ऋषि-मुनियों, दर्शन और आध्यात्म के देश भारत में ऐसे कई संत हुए हैं, जिन्हें दिव्य संत कहा जाता है। ऐसे ही एक दिव्य संत थे, देवरहा बाबा। देवरहा बाबा जाने माने सिद्ध पुरुष और एक कर्मठ योगी थे। देवरहा बाबा की उम्र के बारे में लोगों की बीच ऐसी मान्यता थी कि बाबा करीब 500 सालों तक जिंदा थे। हालांकि यह स्पष्ट रूप से यह कोई भी नहीं जानता था कि बाबा का जन्म कब हुआ। देवरहा बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में माना जाता है। साधारण रहन-सहन और सरल जीवन जीने वाले बाबा लोगों के मन की बातें बिना बताए ही जान लेते थे। सरल, सहज और बेहद शांत स्वभाव वाले देवरहा बाबा से आशीर्वाद लेने के लिए आमजन से लेकर नेता, उघोगपति, फिल्मी सितारे और बड़े-बड़े अधिकारी उनके पास आते थे। आइए जानते हैं देवरहा बाबा के जीवन से जुड़े उनके चमत्कारों के बारे में...
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भारत के सबसे चमत्कारी बाबा, इंदिरा गांधी से लेकर, जॉर्ज पंचम भी थे नतमस्तक
धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: विनोद शुक्ला
Updated Sun, 21 Mar 2021 12:00 PM IST
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देवरहा बाबा
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देवरहा बाबा
देवरहा बाबा के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने कभी भी एक जगह से दूसरे जगह जाने के लिए किसी भी तरह की गाड़ी का इस्तेमाल नहीं किया और न ही किसी ने सवारी से कहीं उन्हें जाते हुए देखा। भक्तों का मनाना था कि बाबा पानी पर बहुत ही आसानी से चल लेते थे। बाबा हर साल माघ मेले के समय प्रयाग आते थे। यमुना किनारे वृंदावन में वह आधा घंटा तक तक पानी में, बिना सांस लिए रह लेते थे। देवरहा बाबा ने अपनी उम्र, तप और सिद्धियों के बारे में कभी कोई दावा नहीं किया, लेकिन उनके इर्द-गिर्द हर तरह के लोगों की ऐसी भी भीड़ रही, जो उनमें चमत्कार तलाशती थी।
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देवरहा बाबा
देवरहा बाबा हमेशा एक ऊंचे लकड़ी से तैयार मचान पर बैठ कर लोगों को आशीर्वाद और प्रसाद किया करते थे। अपने पास आने वाले सभी लोगों से बहुत प्यार से मिलते, प्रसाद और आशीर्वाद देकर विदा करते। ऐसा माना जाता था कि मचान पर कोई प्रसाद नहीं रखा होता था फिर भी बाबा लोगों के हाथों में प्रसाद देते थे।
देवरहा बाबा
देवरहा बाबा न सिर्फ मनुष्यों के मन की बात जान जाया करते थे बल्कि वे जानवरों की भाषा और बोली को भी समझ जाते थे। वे जंगली जानवरों को अपने वश में कर लेते थे।
लोगों के बीच यह मत था कि बाबा को हर चीज के बारे में सब पता रहता था कि कब, कौन, कहाँ उनके बारे में चर्चा हुई। इसके आलावा बाबा निर्जीव चीजों को भी अपने वश में कर लेते थे। वे कैमरे से फोटो खीचने को बोलते, लेकिन कैमरे में उनकी फोटो नहीं बन पाती थी। उनकी याद्दाश्त बहुत तेज हुआ करती थी, वे एक बार किसी से मिल लेते तो वर्षो बाद भी उसके खानदान के बारे में बता देते थे।
लोगों के बीच यह मत था कि बाबा को हर चीज के बारे में सब पता रहता था कि कब, कौन, कहाँ उनके बारे में चर्चा हुई। इसके आलावा बाबा निर्जीव चीजों को भी अपने वश में कर लेते थे। वे कैमरे से फोटो खीचने को बोलते, लेकिन कैमरे में उनकी फोटो नहीं बन पाती थी। उनकी याद्दाश्त बहुत तेज हुआ करती थी, वे एक बार किसी से मिल लेते तो वर्षो बाद भी उसके खानदान के बारे में बता देते थे।
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देवरहा बाबा
देश में आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी चुनाव हार गईं। तब इंदिरा गांधी देवरहा बाबा से आशीर्वाद लेने गईं। बाबा ने उन्हें हाथ उठाकर पंजे से आशीर्वाद दिया। वहां से लौटने के बाद इंदिरा जी ने कांग्रेस का चुनाव चिह्न हाथ का पंजा ही तय किया। इसी चिह्न पर 1980 में इंदिरा जी के नेतृत्व में कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत प्राप्त किया और वे देश की प्रधानमंत्री बनीं।

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