Bhagwat Geeta Updesh: भगवत् गीता एक पवित्र ग्रंथ है, जो महाभारत के युद्ध के समय भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है। भगवत् गीता में 700 श्लोक हैं, जो जीवन, धर्म, कर्म और आत्मा के रहस्यों के बारे में बहुत कुछ बताती है। यह ग्रंथ हर इंसान को आध्यात्मिक ज्ञान, मानसिक शांति और सही निर्णय लेने की राह दिखाता है। ऐसे में आज हम बात करेंगे भगवद् गीता के अठारहवें अध्याय के 66वे श्लोक के बारे में, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को जीवन का अंतिम और सर्वोच्च उपदेश देते हैं।
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श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान कृष्ण ने जीवन को सही दिशा देने के लिए स्पष्ट मार्गदर्शन किया है। आज हम बात करेंगे भगवद् गीता के अठारहवें अध्याय के 66वे श्लोक के बारे में, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को जीवन का अंतिम और सर्वोच्च उपदेश देते हैं।
मुझ पर भरोसा करो
ये शब्द भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहे थे, लेकिन इससे हर इंसान को सीख मिलती है। जब हम जीवन में बहुत उलझ जाते हैं, कि क्या सही है क्या गलत है, क्या करना चाहिए, क्या नहीं, कुछ समझ नहीं आता, तब ये श्लोक हमें रास्ता दिखाता है। भगवान कहते हैं कि हर चीज का बोझ अपने सिर पर मत लो, बस मुझ पर भरोसा करो और मेरी शरण में आ जाओ।
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उलझनों को छोड़ दें
यहां "सर्वधर्म" छोड़ने का मतलब ये नहीं है कि हमें अपना फर्ज छोड़ देना है। इसका अर्थ है कि हम उन उलझनों को छोड़ दें जो हमें अंदर से पेरशान कर रही हैं। भगवान कहते हैं कि जब मन उलझा हो, तब उन सबको किनारे रखकर मुझ पर भरोसा करो। इसमें जीवन के प्रत्येक पहलू की अद्भुत व्याख्या की गई है।
सच्चे मन से पछतावा
इस श्लोक में श्रीकृष्ण हमें भरोसा दिला रहे हैं कि, "मैं तुम्हें हर पाप से मुक्त कर दूंगा।" यानी चाहे तुमने जीवन में कितनी भी गलतियां की हों, अगर तुम्हें सच्चे मन से पछतावा है और मुझे अपना रहे हो, तो मैं तुम्हें माफ कर दूंगा।
भगवान पर विश्वास
आज की दौड़भाग भरी ज़िंदगी में जब हर इंसान मानसिक तनाव, दबाव और असमंजस से जूझ रहा है, तब ये श्लोक एक सच्चा सहारा साबित हो सकता है। ये हमें सिखाता है कि हर सवाल का जवाब हमारे अंदर ही है, बस हमें भगवान पर विश्वास करना होगा।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।