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इस मंदिर में भक्तों पर आने वाले संकट से पहले रो देते हैं बाबा भैरव

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: प्रशांत राय Updated Sat, 03 Aug 2019 11:29 AM IST
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bajreshwari mata temple in kangra known for his significance
bhairav nath - फोटो : social media

वैसे तो सभी भगवान अपने भक्तों पर दयालुता दिखाते हैं। लेकिन एक ऐसा मंदिर है, जहां भक्तों पर कष्ट आने से पहले ही मंदिर में स्थापित मूर्ति से आंसू बहने लगते हैं। स्थानीय लोग इसी से आने वाली परेशानियों का अंदाजा लगा लेते हैं। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में मौजूद है। कांगड़ा क्षेत्र में बज्रेश्वरी देवी की मंदिर स्थापित है। यहां के आसपास के क्षेत्रों में जैसे ही कोई परेशानी आने वाली होती है तो भैरव बाबा की मूर्ति से आंसुओं का गिरना शुरू हो जाता है। 



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- फोटो : social media

स्थानीय नागरिक इसी से आने वाली समस्याओं का पता लगाते हैं। बज्रेश्वरी देवी मंदिर में स्थापित भैरव बाबा की प्रतिमा के बारे में कहा जाता है कि यह प्रतिमा 5 हजार साल से भी ज्यादा पुरानी है। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि जब भी उन्हें प्रतिमा से आंसू गिरते हुए देखते हैं वह श्रद्धालुओं के संकट को दूर करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना शुरू कर देते हैं। 

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- फोटो : social media

इसके अलावा हवन का भी आयोजन किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि ये सब करने से भैरव बाबा भक्तों पर आने वाले परेशानियों को टाल देते हैं। यह जगह, तन्त्र-मन्त्र, सिद्धियों, ज्योतिष विद्याओं, तन्त्रोक्त शक्तियों, देव परंपराओं की प्राप्ती का पसंदिदा स्थान रहा है। यह एक शक्ति पीठ है जहा मां सती का दाहिना वक्षस्थल गिरा था। इसलिए इसे स्तनपीठ भी कहा गया है और स्तनपीठ भी अधिष्ठात्री बज्रेश्वरी देवी है। स्तनभाग गिरने पर वह शक्ति जिस रूप में प्रकट हुई वह बज्रेश्वरी कहलाती हैं। मंदिर परिसर में ही भगवान लाल भैरव का भी मंदिर है।

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- फोटो : social media

कहा जाता है कि साल 1976-77 में इस मूर्ति में आंसू व शरीर से पसीना निकला था। उस समय कांगड़ा बाजार में भीषण अग्निकांड हुआ था। काफी दुकानें जल गई थीं। उसके बाद से यहां ऐसी विपत्ति टालने के लिए हर साल नवंबर व दिसंबर के मध्य में भैरव जयंती मनाई जाती है। उस दौरान यहां पाठ व हवन होता है। यह मूर्ति मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही बाईं तरफ है।

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- फोटो : social media

श्री बज्रेश्वरी देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा शहर के समीप मालकड़ा पहाड़ी की ढलान पर उत्तर की नगरकोत में स्थित है। यहां तीन धर्मों के प्रतीक के रूप में मां की तीन पिण्डियों की पूजा की जाती है। माता बज्रेश्वरी का यह शक्तिपीठ अपने आप में अनूठा है। क्योंकि यहां केवल हिन्दू ही नहीं बल्कि मुस्लिम और सिख धर्म के लोग इस धाम में आकर पूजा-अर्चना करते हैं। कहा जाता है कि ब्रजेश्वरी देवी मंदिर के तीन गुंबद इन तीन धर्मों के प्रतीक हैं। 

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