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Pradosh Vrat 2024: शुभ योग में प्रदोष व्रत, इस विधि से करें शिव परिवार की पूजा

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: मेघा कुमारी Updated Sat, 14 Sep 2024 03:52 PM IST
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ravi Pradosh Vrat 2024 shubh muhurat and shiv puja vidhi
Pradosh Vrat 2024 - फोटो : अमर उजाला

Pradosh Vrat 2024: हर माह में आने वाले प्रदोष व्रत का अपना अलग महत्व होता है। हालांकि भादों माह के प्रदोष को सबसे खास माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद माह को भगवान गणेश के जन्म से जोड़ा जाता है। इस माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। ऐसे में महादेव की पूजा करना और भी लाभकारी होता है। पंचांग के अनुसार इस साल भादों माह के शुक्ल पक्ष में प्रदोष व्रत 15 सितंबर 2024 को रखा जा रहा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, सुकर्मा योग, अतिगण्ड योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में शिव-परिवार की पूजा करने से सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। ऐसे में आइए प्रदोष व्रत पूजा विधि के बारे में जानते हैं।

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Pradosh Vrat 2024 - फोटो : freepik

रवि प्रदोष व्रत तिथि
इस वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 15 सितंबर को शाम 06 बजकर 12 मिनट पर आरंभ हो रही है। इसका समापन 16 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 10 मिनट पर होगा। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। ऐसे में ये उपवास 15 सितंबर 2024 को रखा जा रहा है। इस दिन रविवार होने के कारण ये रवि प्रदोष व्रत होगा। 

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Pradosh Vrat 2024 - फोटो : istock

रवि प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, रवि प्रदोष व्रत पर पूजा का समय संध्याकाल 6 बजकर 26 मिनट से लेकर रात के 8 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। 

ravi Pradosh Vrat 2024 shubh muhurat and shiv puja vidhi
Pradosh Vrat 2024 - फोटो : freepik

प्रदोष व्रत पूजा विधि

 

  • प्रदोष व्रत के दिन सुबह ही स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद विधि अनुसार महादेव की पूजा करें, और व्रत का संकल्प लें। फिर प्रदोष काल में सभी सामग्रियों के साथ पूजा स्थल पर अपना स्थान लें। सबसे पहले चौकी लगाएं। उसके बाद उसपर साफ वस्त्र बिछाएं। अब शिव जी की मूर्ति को उसपर स्थापित करें। इस दौरान ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करते रहें। फिर आप देवी पार्वती की मूर्ति को स्थापित करें। 
  • अब सबसे पहले शिवलिंग पर शहद, घी और गंगाजल से अभिषेक करें। इसके बाद महादेव को बेलपत्र और भांग चढ़ाएं। वहीं माता पार्वती को फूल अर्पित करना चाहिए। इस दौरान भोलेनाथ को कनेर का फूल चढ़ाना शुभ माना जाता है। 
  • अब दीया जलाएं और आरती करना शुरू करे। इस दौरान शिव चालीसा का पाठ जरूर करें। ऐसा करने से मनचाहें परिणामों की प्राप्ति होती हैं। 
  • अंत में शिव परिवार को मिठाई का भोग लगाएं, और सभी गलतियों के लिए क्षमा मांगे।
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Pradosh Vrat 2024 - फोटो : freepik
शिव जी की आरती 
ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अर्द्धांगी धारा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसानन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
पर्वत सोहें पार्वतू, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
जया में गंग बहत है, गल मुण्ड माला।
शेषनाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावे।।
ओम जय शिव ओंकारा।। ओम जय शिव ओंकारा।।
 
मां पार्वती की आरती 
जय पार्वती माता, जय पार्वती माता.
ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता..
जय पार्वती माता...
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता.
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता.
जय पार्वती माता...
सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा.
देव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा..
जय पार्वती माता...
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता.
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता..
जय पार्वती माता...
शुम्भ-निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता.
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा..
जय पार्वती माता...
सृष्टि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता.
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता.
जय पार्वती माता...
देवन अरज करत हम चित को लाता.
गावत दे दे ताली मन में रंगराता..
जय पार्वती माता...
श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता.
सदा सुखी रहता सुख संपति पाता..
जय पार्वती माता...।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। 
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