सब्सक्राइब करें

Pradosh Vrat : आज है प्रदोष व्रत, जानें किस पूजा से मिलती है शिव पार्वती की कृपा

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: Madhukar Mishra Updated Fri, 11 Oct 2019 08:23 AM IST
विज्ञापन
know worship method of pradosh vrat benefits
प्रदोष व्रत पूजन विधि एवं महत्व
हिंदू पंचांग में त्रयोदशी को सौभाग्यदायक तिथि माना गया है। तमाम कार्यों के लिए शुभ मानी जाने वाली इस तिथि पर भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा के लिए विशेष व्रत रखा जाता है, जिसे करने से सभी दोष समाप्त हो जाते हैं। इस व्रत को प्रदोष व्रत कहते हैं। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आज यह पावन व्रत रखा जा रहा है। 
Trending Videos
know worship method of pradosh vrat benefits
प्रदोष व्रत पूजन विधि एवं महत्व
प्रदोष काल में किये जाने वाले नियम, व्रत एवं पूजन को प्रदोष व्रत या अनुष्ठान कहा गया है। भगवान शिव और पार्वती की पूजा से जुड़ा यह पावन व्रत का फल प्रत्येक वार के हिसाब से अलग-अलग मिलता है। आइए दिनों के अनुसार जानते हैं प्रदोष व्रत का फल 

सोमवार — इस दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोषम् या चन्द्र प्रदोषम् भी कहा जाता है। इस दिन साधक अपनी अभीष्ट कामना की पूर्त्ति के लिए शिव की साधना करता है।

मंगलवार —  इस दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोषम् कहा जाता है और इसे विशेष रूप से अच्छी सेहत और बीमारियों से मुक्ति की कामना से किया जाता है।

बुधवार — इस दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत कहते हैं। इस दिन किया जाने वाला प्रदोष व्रत सभी प्रकार की कामनाओं को पूरा करने वाला होता है।

गुरुवार — इस दिन किया जाने वाला व्रत गुरु प्रदोष व्रत कहते हैं। इस दिन शत्रुओं पर विजय पाने और उनके नाश के लिए इस पावन व्रत को किया जाता है।

शुक्रवार — इस दिन पड़ने वाले व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत कहते हैं। इस दिन किए जाने वाले प्रदोष व्रत से सुख-समृद्धि और सौभाग्य का वरदान मिलता है।

शनिवार — इस दिन किये जाने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोषम् कहा जाता है। इस दिन इस पावन व्रत को पुत्र की कामना से किया जाता है।

रविवार — रविवार के दिन किया जाने वाला प्रदोष व्रत लंबी आयु और आरोग्य की कामना से किया जाता है।
 
विज्ञापन
विज्ञापन
know worship method of pradosh vrat benefits
प्रदोष व्रत पूजन विधि एवं महत्व

प्रदोष व्रत का पौराणिक महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत करने वाले साधक पर सदैव भगवान शिव की कृपा बनी रहती है और उसका दु:ख दारिद्रय दूर होता है और कर्ज से मुक्ति मिलती है। प्रदोष व्रत में शिव संग शक्ति यानी माता पार्वती की पूजा की जाती है, जो साधक के जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करते हुए उसका कल्याण करती हैं। 

know worship method of pradosh vrat benefits
प्रदोष व्रत पूजन विधि एवं महत्व

प्रदोष व्रत की पूजा विधि 
प्रदोष व्रत करने के लिए जल्दी सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करें और भगवान शिव को जल चढ़ाकर भगवान शिव का मंत्र जपें। इसके बाद पूरे दिन निराहार रहते हुए प्रदोषकाल में भगवान शिव को शमी, बेल पत्र, कनेर, धतूरा, चावल, फूल, धूप, दीप, फल, पान, सुपारी आदि चढ़ाएं। 

विज्ञापन
know worship method of pradosh vrat benefits
प्रदोष व्रत पूजन विधि एवं महत्व

प्रदोष व्रत में इन बातों का रखें ख्याल 
— प्रदोष व्रत के दिन अपना मन, वाणी निर्मल बनाए रखें। व्रत के दौरान क्रोध न करें।
— व्रत में शुचिता और पवित्रता का पूरा ध्यान रखें। अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखें। 
— किसी भी प्रकार का नशा न करें। 
— व्रत वाले दिन चोरी, झूठ, हिंसा आदि से बचें। 

विज्ञापन
अगली फोटो गैलरी देखें
सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट अमर उजाला पर पढ़ें आस्था समाचार से जुड़ी ब्रेकिंग अपडेट। आस्था जगत की अन्य खबरें जैसे पॉज़िटिव लाइफ़ फैक्ट्स,स्वास्थ्य संबंधी सभी धर्म और त्योहार आदि से संबंधित ब्रेकिंग न्यूज़।
 
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें अमर उजाला हिंदी न्यूज़ APP अपने मोबाइल पर।
Amar Ujala Android Hindi News APP Amar Ujala iOS Hindi News APP
विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed