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श्रावण पूजा विशेष: हठ योग और महादेव की साधना का अद्भुत दर्शन दक्षिण काली मंदिर में

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: मेघा कुमारी Updated Thu, 31 Jul 2025 10:44 PM IST
सार

सावन माह जारी है और देशभर के शिवालयों में शिव पूजा का आयोजन किया जा रहा है। इसी बीच सिद्ध पीठ दक्षिण काली मंदिर में महादेव की विशेष शिव साधना, शिवलिंग का विशेष श्रृंगार विश्व कल्याण की कामना के लिए किया जा रहा है... 

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Sawan 2025 know sawan shiv puja importance and significance in hindi
देश और विदेश में भगवान भोलेनाथ के भक्त शिव आराधना में लीन हैं। शिवालयों में शिव पूजा का आयोजन हो रहा है, तो कहीं रुद्राभिषेक हो रहा है। - फोटो : अमर उजाला

महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि 


(निरंजन पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 पंचायती अखाड़ा)
  
Sawan Special 2025:
महादेव शिव को अत्यंत प्रिय श्रावण मास चल रहा है। भगवान भोलेनाथ के भक्तों के लिए यह माह शिव की विशेष पूजा आराधना के लिए होता है। इस समय देश और विदेश में भगवान भोलेनाथ के भक्त शिव आराधना में लीन हैं। शिवालयों में शिव पूजा का आयोजन हो रहा है, तो कहीं रुद्राभिषेक हो रहा है। इन दिनों सिद्ध पीठ दक्षिण काली मंदिर में महादेव की विशेष शिव साधना, शिवलिंग का विशेष श्रृंगार विश्व कल्याण की कामना के लिए किया जा रहा है। यहां हठयोग के साथ शिव की अखंड साधना का दृश्य देखने देश-विदेश से भक्त आते हैं। शिव कल्याण के देवता है। श्रावण शिव आराधना कर उनकी कृपा प्राप्त करने का विशेष अवसर है। करुणा के सागर भगवान शिव अपनी शरणागत आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु भक्त का कल्याण करते हैं।

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सावन में ही भगवान शिव धरती पर अवतरित होकर अपने ससुराल गए थे, और वहां उनका स्वागत जलाभिषेक से किया गया था। - फोटो : अमर उजाला

सावन में शिव उपासना का महत्व

शम्भोः पुराणश्रवणात्तफलं निश्चल भवेत् ॥ यह महाशिवपुरण का पहला श्लोक है। महादेव को श्रावण मास अत्यंत प्रिय है, क्योंकि इस महीने में माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। यह भी माना जाता है कि सावन में ही भगवान शिव धरती पर अवतरित होकर अपने ससुराल गए थे, और वहां उनका स्वागत जलाभिषेक से किया गया था। श्रावण सोमवार गहरी भक्ति, आध्यात्मिक चिंतन और भगवान शिव का आशीर्वाद पाने का समय है। यह हमें ब्रह्मांड को संचालित करने वाली दिव्य शक्ति और विश्वास, करुणा और आत्म-अनुशासन के महत्व की याद दिलाता है।

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पुराणों में श्रावण मास का अत्यधिक धार्मिक महत्व बताया गया है, क्योंकि यह भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और इस दौरान उनकी भक्ति से विशेष फल प्राप्त होते हैं। - फोटो : अमर उजाला

पुराणों में श्रावण मास का अत्यधिक धार्मिक महत्व बताया गया है, क्योंकि यह भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और इस दौरान उनकी भक्ति से विशेष फल प्राप्त होते हैं। महादेव मनोकामनाएं पूरी करते हैं, कष्टों से मुक्ति मिलती है। शिव पुराण और स्कंद पुराण में भी इसका उल्लेख है। रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी भी महादेव की भक्ति से जुड़े प्रसंग और महात्यम का वर्णन किए हैं। उन्होंने तो श्रावण मास में पढ़ने वाली चौपाई की रचना भी की है। इसमें 'उमा कहउं मैं अनुभव अपना, सत हरि भजनु जगत सब सपना' या 'वर दायक प्रनतारति भंजन, कृपासिंधु सेवक मन रंजन मन की एकाग्रता के लिए श्रावण मास अत्यंत महत्वपूर्ण मास है। इसमें जैसे मन को साधने से परम तत्व की प्राप्ति संभव है, ठीक वैसे ही जैसे भगवान शंकर ने चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण किया हुआ है। 

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शिव पुराण में श्रावण मास के दौरान व्रत रखने के महत्व बताया गया है। व्रत रखने वालों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। - फोटो : अमर उजाला

शिव पुराण में श्रावण मास के दौरान व्रत रखने के महत्व बताया गया है। व्रत रखने वालों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके अतिरिक्त, शिव पुराण में शिव के कल्याणकारी स्वरूप, रहस्य, महिमा और उपासना का विस्तृत वर्णन है। महादेव की भक्ति इतनी सरल है कि एक लोटा जल से ही वह प्रसन्न होते हैं। पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय: ही जप करते रहना महादेव की कृपा का पात्र बना देता है। यह शिव पंचाक्षर मंत्र है, जो भगवान शिव के स्वरूप और उनके प्रति समर्पण का भाव व्यक्त करता है। इसका अर्थ है ‘मैं शिव को नमन करता हूं’। यह मंत्र अज्ञान को दूर कर आत्मा के शुद्धिकरण का भाव रखता है। शिवपुराण में महादेव ने स्वयं श्रावण मास की महत्ता को बताया है। 

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श्रवण नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होती है इस कारण भी इसे श्रावण कहा जाता है। - फोटो : अमर उजाला

द्वादशस्वपि मासेषु श्रावणो मेतिवल्लभर: । श्रवणार्हं यन्माहात्म्यं तेनासौ श्रवणो मत:।।
श्रवणर्क्षं पौर्णमास्यां ततोपि श्रावण: स्मृत:। यस्य श्रवणमात्रेण सिद्धिद: श्रावणोऽप्यत: ।।

अर्थात मासों में श्रावण मास मुझे अत्यंत प्रिय है। इसका माहात्म्य सुनने योग्य है। इसे श्रावण कहा जाता है। इस मास में श्रवण नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होती है इस कारण भी इसे श्रावण कहा जाता है। इसके माहात्म्य के श्रवण मात्र से यह सिद्धि प्रदान करने वाला है, इसलिए भी यह श्रावण संज्ञा वाला है।



 


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डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

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