हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत किया जाता है। सुहागिन स्त्रियों के लिए ये व्रत बहुत ही खास होता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन सुहागिन महिलाएं प्रातः सूर्योदय से पहले उठकर सरगी खाती हैं और इसके बाद पूरे दिन निर्जला उपवास करती हैं। इस दिन शाम के समय महिलाएं सोलह श्रंगार करती हैं। चद्रंमा निकलने के बाद दर्शन करके अर्घ्य दिया जाता है और इसके बाद करवा चौथ के व्रत का पारण किया जाता है। तो चलिए जानते हैं इस बार कब है करवा चौथ क्या है महत्व और व्रत पूजन विधि।
karwa chauth 2021: कब है करवा चौथ, जानिए तिथि, महत्व और व्रत पूजा विधि
करवा चौथ का महत्व-
धार्मिक मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने से पति को दीर्घायु प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन चंद्रमा के दर्शन कर अर्घ्य देने के बाद व्रत पारण करने से वैवाहिक जीवन की परेशानियां दूर होती हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इस व्रत के समान सौभाग्यदायक अन्य कोई व्रत नहीं है। इस दिन संकष्टी चतुर्थी भी होती हैं और उसका पारण भी चंद्र दर्शन के बाद ही किया जाता है, इसलिए करवा चौथ गणेश जी का पूजन करने का भी विधान है। इसके अलावा करवा चौथ पर माता पार्वती, शिव जी और कार्तिकेय का पूजन भी किया जाता है।
करवा चौथ 2021 तिथि और शुभ मुहूर्त-
उदया तिथि के अनुसार करवा चौथ का व्रत 24 अक्टूबर 2021 दिन रविवार को रखा जाएगा।
चतुर्थी तिथि आरंभ- 24 अक्टूबर 2021 रविवार को सुबह 03 बजकर 01 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त- 25 अक्टूबर 2021 सोमवार को सुबह 05 बजकर 43 मिनट पर
करवा चौथ 2021 व्रत की विधि-
- इस दिन प्रातः उठकर अपने घर की परंपरा के अनुसार सरगी आदि ग्रहण करें।
- स्नानादि करने के पश्चात व्रत का संकल्प करें।
- यह व्रत पूरे दिन निर्जला यानी बिना जल के किया जाता है।
- शाम को समय तुलसी के पास बैठकर दीपक प्रज्वलित करके करवाचौथ की कथा पढ़े।
- चंद्रमा निकलने से पहले ही एक थाली में धूप-दीप, रोली, पुष्प, फल, मिष्ठान आदि रख लें।
- टोटी वाले एक लोटे में अर्घ्य देने के लिए जल भर लें।
- मिट्टी के बने करवा में चावल या फिर चिउड़ा आदि भरकर उसमें दक्षिणा के रुप में कुछ पैसे रख दें।
- एक थाली में श्रंगार का सामान भी रख लें।
- चंद्रमा निकलने के बाद चंद्र दर्शन और पूजन आरंभ करें।
- सभी देवी-देवताओं का तिलक करके फल-फूल मिष्ठान आदि अर्पित करें।
- श्रंगार के सभी सामान को भी पूजा में रखें और टीका करें।
- अब चंद्रमा को अर्घ्य दें और छलनी में दीप जलाकर चंद्र दर्शन करें, अब छलनी में अपने पति का मुख देखें।
- इसके बाद पति के हाथों से जल पीकर व्रत का पारण करें।
- अपने घर के सभी बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें।
- पूजन की गई श्रंगार की सामाग्री और करवा को अपनी सास या फिर किसी सुहागिन स्त्री को दे दें।

कमेंट
कमेंट X