Ahoi Ashtami Puja Samagri List: हिंदू कैलेंडर के मुताबिक हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस साल अहोई अष्टमी का व्रत 13 अक्तूबर, सोमवार को रखा जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य की कामना से व्रत करती हैं। इसे कई जगहों पर ‘अहोई आठें’ के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत का समापन रात में तारों को अर्घ्य देकर किया जाता है। अगर आप भी इस वर्ष अहोई अष्टमी का व्रत रखने जा रही हैं, तो पूजा के समय सभी सामग्रियों का होना बेहद आवश्यक है। आइए जानते हैं व्रत की पूजा सामग्री, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
Ahoi Ashtami Puja Samagri List: इन चीजों के बिना अधूरी है अहोई अष्टमी की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और नियम
Ahoi Ashtami Puja Samagri: इस साल अहोई अष्टमी का व्रत 13 अक्तूबर, सोमवार को रखा जाएगा। अगर आप भी अहोई अष्टमी का व्रत रखने जा रही हैं, तो पूजा के समय सभी सामग्रियों का होना बेहद आवश्यक है। आइए जानते हैं व्रत की पूजा सामग्री, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।


अहोई अष्टमी 2025 पूजा का शुभ मुहूर्त
दृक पंचांग के अनुसार इस वर्ष अहोई अष्टमी की पूजा का शुभ समय शाम 5:53 बजे से 7:08 बजे तक रहेगा। इसी अवधि में महिलाएं व्रत की पूजा कर अपने बच्चों के मंगल और दीर्घायु की कामना करेंगी।
- तारों को अर्घ्य देने का समय: सायं 6:17 बजे तक
- चंद्रोदय का समय: रात्रि 11:20 बजे

अहोई अष्टमी पूजन सामग्री
- अहोई माता की तस्वीर या चित्र
- शृंगार का सामान (काजल, बिंदी, चूड़ी, लाल चुनरी आदि)
- जल से भरा कलश
- गंगाजल
- करवा या पात्र
- फूल, धूपबत्ती और दीपक
- गाय का घी
- रोली, कलावा और अक्षत
- चौक बनाने के लिए सूखा आटा
- गाय का दूध

अहोई अष्टमी पूजा विधि
- इस दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ और सादे वस्त्र पहनें।
- दीवार पर या पूजा स्थल पर अहोई माता का चित्र बनाएं या तस्वीर स्थापित करें।
- इसके बार उनके समक्ष दीपक जलाकर माता की कथा और आरती करें।
- संतान के सुख, स्वास्थ्य और सुरक्षा की प्रार्थना करें।
- शाम को तारे दिखने पर उन्हें अर्घ्य दें और मंत्रों का जाप करें।
- माता को हलवा, पूरी और मिठाई का भोग लगाएं।
- इसके बाद परिवार के साथ मिलकर पूजा पूर्ण कर व्रत का पारण करें।

अहोई अष्टमी व्रत के नियम
- अहोई अष्टमी के दिन मिट्टी का काम (जैसे बागवानी) या नुकीली चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- इस दिन किसी से झगड़ा या अपशब्द बोलने से भी बचना चाहिए।
- अहोई माता को अर्पित शृंगार की वस्तुएं पूजा के बाद सास या किसी बुजुर्ग महिला को दान करें।
- इसके अलावा आप यह सामग्री मंदिर में भी दान कर सकती हैं।
अहोई अष्टमी व्रत मातृत्व और संतानों के प्रति प्रेम का प्रतीक माना जाता है। श्रद्धा और भक्ति से व्रत करने पर अहोई माता की कृपा से परिवार में सुख, समृद्धि और संतान सुख मिलता है।
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