Bhog Niyam: आमतौर पर घरों में सुबह और शाम दोनों समय पूजा की जाती है। इससे परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। मान्यता है कि देवी-देवताओं की आराधना हमेशा संपूर्ण विधि से करनी चाहिए। इससे मनचाहे परिणामों की प्राप्ति होती हैं। शास्त्रों में पूजा-पाठ से जुड़े सभी नियमों का उल्लेख है। इन नियमों के आधार पर ईश्वर की उपासना करने से मानसिक शांति मिलती है। शास्त्रों के अनुसार पूजा में जहां दीप प्रज्वलित करने का विधान है, वहीं देवताओं को भोग लगाना भी शुभ होता है। कहते हैं कि पूजा के बाद भगवान को भोग लगाने से वह जल्दी प्रसन्न होते हैं। परंतु क्या आपको पता है पूजा में लगाया गया भोग भगवान के समक्ष कितनी देर रखना चाहिए ? अगर नहीं तो आइए जानते है।
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Bhog Niyam: भगवान के सामने कितने समय के लिए रखना चाहिए भोग ?
धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: मेघा कुमारी
Updated Mon, 25 Nov 2024 06:43 AM IST
सार
Bhog Niyam: आमतौर पर घरों में सुबह और शाम दोनों समय पूजा की जाती है। इससे परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। मान्यता है कि देवी-देवताओं की आराधना हमेशा संपूर्ण विधि से करनी चाहिए।
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Bhog Niyam
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मंदिर में कब तक रखे भोग ?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान को भोग लगाने के बाद उस प्रसाद को 5 से 10 मिनट की अवधि के अंतराल में ही हटा लेना चाहिए। कहते हैं कि अगर भोग लंबे समय तक मंदिर में रखा जाए तो इससे नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती हैं। इसलिए इसे जल्द ही हटा देना चाहिए।
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भोग लगाते समय इन बातों का रखें ध्यान
- मान्यताओं के अनुसार भगवान को लगाए गए भोग को हमेशा प्रसाद के रूप में स्वयं ग्रहण करना चाहिए।
- भगवान को भोग लगाने से पहले हमेशा स्नान करें। इसके बाद ही भोग व पूजा पाठ से जुड़े कार्य करने चाहिए।
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान को हमेशा सात्विक चीजों का ही भोग लगाएं।
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- प्रसाद को कभी भी जमीन पर न चढ़ाएं।
- माना जाता है कि देवी-देवताओं को हमेशा सोना-चांदी मिट्टी या लकड़ी के बर्तनों में ही भोग लगाना चाहिए।
- कभी भी प्लास्टिक के बर्तनों में भोग न लगाएं।
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पूजा करने से पहले इस खास मंत्र का करें उच्चारण
ऊं शांति सुशान्ति: सर्वारिष्ट शान्ति भवतु। ऊं लक्ष्मीनारायणाभ्यां नम:। ऊं उमामहेश्वराभ्यां नम:। वाणी हिरण्यगर्भाभ्यां नम:। ऊं शचीपुरन्दराभ्यां नम:। ऊं मातापितृ चरण कमलभ्यो नम:। ऊं इष्टदेवाताभ्यो नम:। ऊं कुलदेवताभ्यो नम:।ऊं ग्रामदेवताभ्यो नम:। ऊं स्थान देवताभ्यो नम:। ऊं वास्तुदेवताभ्यो नम:। ऊं सर्वे देवेभ्यो नम:। ऊं सर्वेभ्यो ब्राह्मणोभ्यो नम:। ऊं सिद्धि बुद्धि सहिताय श्रीमन्यहा गणाधिपतये नम:।ऊं स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः।स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः।स्वस्ति नो ब्रिहस्पतिर्दधातु ॥ ऊं शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।
ऊं शांति सुशान्ति: सर्वारिष्ट शान्ति भवतु। ऊं लक्ष्मीनारायणाभ्यां नम:। ऊं उमामहेश्वराभ्यां नम:। वाणी हिरण्यगर्भाभ्यां नम:। ऊं शचीपुरन्दराभ्यां नम:। ऊं मातापितृ चरण कमलभ्यो नम:। ऊं इष्टदेवाताभ्यो नम:। ऊं कुलदेवताभ्यो नम:।ऊं ग्रामदेवताभ्यो नम:। ऊं स्थान देवताभ्यो नम:। ऊं वास्तुदेवताभ्यो नम:। ऊं सर्वे देवेभ्यो नम:। ऊं सर्वेभ्यो ब्राह्मणोभ्यो नम:। ऊं सिद्धि बुद्धि सहिताय श्रीमन्यहा गणाधिपतये नम:।ऊं स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः।स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः।स्वस्ति नो ब्रिहस्पतिर्दधातु ॥ ऊं शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

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