Dhanu Sankranti 2025 Kab Hai: सनातन धर्म में सूर्य देव केवल हमारे सौरमंडल के केंद्र या प्रकाश का स्रोत नहीं हैं, बल्कि उन्हें एक शक्तिशाली देवता के रूप में पूजा जाता है। सूर्य देव का राशि परिवर्तन यानी संक्रांति का विशेष महत्व माना गया है। यह परिवर्तन जीवन में नए अवसर, ऊर्जा और सकारात्मक प्रभाव लाता है। पिता, यश, कीर्ति, आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और आत्मा से जुड़े कारक सूर्य देव के इस बदलाव से प्रभावित होते हैं।
Dhanu Sankranti: इस साल कब है धनु संक्रांति? जानें तिथि, समय, शुभ योग और पूजन-विधि
Dhanu Sankranti Puja Vidhi: जानें धनु संक्रांति 2025 की तिथि, शुभ मुहूर्त और सूर्य देव की पूजा विधि। इस दिन सूर्य देव की अर्चना से करियर, व्यवसाय और व्यक्तित्व में वृद्धि होती है।
सूर्य राशि परिवर्तन
इस समय सूर्य देव वृश्चिक राशि में संचरण कर रहे हैं। इस साल, 16 दिसंबर 2025 (मंगलवार) सुबह 04:26 बजे, सूर्य देव वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य देव का यह संचरण 13 जनवरी 2026 तक रहेगा, इसके बाद वे मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य का यह गोचर जीवन में ऊर्जा, उत्साह और सकारात्मक बदलाव का संकेत देता है।
धनु संक्रांति शुभ मुहूर्त
धनु संक्रांति पर शुभ मुहूर्त के अनुसार, जातक इस समय स्नान, ध्यान और सूर्य देव की पूजा कर सकते हैं:
- पुण्य काल: सुबह 07:09 बजे से दोपहर 12:23 बजे तक
- महा पुण्य काल: सुबह 07:09 बजे से सुबह 08:53 बजे तक
- पुण्य क्षण: सुबह 04:27 बजे
इस समय सूर्य देव की पूजा करने से विशेष लाभ और शुभ फल प्राप्त होते हैं।
सूर्य देव पूजा विधि
- धनु संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा इस प्रकार करें:
- संक्रांति के दिन सुर्योदय से पहले उठें।
- पवित्र नदी में स्नान करें, या घर पर गंगाजल या साफ पानी से स्नान करें।
- साफ कपड़े पहनें और सूर्य देव का दर्शन करें।
- तांबे का लोटा लें, उसमें जल भरें।
- जल में रोली और फूल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- अर्घ्य देते समय ‘ॐ सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करते रहें।
- भगवान सूर्य को लाल फूल अर्पित करें।
- धूप और दीप जलाएं, अन्य पूजा सामग्री अर्पित करें।
- अंत में सूर्य देव की आरती करें और हाथ जोड़कर मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें।
धनु संक्रांति का महत्व
धनु संक्रांति का दिन न सिर्फ सूर्य देव के राशि परिवर्तन का प्रतीक है, बल्कि यह धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन कई लोग पितृ तर्पण और पितरों के लिए विशेष अनुष्ठान करते हैं। पितृ दोष से प्रभावित व्यक्ति इस दिन पितरों की पूजा और ध्यान अवश्य करें, क्योंकि ऐसा करने से उनके जीवन में संतुलन और शुभ फल आते हैं। इसके अलावा, धनु संक्रांति के दिन मीठे चावल (खीर या अन्य मीठा व्यंजन) बनाना एक पुरानी परंपरा है। पूजा और अनुष्ठान के बाद यह प्रसाद परिवार और समुदाय के सभी सदस्यों में वितरित किया जाता है, जिससे आपसी भाईचारा और आशीर्वाद की भावना बढ़ती है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

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