्त या सूर्योदय से पहले खाया जाता है, जिससे व्रती महिला दिनभर बिना जल और अन्न के उपवास रख सके।

धार्मिक दृष्टि से सरगी सिर्फ ऊर्जा देने वाला भोजन नहीं, बल्कि यह पति की लंबी उम्र, घर में सुख-शांति और सास-बहू के रिश्ते में प्रेम और विश्वास की डोर को मजबूत करने वाली परंपरा है। यह यह भी दर्शाता है कि कैसे हमारी परंपराएं केवल आस्था से जुड़ी नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और संबंधों की बुनियाद को भी मज़बूत करती हैं।

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कैसे शुरू हुई सरगी की परंपरा? - फोटो : Adobe stock

कैसे शुरू हुई सरगी की परंपरा?
करवा चौथ की सरगी केवल एक खानपान की परंपरा नहीं, बल्कि यह गहरी धार्मिक और पारिवारिक मान्यताओं से जुड़ी हुई है। सरगी की शुरुआत को लेकर दो प्रमुख कथाएं प्रचलित हैं, जो इसके धार्मिक महत्व को दर्शाती हैं।

पहली कथा माता पार्वती से जुड़ी है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब माता पार्वती ने भगवान शिव की दीर्घायु और कल्याण के लिए पहली बार करवा चौथ का व्रत रखा था, तब उनकी सास जीवित नहीं थीं। ऐसे में उनकी मां मैना देवी ने उन्हें व्रत से पहले सरगी दी थी एक विशेष थाली जिसमें पौष्टिक और शुभ खाद्य पदार्थ थे। तभी से यह परंपरा बनी कि यदि सास जीवित न हों, तो मायके से मां भी सरगी भेज सकती हैं।

दूसरी कथा महाभारत काल से जुड़ी है। कहा जाता है कि जब द्रौपदी ने पांडवों की रक्षा और दीर्घायु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था, तब उनकी सास कुंती ने उन्हें सरगी दी थी। इस प्रसंग से यह मान्यता और भी प्रबल हो गई कि सरगी ससुराल पक्ष की ओर से दी जानी चाहिए। खासकर सास की ओर से, जो इसे आशीर्वाद और प्रेम के रूप में अपनी बहू को देती है।

इन दोनों कथाओं से यह स्पष्ट होता है कि सरगी की परंपरा सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि यह आस्था, मातृत्व, और पारिवारिक रिश्तों की मिठास का प्रतीक है, जो पीढ़ियों से चली आ रही है।

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सरगी में शामिल व्यंजन - फोटो : अमर उजाला

सरगी में शामिल व्यंजन
सरगी में ऐसे व्यंजन शामिल किए जाते हैं जो न केवल स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि शरीर को पूरे दिन के उपवास के लिए ज़रूरी पोषण और ऊर्जा भी प्रदान करते हैं। आमतौर पर इसमें मिठाइयां, जैसे रसगुल्ले, लड्डू या बर्फी, सेवईं, मठरी, सूखे मेवे (बादाम, काजू, किशमिश), फ्रूट्स (जैसे केला, सेब, अनार) और कभी-कभी हल्का नमकीन या सैंडविच भी शामिल किया जाता है।

हर घर की सरगी थाली थोड़ी अलग हो सकती है, लेकिन उसमें यह ध्यान रखा जाता है कि भोजन संतुलित हो – न ज़्यादा भारी, न बहुत हल्का। कुछ महिलाएं अपनी पसंद के अनुसार चाय या दूध भी लेती हैं। सरगी केवल एक प्रथा नहीं, बल्कि यह भारतीय व्यंजन परंपरा और पारिवारिक मूल्यों का सम्मिलन है, जो इस पर्व को और भी खास बनाता है।

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करवा चौथ सरगी का समय - फोटो : अमर उजाला
करवा चौथ सरगी का समय
करवा चौथ के व्रत की शुरुआत सरगी से होती है, जिसे सूर्योदय से पहले खाया जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, करवा चौथ 2025 के दिन ब्रह्म मुहूर्त का समय सुबह 4:40 बजे से 5:30 बजे तक रहेगा। यही समय सरगी ग्रहण करने के लिए सबसे शुभ और उत्तम माना जाता है।



डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।
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